परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )Egzanp

इसहाक – सरकता हुआ विश्वास
इसहाक अपने पिता के विश्वास और आशीषों पर ‘‘सरक रहा है’’। उसके विश्वास का कोई अतिरिक्त शानदार प्रमाण नहीं था । जबकि वह कुछ हद तक अपने पिता के पदचिन्हों पर चलता है, फिर भी हम देखते हैं कि परमेश्वर के प्रति उसकी असंवेदनशीलता और सुस्ती बढ़ने लगती है। ऐसा प्रतित होता है कि यह उससे विश्वास से अधिक दूसरों का विश्वास है जो उसे लेकर चल रहा है। वह :
- (अपने पिता के) विश्वास के द्वारा पैदा हुआ - वह न केवल विश्वास के माध्यम से जीवन प्राप्त करता है, वरन जब उसका पिता उसे वेदी पर रखता हैतब वह, उसे वास्तव में ‘‘आग’’ के द्वारा फिर से प्राप्त करता है। अपने पिता पर उसका अटूट विश्वास काबिले तारीफ है।
- (अपने पिता के) विश्वास के द्वारा आशीषित हुआ - परमेश्वर के चुने हुए राष्ट्र के संबंध में वह अब्राहम की आशीषों का एकमात्र उत्तराधिकारी बना ।
- जब उसकी पत्नी बांज थी उस समय पर वह एक पुत्र के लिए प्रार्थना करता है (जैसा कि उसके पिता ने किया था) (उत्पत्ति 25:21)
- परमेश्वर ने अपने सेवक अब्राहम के कारण उसे आशीष दी (उत्पत्ति 26:5)।
- उसके पास अपने पिता की उदारता थी। उदा. कुओं के विषय में झगडे़ के समय, उसने वैसे ही किया जैसे उसके पिता ने लूत के साथ किया था (उत्पत्ति 26:17-22)
- कृतज्ञता की आत्मा में वह पमेश्वर को स्वीकार करते हुए एक वेदी बनाता है। (उत्पत्ति 26:25)
- परमेश्वर उसे समृद्ध करते हैं (उत्पत्ति 26:17-32)।
- वह पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाए रखता है (उत्पत्ति 26:28-30)।
3. (अपने सेवक के) विश्वास से उसका विवाह हुआ - हाँ, यह अब्राहम का सेवक ही था जिसके विश्वास और परमेश्वर की अगुवाई की तलाश करने के दृढ़ संकल्प था की वजह से वह अपनी दुल्हन रिबका को उसके अपने लोगों में से प्राप्त करने में सक्षम हो पाया।
सम्भावित रूप से, इसहाक भी वही गलतियाँ करता है जो उसके पिता ने की। (उत्पत्ति 26:7-10)। भक्ति(और पाप) के परिणाम एक व्यक्ति से बढ़कर उसके परिवार और पीढ़ियों तक असर दिखाते हैं।
समृद्ध विरासत के बावजूद,वह :
4. दोहरे अंधेपन का शिकार हुआ - अपने अंतिम दिनों में वह न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि आत्मिक रूप से भी अंधा हो गया। यद्यपि परमेश्वर रिबका से कहता है कि याकूब एसाव पर प्रभुता करेगा (उत्पत्ति 25:23), फिर भी वह शारीरिक ज़रूरतों के आधार पर एसाव को मुख्य आशीष देने की योजना बनाता है। धयान दें की यह रिबका है जिसे परमेश्वर अपनी योजना बताते हैं, इसहाक नहीं, इसहाक नहीं वरन याबूक था, जो भविष्य में इस्त्राएल बना।
5. बच्चों के जीवन में उलट आशीषों को पाता है - परमेश्वर अपनी दया में निर्णय करते हैं और जो आशीष एसाव को मिलनी चाहिए थी,वह परमेश्वर के चुने हुए याकूब को मिल जाती है।
आज कलीसिया सुसमाचार के आगमन के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी अंधी और सुस्ती के कारण सुन्न हो गई है। हमने बहुत कुछ प्राप्त किया है, हम किस स्तर तक आज्ञा मानने और देने के लिए तैयार हैं?
हम केवल परमेश्वर की आशीषों के भण्डारी हैं, स्वामी नहीं। हम यहाँ परमेश्वर की ओर से उनका निवेश करने के लिए हैं, न कि अपने लाभ के लिए उनका शोषण करने के लिए।
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पुराने नियम में, परमेश्वर ने लोगों (संपर्क) को चुना, उनके साथ अनेकों तरीकों से बातचीत की।यह, नए नियम के प्रकाश में, वचन के गहरे दृष्टिकोण को प्रदान करता है। परमेश्वर के संपर्को के चार भाग हैं, जिसमे पहला भाग पुराने नियम के कुलपतियों का काल है – जिसमे प्रमुख लोगों के आधार अर्थात विश्वास की चर्चा की गयी है।
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