पिन्तेकुस्त की तैयारीEgzanp

आशीर्वाद की शर्त
निर्गमन 19:17-18 17 तब मूसा लोगों को परमेश्वर से भेंट करने के लिये छावनी से निकाल ले गया; और वे पर्वत के नीचे खड़े हुए। 18 और यहोवा जो आग में हो कर सीनै पर्वत पर उतरा था, इस कारण समस्त पर्वत धुएं से भर गया; और उसका धुआं भट्टे का सा उठ रहा था, और समस्त पर्वत बहुत कांप रहा था
प्रेरितों के काम 2:1-2 जब पिन्तेकुस का दिन आया, तो वे सब एक जगह इकट्ठे थे। 2 और एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उस से सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया।
पिन्तेकुस्त परमेश्वर का अपने लोगों से मिलने का पर्व है। सिनै में पहले पिन्तेकुस्त और प्रेरितों के काम 2 में नए नियम के पिन्तेकुस्त के बीच एक बड़ा अंतर है। पहले मे शमिल थे वो दास जो बन्धुआई से आजाद हुए थे और 10 दिन की यात्रा के बाद 40 दिन तक सिनै के पर्वत पर इन्तजार कर रहे थे। दूसरे में 120 शिष्य शामिल थे जो 40 दिनों तक जी उठे हुए मसीह के साथ रहे थे और 10 दिनों के लिए यरूशलेम में प्रतीक्षा कर रहे थे। दोनों में पर्मेश्वर की उपस्थिति का दर्शन आग, तेज हवा और कई दूसरी बातों से हुआ था। पहले उदाहरण में केवल मूसा को ही ऊपर जाने और परमेश्वर से मिलने की अनुमति दी गई थी; दूसरे में परमेश्वर स्वयं आग के रूप मे चेलो पर उतरता है ताकि वो उस पवित्र आत्मा उन्हे भर दे l पहले में हम देखते है कि लोग प्रतीक्षा करते-करते थक जाते हैं और मूर्तिपूजा और मौज-मस्ती की ओर मुड़ जाते हैं। दूसरे में यह होता है की 120 लोग एक साथ एक जगह और एक समझौते में इकट्ठे होते हैं। पहला पिन्तेकुस्त एक महा विपदा में समाप्त होता है जब मूसा ने व्यवस्था की तख्तियों को तोड़ दिया और लेवियों ने 3,000 पापियों को मार डाला।
दूसरे पिन्तेकुस्त के परिणाम में 120 चेले पवित्र आत्मा परमेश्वर से भर गए और 3000 लोगों को बचाए हुए देखने के लिए निकल पड़े।
क्या पिन्तेकुस्त को सफल बनाने का कोई रहस्य है? शायद यह की उन चेलो के सामान आज्ञाकारी बनना । यीशु ने अपने चेलों से कहा की वे यरूशलेम को न छोड़ें। इसलिए वे लगातार प्रार्थना में इकट्ठे हुए उस उपहार की प्रतीक्षा में जिसका वादा येशु ने दिया था । 120 बाइबिल में एक दिलचस्प संख्या है; यह सभी जगह देह के अंत की बात करता है। यह मनुष्य से वादा किए गए वर्षों की लंबाई है और वह उम्र है जिस पर मूसा की मृत्यु हुई थी । तो उस दिन ऊपरी कक्ष में बैठे हुए 120 लोग एक तरह से देह में मर गए थे और आत्मा में जीवन जीने की शुरुआत करते है। यह बात आज हमारे जीवनों में किस तरह लागू होती है? वो 120 लोग यरूशलेम में अलग-अलग स्थानों पर रह सकते थे और फिर भी शहर नहीं छोड़ने की यीशु की आज्ञा का पालन कर सकते थे। लेकिन वे एक साथ इकट्ठे हुए और वे एक मन और एक आत्मा के थे। क्या यह पिन्तेकुस्त के आशीष का रहस्य है?
इब्रानियों 10:25
25 और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो॥
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पिन्तेकुस्त पर 5 दिन का अध्याय जो विश्वासी के हिरदय को इस ख़ास दिन के लिए तैयार करेगा। विश्वासी के हिरदय को इस ख़ास दिन के लिए तैयार करेगा। जब हम इस यहूदी पर्व और नए नियम की पूर्ती को समझ जायेंगे तब हम पूरी तरह से पवित्र आत्मा के लिए तैयार हो जायेंगे।
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