यशायाह 23

23
फीनीकी बन्‍दरगाहों के विरुद्ध नबूवत#यहेज 26:1—28:19; योए 3:4-8; आमो 1:9-10; जक 9:3-4
1सोर के विरुद्ध नबूवत :
तर्शीश के जलयान शोक-मग्‍न हैं;
क्‍योंकि सोर बन्‍दरगाह नष्‍ट हो गया।
कुप्रुस द्वीप की ओर से आने पर उनको इस
बात का पता चला।
2समुद्र तट के निवासी,
सीदोन के व्‍यापारी विलाप कर रहे हैं।
इनके प्रतिनिधि व्‍यापार के उद्देश्‍य से
सागर को पार करते थे;
3वे अनेक सागरों की यात्रा करते थे।
शिहोर का अनाज, नील नदी की फसल
उन्‍हें आय में प्राप्‍त होती थी।
वे अनेक राष्‍ट्रों से व्‍यापार करते थे।
4सीदोन, जो समुद्री किला है,
निराशा में डूबकर यों कहता है:
“ओ समुद्र! अब मुझे गर्भवती स्‍त्री की
पीड़ाएं नहीं होतीं,
अब मुझे सन्‍तान नहीं होगी।
मेरे पुत्र नहीं हैं कि मैं उनका लालन-पालन
करूं;
पुत्रियाँ नहीं हैं कि मैं उनको बड़ा करूं।”
5जब यह खबर मिस्र देश में पहुँची,
उसके निवासी सोर के पतन का समाचार
सुन अत्‍यन्‍त व्‍यथित हुए।
6उन्‍होंने कहा,
‘जलयान से तर्शीश को जाओ;
ओ समुद्रतट के निवासियो, विलाप करो!
7क्‍या यही तुम्‍हारा समृद्ध नगर है
जिसकी स्‍थापना प्राचीन काल में हुई थी?
जिसके पैर उसे अपने उपनिवेश बसाने के
लिए
दूर-दूर देश ले गए थे?
8किसने सोर के विरुद्ध यह योजना बनाई थी?
सोर, जिसने अनेक राज्‍यों की स्‍थापना की,
जिसके व्‍यापारी सामन्‍त थे,
जिसके व्‍यापारियों का
समस्‍त पृथ्‍वी पर आदर किया जाता था।
9स्‍वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने यह योजना बनाई थी,
ताकि वह प्रत्‍येक अहंकारी का अहंकार
मिटा दे,
पृथ्‍वी के समस्‍त प्रतिष्‍ठित लोगों की प्रतिष्‍ठा
धूल में मिला दे।
10ओ तर्शीश के निवासियो, अब नील नदी के
खेतीहरों की तरह खेतों में काम करो;
क्‍योंकि बन्‍दरगाह नष्‍ट हो गया।
11प्रभु ने समुद्र पर अपना हाथ उठाया,
उसने राज्‍यों को हिला दिया।
प्रभु ने फीनीके देश के विषय में
यह आदेश दिया :
“उसके किलों को ढाह दो!”
12प्रभु ने यह कहा,
“ओ सीदोन की कुवांरी कन्‍या,
संत्रस्‍त नगरी,
तू समृद्ध नगरी नहीं रह सकेगी,
यद्यपि तेरे नागरिक उठकर कुप्रुस द्वीप
जाएंगे
तो भी उन्‍हें वहाँ आराम नहीं मिलेगा।”
13देखो, यह कसदी कौम का देश है;
वह राष्‍ट्र नहीं बना रहा।
असीरिया ने उस देश को विनष्‍ट कर
जंगली पशुओं का निवास-स्‍थान बना
दिया।
उन्‍होंने गढ़ बना-बनाकर मोर्चाबन्‍दी की;
उन्‍होंने उस के महल ढाह दिए;
उसको खण्‍डहरों का ढेर बना दिया।
14ओ तर्शीश के जलयानो, विलाप करो।
तुम्‍हारा बन्‍दरगाह ध्‍वस्‍त कर दिया गया।
15उस दिन से सोर देश
एक राजा की जीवन-आयु तक,
सत्तर वर्ष तक विस्‍मृत रहेगा।
सत्तर वर्ष के बाद
सोर की नियति यह होगी,
जैसा एक वेश्‍या-गीत में कहा गया है :
16“ओ विस्‍मृता।#23:16 ‘जो भुला दी गई’ वृद्धा-वेश्‍या!
हाथ में सितार ले नगर में घूम-फिर।
सितार पर मधुर राग बजा,
नए-नए गीत गा
कि लोगों को फिर तेरी याद आ जाए।”
17सत्तर वर्ष के पश्‍चात्
प्रभु सोर नगर की सुधि लेगा,
और सोर अपना पुराना
आजीविका का साधन अपनाएगा
पृथ्‍वी के समस्‍त राज्‍यों के साथ
व्‍यापार सम्‍बन्‍ध#23:17 अक्षरश: ‘वेश्‍यापन’। स्‍थापित करेगा।#प्रक 17:2
18उसके व्‍यापार का लाभ,
उसकी आय प्रभु को अर्पित की जायेगी।
अर्पण का यह धन
न भण्‍डारगृह में संचय किया जाएगा,
और न व्‍यर्थ उसको जमा किया जाएगा,
वरन् वह प्रभु के सम्‍मुख रहनेवालों के
प्रचुर भोजन और भव्‍य वस्‍त्रों पर व्‍यय
होगा।

वर्तमान में चयनित:

यशायाह 23: HINCLBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

YouVersion आपके अनुभव को वैयक्तिकृत करने के लिए कुकीज़ का उपयोग करता है। हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारी गोपनीयता नीति में वर्णित कुकीज़ के हमारे उपयोग को स्वीकार करते हैं।