रोमियों 5

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परमेश्‍वर से हमारा मेल हो गया है
1यदि हम विश्‍वास के कारण धार्मिक ठहराए गए हैं, तो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर में शान्‍ति प्राप्‍त होती है।#रोम 3:24,28; 4:24; यश 53:5 2मसीह ने हमारे लिए उस अनुग्रह तक पहुँचने का द्वार भी खोला है, जो हमें विश्‍वास से प्राप्‍त होता है और जिसमें हम स्‍थित हैं। हम इस बात पर गौरव करते हैं कि हमें परमेश्‍वर की महिमा के भागी बनने की आशा है।#इफ 3:12; रोम 3:23 3इतना ही नहीं, हम दु:ख-तकलीफ पर भी गौरव करें, क्‍योंकि हम जानते हैं कि दु:ख-तकलीफ से धैर्य,#याक 1:2-3; 1 पत 1:5-7 4धैर्य से सच्‍चरित्रता और सच्‍चरित्रता से आशा उत्‍पन्न होती है। 5आशा व्‍यर्थ नहीं होती, क्‍योंकि परमेश्‍वर ने हमें पवित्र आत्‍मा प्रदान किया है और उसके द्वारा परमेश्‍वर का प्रेम ही हमारे हृदय में उंडेला गया है।#भज 22:5; 25:20; इब्र 6:18-19
6जब हम निस्‍सहाय थे, तभी निर्धारित समय पर मसीह हम अधर्मियों के लिए मरे। 7धार्मिक मनुष्‍य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्‍य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये, 8किन्‍तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मरे। इससे परमेश्‍वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।#यो 3:16; 1 यो 4:10 9यदि हम मसीह के रक्‍त के कारण धार्मिक ठहराए गये, तो हम निश्‍चय ही मसीह द्वारा परमेश्‍वर के प्रकोप से बच जायेंगे।#रोम 1:18; 2:5,8 10हम शत्रु ही थे, जब परमेश्‍वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्‍यु द्वारा हो गया था; और परमेश्‍वर के साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्‍चय ही हमारा उद्धार होगा।#रोम 8:7 11इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर से हमारा मेल हो गया है; इसलिए हम उन्‍हीं के द्वारा परमेश्‍वर पर भरोसा रख कर गौरव करते हैं।
आदम द्वारा मृत्‍यु तथा मसीह द्वारा जीवन
12यह बात विचारणीय है कि एक ही मनुष्‍य द्वारा संसार में पाप का प्रवेश हुआ और पाप द्वारा मृत्‍यु का। इस प्रकार मृत्‍यु सब मनुष्‍यों में फैल गयी, क्‍योंकि सब पापी हैं#उत 2:17; 3:19; रोम 6:23; प्रज्ञ 2:24 #5:12 अथवा, ‘जिसके कारण सब ने पाप किया है।’ 13मूसा की व्‍यवस्‍था से पहले संसार में पाप था; किन्‍तु व्‍यवस्‍था के अभाव में पाप का लेखा नहीं रखा जाता है।#रोम 4:15 14फिर भी आदम से लेकर मूसा तक मृत्‍यु उन लोगों पर भी राज्‍य करती रही, जिन्‍होंने आदम की तरह किसी आज्ञा के उल्‍लंघन द्वारा पाप नहीं किया था।
आदम उस व्यक्‍ति का प्रतीक था, जो आनेवाला था।#1 कुर 15:21-22,45,55 15फिर भी आदम के अपराध तथा परमेश्‍वर के वरदान में कोई तुलना नहीं है। यह सच है, कि एक ही मनुष्‍य के अपराध के कारण सब#5:15 शब्‍दश: ‘बहुत’ लोग मरे; किन्‍तु इस परिणाम से कहीं अधिक महान है परमेश्‍वर का अनुग्रह और वह अनुग्रहपूर्ण वरदान, जो एक ही मनुष्‍य−येशु मसीह−द्वारा सब को मिला। 16एक मनुष्‍य के अपराध तथा परमेश्‍वर के वरदान में कोई तुलना नहीं है। एक के अपराध के फलस्‍वरूप दण्‍डाज्ञा तो दी गयी, किन्‍तु बहुत-से अपराधों के बाद जो वरदान दिया गया, उसके द्वारा पाप से मुक्‍ति मिल गयी है। 17यह सच है कि मृत्‍यु का राज्‍य एक मनुष्‍य के अपराध के फलस्‍वरूप—एक ही के द्वारा—प्रारम्‍भ हुआ, किन्‍तु इस परिणाम से कहीं अधिक जिन लोगों को परमेश्‍वर का अनुग्रह तथा धार्मिकता का वरदान प्रचुर मात्रा में मिलेगा, वे एक ही मनुष्‍य—येशु मसीह के द्वारा—जीवन का राज्‍य प्राप्‍त करेंगे।
18इस प्रकार हम देखते हैं कि जिस तरह एक ही मनुष्‍य के अपराध के फलस्‍वरूप सब को दण्‍डाज्ञा मिली, उसी तरह एक ही मनुष्‍य के धार्मिक कार्य के फलस्‍वरूप सब को पापमुक्‍ति और जीवन मिला।#1 कुर 15:22 19जिस तरह एक ही मनुष्‍य के आज्ञाभंग के कारण सब पापी ठहराये गये, उसी तरह एक ही मनुष्‍य के आज्ञापालन के कारण सब धार्मिक ठहराये जायेंगे।#यश 53:11
20बाद में व्‍यवस्‍था दी गयी और इस से अपराधों की संख्‍या बढ़ गयी। किन्‍तु जहाँ पाप की वृद्धि हुई, वहाँ अनुग्रह की उससे कहीं अधिक वृद्धि हुई।#रोम 4:15; 7:8; गल 3:19 21इस प्रकार पाप, मृत्‍यु के माध्‍यम से, राज्‍य करता रहा; किन्‍तु हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा अनुग्रह, धार्मिकता के माध्‍यम से, अपना राज्‍य स्‍थापित करेगा और हमें शाश्‍वत जीवन में ले जायेगा।#रोम 6:23

Àwon tá yàn lọ́wọ́lọ́wọ́ báyìí:

रोमियों 5: HINCLBSI

Ìsàmì-sí

Pín

Daako

None

Ṣé o fẹ́ fi àwọn ohun pàtàkì pamọ́ sórí gbogbo àwọn ẹ̀rọ rẹ? Wọlé pẹ̀lú àkántì tuntun tàbí wọlé pẹ̀lú àkántì tí tẹ́lẹ̀