इण वास्तै कांई परमेसर आपरै चुणयोड़े लोगां ऊपर ध्यांन कोनीं दैला की उणनै जिकौ रात दिन याद करता रैवै है, न्याव मिळै? कांई वो उणरी मदद करनै मे जेज लगावैला? म्हैं थौरे ऊं कैवूं हूं, वो तुरत उणरौ न्याव चुकावैला। तौभी म्हैं, मिनख रौ बेटौ, जद आवैला, तो कांई म्हैं धरती माथै विसवास पाऊंला?”