लूका 15
15
खुवाया तका गारा की केणी
(मत्ती 18:12–14)
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लूका 5:29,30 एक दन नरई लगान लेबावाळा अन पापी ईसू का नके आया, ताँके वाँका उपदेस हुणे। 2तो फरीसी अन सास्तरी बड़बड़ करन केवा लागा के, “यो तो पाप्याऊँ मले–जूले हे अन वाँके हाते खावे-पीवे भी हे।”
3ईंपे ईसू वाँने एक केणी केबा लागा, 4“मानो थाँकामूँ किंका नके हो गारा हे अन वाँका मूँ एक खुवा जावे, तो कई नन्याणूँ ने हुन्ना काकड़ में छोड़न वणी खुवाया तका गाडरा ने जद्याँ तईं होदतो रेवे तद्याँ वो मल ने जावे? हाँ वो अस्यानीस करे हे। 5जद्याँ वो मल जावे तो वींने आणन्दऊँ आपणाँ खाँदा ऊपरे तोक लेवे हे। 6अन घर में आन यार-दोस्ताऊँ अन आस-पड़ोस्याँ ने भेळा करन केवे हे के, ‘आणन्द मनावो, काँके मारो खुवायो तको गाडरो मलग्यो हे।’ 7मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, अणीईस तरियाऊँ एक मन फेरबावाळा पापी का बारा भी हरग में अतरोइस आणन्द वेगा, जतरो वणा नन्याणूँ धरमी भगताँ का वाते ने वेवे हे ज्याँने मन बदलवा की कई जरुरत ने हे।”
खुवायो तको रिप्यो
8“अस्यानीस एक लुगई हे अन जिंका नके दस चाँदी सिक्का वे अन वाँका मूँ एक गम जावे, तो वाँ दिवो बाळन अन घर में बुवारो काड़न जद्याँ तईं मल ने जावे तद्याँ होदती रेवे। 9जद्याँ मल जावे हे, तो वाँ आपणी गोटणा अन पड़ोस्याँ ने भेळा करन केवे हे के, ‘आणन्द करो, काँके मारो खुवायो तको चाँदी का सिक्को मलग्यो हे।’ 10मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, अणीस तरियाऊँ एक मन फेरबावाळा पापी का बारा में परमेसर का हरग-दुताँ का हामें आणन्द वेवे हे।”
खुवायो तको पूत
11पसे ईसू क्यो, “कणी मनक के दो बेटा हा। 12वणा मूँ नानक्ये बेटे आपणाँ बापऊँ क्यो, ‘ओ बापू, धन-दोलत मूँ ज्यो भाग मारे पाँती आवे हे वो मने दिदो।’ तो वणी आपणी हारी दोलत दुयाँ में बाट दिदी। 13अन थोड़ाक दन केड़े नानक्यो बेटो आपणी पांती को धन-दोलत ज्यो हो वींने भेळो करन नरई छेटी का देस में परोग्यो अन वटे बुरा कामाँ में आपणी हारी धन-दोलत ने उड़ा दी। 14जद्याँ वणी हारी धन-दोलत उड़ई दिदी अन पसे वणी देस में जोरदार काळ पड़्यो अन वो कंगाळ वेग्यो अन परेसानी में रेवा लागो। 15अन वो वणी देस में रेबावाळा मूँ एक का वटे दानकी करबा ने ग्यो। वणी वींने आपणाँ खेत में हूरा ने चराबा का वाते खन्दायो। 16अन वो छोरो छावतो हो के, वणा फळ्याऊँ जिंने हूर खाता हा आपणी भूक मटावे हे, पण वींने कुई भी कई ने देतो हो।
17“जद्याँ वो आपणाँ आपाँ में आयो, तद्याँ वो केबा लागो के, ‘मारा बाप के कतराई दानक्याँ हे वाँने भरपेट खाणो मले हे अन मूँ अटे भूका मररियो हूँ। 18ईं वाते मूँ अबे अटूँ आपणाँ बापू का नके जाऊँ अन वाँकाऊँ केऊँ, “ओ बापू, में हरग का परमेसर अन थाँका विरोद में पाप किदो हे। 19अबे मूँ अणी जोगो ने रियो के, थाँको बेटो केवऊँ, मने थाँका अटे आपणाँ एक दानक्याँ का जस्यान राक लो।” ’ 20तद्याँ वो वटूँ आपणाँ पापाँ का नके परोग्यो।
“वो थोड़ाक छेटी हो अन वींका बापू वींने देक लिदो तो वींका बापू ने वींपे घणी दया अई। ईं वाते वो दोड़न वींने आपणे गळे लगा दिदो अन बोको दिदो। 21वणी बेटे वींका बापूऊँ क्यो, ‘ओ बापू, में थाँकी देकणी में अन परमेसर का विरोद में पाप किदो हे, अन अबे मूँ थाँको बेटो केवावे के, जोगो ने रियो हूँ।’ 22पण, वींका बापू आपणाँ दासा ने क्यो, ‘फटाकऊँ हव गाबा लावो अन ईंने पेरावो अन ईंका हात में वीटी अन ईंका पंगा में बुट पेरावो। 23अन एक मोटो जनावर लावो अन मारो, ताँके वींने खाबा अन आणन्द मनावा। 24काँके मारो ओ बेटो मरग्यो हो अन पाछो जीवग्यो हे, खुवाग्यो हो पण अबे पाछो लादग्यो हे।’ वीं आणन्द करबा लागग्या।
25“पण, वींको मोटो बेटो ज्यो कूण्ड़ा पे हो, जद्याँ वो घरे का नके आयो तो वींने गावा-बजावा की अवाज हुणई दिदी। 26तो वणी एक दास ने आपणाँ नके बलान क्यो, ‘यो हारोई कई वेरियो हे?’ 27दास वणीऊँ क्यो, ‘थारो नानक्यो भई आयो हे अन थाँरा बापू एक मोटो जनावर काट्यो हे काँके वो हाजो-हातरो पाछो आग्यो हे।’ 28यो हुणन वो घणी रीस में आग्यो अन घर में ने जाणो छायो, पण वींका बापू बारणे आन वींने मनावा लागा। 29वणी आपणाँ बापू ने क्यो के, ‘देको, मूँ अतरा सला वेग्या थाँकी हाँचा मनऊँ सेवा कररियो हूँ अन कदी भी थाँका हुकम ने ने टाळ्यो हे, तद्याँ भी थाँ मने एक बकरी को बच्यो भी ने दिदो हे के, मूँ आपणाँ हण्डाळ्याँ का हाते आणन्द मनातो। 30अन जद्याँ थाँको यो बेटो, जणी थाँकी धन-दोलत बुरा कामाँ में उड़ान आयो हे, तो थाँ वींका वाते एक मोटो जनावर काट्यो हे।’ 31ईंपे बाप वणीऊँ क्यो, ‘हे बेटा, थूँ हमेस्यान मारा हाते रियो हे अन ज्यो कई मारो हे वो हारो थाँरोईस तो हे। 32पण, अबे आणन्द मना अन राजी वेणो छावे, काँके यो थाँरो भई ज्यो मरग्यो हो पाछो जीवतो वेग्यो हे, यो खुवाग्यो हो पण अबे पाछो लादग्यो हे।’ ”
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