योजना की जानकारी

इस बात पर विश्वास करना कि परमेश्वर भला है, चाहे कुछ भी हो जायेनमूना

Believing God Is Good No Matter What

दिन 4 का 5

अच्छाई का सहारा लेना

आपने पहले भी सुना होगा: ज़िंदगी बहुत कठिन है; पर परमेश्वर भला है। यह वाक्य किसी éमुहावरे से कहीं अधिक बढ़कर है: यह ’ एक मजबूत और ठोस आध्यात्मिक सत्य है। कुछ अद्भुत और चतुर लोग प्राय: इस तरह के प्रश्नों से ही लड़ते रहतें है, जैसे कि “यदि परमेश्वर भला है,तो मेरे साथ यह क्यों हुआ? मेरे साथ अन्याय होने की अनुमति क्यों दी गई?, तथा यह जीवन इतना कठिन क्यों होता है?” ऐसे चतुर लोगों ने वास्तविकता में यही निष्कर्ष निकाला हैं कि जीवन कठिन है और परमेश्वर भला है। एक दूसरे को रद्द ’ नहीं करता। वे इसे “ ईशशास्त्र (प्राकृतिक और नैतिक आपदा को अनुमत करने में ईश्वर के न्याय की पुष्टि) कहतें हैं। ”

बहुत से लोगों की यह धारणा होती है, क्योंकि जीवन कठिन है, परमेश्वर अच्छे नहीं होने चाहिए; लेकिन ऐसा नहीं है। इसमें ’ यह या/वह वाला दृश्य नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व, मैंने यह तय किया कि जब मैं किसी “क्योँ? का ’ उत्तर न दे सकूँ, ”उपरोक्त वाक्य का हिस्सा (“यदि परमेश्वर भला है, तो _____ क्योँ हुआ?”), मैंने तय किया कि मैं इस “ यदि को हटा दूँगा/दूँगी। ” ” दूसरे शब्दों में, चाहे कुछ भी हो जाए..... परमेश्वर भला है, मैंने इस बात पर विश्वास करने को चुना।

आप भी परमेश्वर की ’ भलाई में स्वयं के लिए सहारा पा सकते हो।

कैसी भी परिस्थितियाँ क्योँ न हों, उनके बावजूद परमेश्वर की भलाई को हर जगह देखना आरम्भ करें। हो सकता है कि किसी एक अवसर का दरवाज़ा बंद हो जाये, लेकिन हो सकता है परमेश्वर के पास आपको देने के लिए कुछ और बेहतर हो जिसे पाने के लिए हमें किसी अन्य दरवाज़े से होकर जाना पड़ेगा। ऐसा मेरे जीवन में अनेकों बार हुआ है कि मैं तो अब इसकी उम्मीद करता रहता हूँ। जब कोई बात मेरे अनुसार या मेरी इच्छा से ’ नहीं होती, तब मैं स्वयं को, परमेश्वर के ’ पिछले कामों जो उन्होंने मेरे जीवन में किये, स्मरण करवाता/करवाती हूँ तथा उस आनेवाले अवसर की प्रतीक्षा करना आरम्भ कर देता/देती हूँ, जो इस प्रक्रिया के माध्यम से परमेश्वर की ’सर्वश्रेष्ठ योजना को उजागर करेगा।

परमेश्वर की भलाई का आश्रय लेना ’ हमेशा तर्कसंगत नहीं होनेवाला। परमेश्वर की दीर्घता को, जीवन की कठिनाइयों के सामने, छोटा न करने का यह ’एक हठी तथा कठिन दृढ संकल्प है।

इसके बारे में सोचें: ऐसे कौन से तरीके हैं जिनसे, विपरीत परिस्थितियों में भी आप स्वयं को परमेश्वर ’की भलाई का स्मरण करा सकतें हैं ?

प्रार्थना: परमेश्वर, आपकी भलाई में आश्रय लेने में मेरी सहायता करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करतें हैं। आज मुझे सामर्थ दीजिये कि मैं सोचना बंद कर दूँ, और प्रत्येक परिस्थिति में आपके अनुग्रह को देखना आरम्भ कर दूँ। यीशू मसीह ’के नाम से। आमीन।


पवित्र शास्त्र

दिन 3दिन 5

इस योजना के बारें में

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इस योजना को उपलब्ध कराने के लिए हम वॉटरब्रूक मलनामाह प्रकाशन समूह का धन्यवाद करतें हैं। और अधिक जानकारी के लिए कृप्या: www.goodthingsbook.com पर जाएँ।

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