प्रेरितों 22
22
भीड़ के सम्मुख पौलुस का भाषण
1“भाइयो और गुरुजनो! अब मेरे पक्ष के समर्थन में मेरा वक्तव्य सुनिये।”#प्रे 7:2; 13:26 2जब लोगों ने सुना कि वह उन्हें इब्रानी भाषा में सम्बोधित कर रहे हैं, तो वे और भी चुप हो गये। पौलुस ने यह कहा,#प्रे 21:40 3“मैं यहूदी हूँ। मेरा जन्म किलिकिया के तरसुस नगर में हुआ था, किन्तु मैंने इस नगर में गमालिएल के चरणों में बैठकर अपनी शिक्षा-दीक्षा पाई।#22:3 अथवा, “किन्तु इस नगर में मेरा पालन-पोषण हुआ। गमालिएल के चरणों में बैठकर, मैंने...” पूर्वजों की व्यवस्था का मैंने विधिवत् अध्ययन किया।#प्रे 9:1-29; 26:9-20 मैं परमेश्वर का वैसा ही उत्साही उपासक बना, जैसे आप सब हैं।#प्रे 5:34; रोम 10:2 4मैंने इस ‘मार्ग’ को नष्ट करने के लिए इसके अनुयायियों को बहुत सताया। मैंने इसके स्त्री-पुरुषों को बाँध-बाँध कर बन्दीगृह में डाल दिया था।#प्रे 8:3 5प्रधान महापुरोहित तथा धर्मवृद्धों की समस्त धर्म-महासभा मेरी इस बात के साक्षी हैं। उन्हीं से पत्र ले कर मैं दमिश्क के भाइयों के पास जा रहा था, जिससे वहाँ के लोगों को भी बाँध कर यरूशलेम ले आऊं और दण्ड दिलाऊं।
6“जब मैं यात्रा करते-करते दमिश्क के पास पहुँचा, तो दोपहर के लगभग एकाएक आकाश से एक प्रचण्ड ज्योति मेरे चारों ओर चमक उठी। 7मैं भूमि पर गिर पड़ा और मैंने एक आवाज सुनी। कोई मुझसे कह रहा था, ‘शाऊल! शाऊल! तू मुझे क्यों सता रहा है?’ 8मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु! आप कौन हैं!’ उन्होंने मुझ से कहा, ‘मैं येशु नासरी हूँ, जिस को तू सता रहा है।’ 9मेरे साथियों ने ज्योति तो देखी, किन्तु मुझ से बात करने वाले की आवाज नहीं सुनी। 10मैंने कहा, ‘प्रभु! मुझे क्या करना चाहिए?’ प्रभु ने उत्तर दिया, ‘उठ और दमिश्क जा। जो भी कार्य तेरे करने के लिये निर्धारित किया गया है, वह सब तुझे वहाँ बताया जायेगा।’ 11जब उस ज्योति के तेज के कारण मुझे कुछ दिखाई न दिया, तो मैं अपने साथियों के हाथ पकड़े हुए दमिश्क में आया।
12“वहाँ हनन्याह नामक एक व्यक्ति थे। वह व्यवस्था पर चलने वाले धर्मनिष्ठ थे और वहाँ रहने वाले यहूदियों में उनका अच्छा नाम था। 13वह मेरे पास आकर खड़े हो गये और मुझसे बोले, ‘भाई शाऊल! दृष्टि प्राप्त कीजिए।’ उसी क्षण मुझे दृष्टि मिल गई और मैंने उन्हें देखा। 14तब हनन्याह ने कहा, ‘हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने पहले से आप को इसलिए चुना कि आप उसकी इच्छा को जानें, धर्मात्मा येशु के दर्शन करें और उनके मुख की वाणी सुनें;#प्रे 3:14 15क्योंकि आपको परमेश्वर की ओर से सब मनुष्यों के सामने उन बातों की साक्षी देनी है, जिन्हें आपने देखा और सुना है। 16अब आप देर क्यों करते हैं? उठिए, बपतिस्मा ग्रहण कीजिए और येशु का नाम लेकर अपने पापों को धो डालिए।’#2 तिम 2:22
17“जब मैं यरूशलेम लौटा और मन्दिर में प्रार्थना कर रहा था, तो मैं आत्मा से आविष्ट हो गया।#प्रे 9:26; 11:30; गल 1:18-19 18मैंने देखा कि प्रभु येशु मुझ से यह कह रहे हैं : ‘जल्दी कर और यरूशलेम से शीघ्र चला जा, क्योंकि वे मेरे विषय में तेरी साक्षी स्वीकार नहीं करेंगे।’ 19मैंने कहा, ‘प्रभु! वे जानते हैं कि मैं ही आप में विश्वास करने वालों को हर सभागृह में गिरफ्तार करता था और उन्हें कोड़े लगवाता था।#प्रे 22:4 20और जब आपके साक्षी स्तीफनुस का रक्त बहाया जा रहा था, तो मैं उसका समर्थन करता हुआ वहाँ खड़ा था। जो लोग उनका वध कर रहे थे, मैं उनके वस्त्रों की रखवाली कर रहा था।’#प्रे 7:58; 8:1 21इस पर प्रभु ने मुझ से कहा, ‘जा, क्योंकि मैं तुझे अन्य-जातियों के पास दूर-दूर तक भेजूँगा’।”#प्रे 9:15; 13:2
पौलुस की रोमन नागरिकता
22लोग पौलुस के इस कथन तक सुनते रहे; किन्तु अब वे चिल्ला उठे, “इस मनुष्य को पृथ्वी से मिटा दो। यह जीवित रहने योग्य नहीं है।”#प्रे 21:35 23जब वे चिल्लाने, अपने वस्त्र उछालने और आकाश में धूल उड़ाने लगे, 24तो सेना-नायक ने पौलुस को किले में ले जाने और कोड़े लगाकर उसकी जाँच करने का आदेश दिया, जिससे यह पता चले कि लोग पौलुस के विरुद्ध इस प्रकार क्यों चिल्ला रहे हैं।
25जब वे कोड़े लगाने के लिए उन्हें बाँध रहे थे, तो पौलुस ने पास खड़े शतपति से पूछा, “क्या आप कानून के अनुसार ऐसे व्यक्ति को कोड़े लगा सकते हैं, जो रोमन नागरिक है और दोषी भी प्रमाणित नहीं हुआ है?” #प्रे 16:37; 23:27 26यह सुनकर शतपति सेना-नायक को इसकी सूचना देने गया और बोला, “आप यह क्या करने जा रहे हैं? यह व्यक्ति रोमन नागरिक है।”
27सेना-नायक ने पौलुस के पास आ कर पूछा, “मुझे बताओ, क्या तुम रोमन नागरिक हो?” पौलुस ने कहा, “जी हाँ।” 28इस पर सेना-नायक ने कहा, “मुझे यह नागरिकता मोटी रकम देने पर प्राप्त हुई।” पौलुस ने उत्तर दिया, “मैं तो जन्म से ही रोमन नागरिक हूँ।” 29तब जो लोग पौलुस की जाँच करने वाले थे, वे तुरन्त हट गये और सेना-नायक भी यह जान कर सहम गया कि पौलुस रोमन नागरिक हैं और उसने पौलुस को बेड़ियों से बँधवाया है।
धर्म-महासभा के सामने पौलुस
30दूसरे दिन सेना-नायक ने पौलुस के बन्धन खोल दिये और महापुरोहितों तथा समस्त धर्म-महासभा को एकत्र हो जाने का आदेश दिया; क्योंकि वह जानना चाहता था कि यहूदी पौलुस पर कौन-सा अभियोग लगा रहे हैं। तब वह पौलुस को नीचे ले गया और धर्म-महासभा के सामने उनको खड़ा किया।
Àwon tá yàn lọ́wọ́lọ́wọ́ báyìí:
प्रेरितों 22: HINCLBSI
Ìsàmì-sí
Pín
Daako

Ṣé o fẹ́ fi àwọn ohun pàtàkì pamọ́ sórí gbogbo àwọn ẹ̀rọ rẹ? Wọlé pẹ̀lú àkántì tuntun tàbí wọlé pẹ̀lú àkántì tí tẹ́lẹ̀
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.