ऐजो ने के आँमें आपु-आप्खे ईन्दें ज़ूगै असो, के आप्णी ढबे शे कोसी बातो दा बिचार करी सको, परह् अमाँरी काबलिय्त्त पंण्मिश्वर की ढबे शी असो, जिन्ऐं आँमों नुऐं बाय्दे के दास बण्णों ज़ुगे भे करे, ऐजा बाय्दा ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म ने आथी, जैसी बाय्दे ना माँन्णों लई मंऊँत्त आँव; परह् पबित्र-आत्त्मा अमर-जीवन दियों।