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परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )Sample
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परमेश्वर का सीधा हस्तक्षेप
परमेश्वर पिता सिर्फ हमें देख ही नहीं रहे हैं,वरन वह सक्रिय रूप से हमारे जीवन में भाग ले रहे हैं । वैसे ही परमेश्वर पुत्र भी। कुलपतियों के युग में हम परमेश्वर की सक्रिय भागीदारी के विशिष्ट उदाहरण देखते हैं। असंख्य उदाहरणों में से, उसकी भागीदारी के कुछ आयाम निम्नलिखित हैंः
1. संगति - परमेश्वर का हमें बनाने का प्राथमिक कारण। पतन से पहले, परमेश्वर आदम के साथ बात करते और चलते थे । बाद में हम देखते हैं कि हनोक (उत्पत्ति 5:24), नूह, अय्यूब और कुछ अन्य लोगों ने परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संगति का आनंद उठाया।
2. न्याय - उसे पीड़ा होती है, वह अपनी धार्मिकता में, आदम और हव्वा और बाद में अपराधियों का न्याय करता है। अपने प्रेम के कारण वह नूह को जलप्रलय की, अब्राहम को सदोम और अमोरा के विनाश की सूचना देता है (उत्पत्ति 9:29), और अपने न्याय का बड़ा काम करने से पहले अपने करीबी लोगों को सूचित करता है।
3. भविष्यवाणी - वह भविष्य का संकेत देता है। जिसके कुछ उदाहरणों में नूह के साथ वाचा बांधना (उत्पत्ति 6:13), रिबका को संदेश देना कि याकूब एसाव पर शासन करेगा, यूसुफ, पिलानेहारे, पकानेहारे, फिरौन, अबीमेलेक इत्यादि के सपने शामिल हैं।
4. आशीष -वह अब्राहम, सारा, इसहाक (उत्पत्ति 25:11), याकूब (उत्पत्ति 35:9), यूसुफ आदि को आशीष देता है।
5. मार्गदर्शन - विश्वास की यात्रा से प्रतिज्ञा की भूमि तक अब्राहम की अगुवाई करने में कई बार परमेश्वर, अब्राहम पर अपने आप को प्रगट करते हैं (उत्पत्ति 17:1)। वह जहाज का निर्माण और प्रबंधन करने के लिए नूह को विस्तृत निर्देश देते हैं। नूह अपने मार्गदर्शन को स्वीकार करता है। परमेश्वर इसहाक पर प्रगट होते और याकूब का मार्गदर्शन करते हैं।
6. नया जन्म - परमेश्वर गर्भ को खोलते और बंद करते हैं। उदा. परमेश्वर ने रिबका की कोख खोली। उसने राहेल की कोख बंद की लेकिन उसने लिआ को गर्भ धारण करने में सक्षम बनाया (उत्पत्ति 29:31)। उन्होंने राहेल की कोख को खोला (उत्पत्ति 30:22)।
7. अकेलापन - उत्पत्ति में दो मामले हैं जहाँ यह वाक्य ‘‘परमेश्वर ....(नाम)..... के साथ था’’ प्रयोग किया गया है – अर्थात यूसुफ और इश्माएल (उत्पत्ति 21:20) - दो युवा लड़के अपने घर से अलग हो गए।
8. कठिनाई - जब हाजिरा ने सोचा कि इश्माएल मरने वाला है, तब प्रभु का दूत उसे दिखाई दिया। (उपत्ति 21:17)। जब याकूब वह एसाव से भाग रहा था तब परमेश्वर ने अपने आप को उस पर प्रगट किया है (उत्पत्ति 35:3) ।
9. सुरक्षा - परमेश्वर सारा की पवित्रता की सुरक्षा करता है (उत्पत्ति 20:3)। लाबान के घर से लौटते समय वह याकूब की रक्षा करता है।
10. प्रयास - परमेश्वर हमें अपने पास लाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रभु याकूब से मल्लयुद्ध करता है। (उत्पत्ति 32:28)
पवित्र आत्मा इन में भी सक्रिय हैः
·जीवन देता और बनाए रखता है - शारीरिक, आत्मिकः उत्पत्ति 1:2,26; 2:6,7; 6:3,17
·शत्रुओं पर कार्यवाही - न्यायियों 14:6,13
·स्वतंत्रत होने पर जीवन का अंत करता है.... उत्पत्ति 25:8
·अभिषिक्त करता हैः अभिषेक का तेल - पवित्र आत्मा के पूर्व प्रतीक - उत्पत्ति 27:39
·परमेश्वर के विरोधियों को परेशान करता है उदा. फिरौन - उत्पत्ति 41:8
·मार्गदर्शन करता है -1 राजा 18:12
·लोगों के माध्यम से भविष्यवाणियां करता है - गिनती 26:29, 24:3
·परमेश्वर का वचन बोलने की प्रेरणा देता है... ‘‘यहोवा का आत्मा मुझ में होकर बोला, और उसी का वचन मेरे मुंह में आया।’’ 2 शमूएल 23:2
·अगुवों को निर्देशित करता है - जैसे इस्त्राएल में - शाऊल, दाऊद, शिमशोन न्यायियों 13:25, यिप्तह (न्यायियों 11:29), इत्यादि
·बुद्धि, समझ, ज्ञान और सब प्रकार की कारीगरी प्रदान करता है; निर्गमन 35:31, 31:3
जबकि परमेश्वर के पुत्र के कई कार्य उपरोक्त गतिविधियों में शामिल नहीं हैं, हम अगले भाग में कुछ विशेष कार्यों को भी देखेंगे।
परमेश्वर आज सक्रिय हैं। हमारी प्रतिक्रिया क्या है? क्या हमारे पास अब्राहम के सामान विश्वास और आज्ञाकारिता है? याकूब जैसी सही बुनियादी बातें? क्या हमारे पास यूसुफ के समान शुद्धता, धैर्य और दृढ़ता है? क्या हम भी हमारे कुलपतियों के समान पद चिन्हों पर चल रहे हैं?
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पुराने नियम में, परमेश्वर ने लोगों (संपर्क) को चुना, उनके साथ अनेकों तरीकों से बातचीत की।यह, नए नियम के प्रकाश में, वचन के गहरे दृष्टिकोण को प्रदान करता है। परमेश्वर के संपर्को के चार भाग हैं, जिसमे पहला भाग पुराने नियम...
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