भजन संहिता 139

139
प्रभु सर्वज्ञ है
मुख्‍यवादक के लिए। दाऊद का। एक भजन।
1हे प्रभु, तूने परख कर मुझे जान
लिया!#यिर 12:3
2तू मेरा उठना और बैठना जानता है,
तू दूर से ही मेरे विचार समझ लेता है।#2 रा 19:27
3तू मेरी यात्राओं और विश्राम-स्‍थलों का पता
लगा लेता है,
तू मेरे समस्‍त मार्गों से परिचित है।
4मेरे मुंह में शब्‍द आने भी नहीं पाता,
कि तू उसे पूर्णत: जान लेता है।#इब्र 4:13
5तू आगे-पीछे से मुझे घेरता,
और मुझपर अपना हाथ रखता है।
6प्रभु, यह ज्ञान मेरे लिए अद्भुत है,
बहुत गहरा है,
उस तक मैं नहीं पहुंच सकता।
7तेरे आत्‍मा से अलग हो मैं कहां जाऊंगा?
मैं तेरी उपस्‍थिति से कहां भाग सकूंगा?
8यदि मैं आकाश पर चढूं तो तू वहां है।
यदि मैं मृतक-लोक में बिस्‍तर बिछाऊं,
तो तू वहां है।#नीति 15:11; आमो 9:2
9यदि मैं उषा के पंखों पर उड़कर,
समुद्र के िक्षतिज पर जा बसूं,
10तो वहां भी तेरा हाथ मेरा नेतृत्‍व करेगा,
तेरा दाहिना हाथ मुझे पकड़े रहेगा।
11यदि मैं यह कहूं, ‘अन्‍धकार मुझे ढांप ले,
और मेरे चारों ओर का प्रकाश रात हो
जाए’,
12तो अन्‍धकार भी तेरे लिए अन्‍धकार नहीं है,
और रात भी दिन के सदृश चमकती है;
तेरे लिए अन्‍धेरा प्रकाश जैसा है।
13तूने ही मेरे भीतरी अंगों को बनाया है,
मेरी मां के गर्भ से तूने मेरी रचना की है।
14मैं तेरी सराहना करता हूं,
क्‍योंकि तू भय-योग्‍य और अद्भुत है#139:14 मूल में, ‘मैं अपूर्व और अद्भुत ढंग से रचा गया हूं।’
तेरे कार्य कितने आश्‍चर्यपूर्ण हैं!
तू मुझे भली भांति जानता है।
15जब मैं गुप्‍त स्‍थान में बनाया गया,
पृथ्‍वी के निचले स्‍थान में बुना गया,
तब मेरा कंकाल तुझसे छिपा न रहा।#अय्‍य 10:8-11
16तेरी आंखों ने मेरे भ्रूण को देखा;
तेरी पुस्‍तक में सब कुछ लिखा था,
दिन भी रचे गये थे,
जब वे दिन अस्‍तित्‍व में नहीं थे।
17हे परमेश्‍वर, तेरे विचार मेरे प्रति
कितने मूल्‍यवान हैं।
उनका योग कितना बड़ा है!#प्रव 18:5-7
18यदि मैं उनको गिनूं,
तो मुझे ज्ञात होगा कि वे धूलकण से भी
अधिक हैं;
जब मैं जागता हूं, तब भी मैं तेरे साथ हूं।
19हे परमेश्‍वर, भला होता कि तू दुर्जन को
मारता,
और हत्‍यारे मुझसे दूर हो जाते।
20वे द्वेषपूर्वक तेरा अनादर करते हैं,
वे बुराई के लिए तेरे विरुद्ध स्‍वयं को उन्नत
करते हैं!
21हे प्रभु, तुझसे बैर करनेवालों से क्‍या मैं बैर
न करूं?
तेरे विरोधियों के प्रति क्‍या मैं शत्रु-भाव न
रखूं?
22मैं उनसे हृदय से घृणा करता हूं,
मैं उनको अपना ही शत्रु समझता हूं।
23हे परमेश्‍वर, मुझे परख और मेरा हृदय
पहचान,
मुझे जांच और मेरे विचारों को जान!
24मुझे देख, क्‍या मैं कुमार्ग#139:24 अथवा, दु:खद मार्ग। पर चल रहा हूं?
प्रभु, मुझे शाश्‍वत मार्ग पर ले चल!#यो 14:6

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