तबे: ऐक-दम प्रभू का ऐक दूत्त आऐयों तेथै कय्दखाँने दा खह्ड़ा हुवा, तबे सेजी कय्द खाँने की कुठड़ी प्रकाष-रोष्णी लई चंमम्की गऐ; अरह् तेने स्वर्गदूत्ते संत्त-पतरस की कुँछ़ थंप-थपाऐयों तिनू ऊँबे बीऊजाल़े, अरह् बुलो, “शीघा-ऊबा बीऊँज!” अरह् तबे संत्त-पतरस की शाँगल़ी-हथक्ड़ी खुलियों ऊदी धनियों पुडी पड़ी।