मसीहा याीशु में नया जीवननमूना

उतार फेंको
कुलुस्सियों 3:5 की आयत वाक्यांश “मार डालो” से शुरू होती है और यह हमें बहुत सी अत्याधिक घृणित बातों को मारने का निर्देश देती है। अगली कई आयतों में, दरअसल हमें बताया गया है हम उन पापी कामों को छोड़ दें जिनमें विभिन्न यौन पाप शामिल हैं परन्तु उनके साथ क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्दा और मुँह से गालियाँ बकना, और झूठ बोलना जैसी बातों को भी। इन सब बुरे कामों को केवल इसलिए छोड़ना कि हम इस बात से डरते हैं कि परमेश्वर क्या करेगा, इससे बात नहीं बनेगी क्योंकि परमेश्वर इस तरह काम नहीं करता। पाप से लड़ना ऐसा काम है जिसे हमें अपने मनुष्यत्व के कारण निरन्तर करते रहना पड़ेगा, परन्तु यह मसीही जीवन का लक्ष्य नहीं है। पर यीशु को जानना है।
हमें उन पापी कामों से उनकी शक्ति छीन लेनी चाहिए जो हमें अपनी पकड़ में लेने के लिए लुभाते हैं। क्यों? क्योंकि ये पुराने, पापी आचरण मसीह में हमारे नए जीवन से मेल नहीं खाते हैं। यह किसी ऐसे दिन फर लगे हुए सर्दी के जूते पहनने के समान है, जब बाहर का तापमान 50° सेल्सियस हो — इन बातों में कोई तालमेल नहीं है। या किसी नवजात शिशु को हड्डी वाले माँस का टुकड़ा दे देना — इन बातों में कोई तालमेल नहीं है। और इन आयतों में वर्णित पाप और मसीह में हमारे नए जीवन के बीच — कोई तालमेल नहीं है।
इसके कारण, हमें कुछ ऐसे चुनाव करने पड़ेंगे जो हर उस बात के विरुद्ध जाएँगे जिसे हमारा शरीर चाहता है। हमें अपने फ़ोन जैसे उपकरणों में फ़िल्टर लगाने होंगे ताकि हम उन बातों से सुरक्षित रह सकें जो हमारे दिमागों में छप जाएँगी। हमें अपने क्रोध और रोष की जड़ तक जाना होगा और अपने आपको ऐसी परिस्थितियों से बचाना होगा जिनमें हम सुध-बुध खो बैठते हैं। हमें अपनी बोली में सुधार करना होगा ताकि जब हमारे शब्द किसी के कान में पड़ें तो वे जीवन को लेकर आएँ न कि मृत्यु को।
कुछ लोग शायद कहेंगे, “यह कहना कि हमें अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी करने या कहने में सक्षम नहीं होना चाहिए, यह तो बस विधि-सम्मत होना है। मैं मसीह में स्वतंत्र हूँ।” यह सच है कि, हम are मसीह में स्वतंत्र हैं, पर जब हम किसी भी बात की अत्याधिक अनुमति देते हैं, चाहे भली हो या बुरी, तब हम धीरे-धीरे स्वतंत्रता से बँधुआई की ओर जाने लगते हैं। और, हमारी रक्षा करने में सहायता करने और हमारे जीवनों से पाप को नष्ट करने के लिए बातों को उनको स्थान पर रखना विधि-सम्मत होना नहीं है। इसे भले विवेक का प्रयोग करना और खरी बुद्धि को लागू करना कहा जाता है।
दरअसल वास्तविकता यह है कि, परमेश्वर को पूरी रीति से हमारे जीवनों पर राज्य करने की अनुमति देने से हमें केवल लाभ ही होता है। वह हमसे यह नहीं चाहता कि हम पुरानी आदतों और कमियों को केवल इसलिए हटा दें क्योंकि उन्हें हटाना हमारा काम है। नहीं, हमारे जीवनों के लिए उसकी इच्छा यह है कि वे समृद्ध और भरपूर हों। अर्थात् कुछ भी — यानी कोई समस्या, कोई लत, कोई भय, कोई चिन्ता, कुछ भी — हमें मसीह में अपना नया जीवन जीने से रोक नहीं पाएगा।
चिन्तन करें
- यदि मैं जीवन की बातें नहीं बोल सकता, तो मुझे ऐसा करने से क्या रोकता है?
- यदि हमारे काम निरन्तर पापमय हों, तो जिस बात से मैं अपने जीवन को शुद्ध नहीं कर रहा हूँ वही मुझे इस शैली में बनाए रखती है?
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

मसीह के अनुयायी होने के नाते, हमारे पास मसीह में एक नया जीवन है। लेकिन, इसका क्या मतलब है? इस बाइबल योजना में, आप सीखेंगे कि मसीह में एक नया जीवन क्या है, मसीह के समान गुणों को विकसित करके बेकार चीजों को कैसे जड़ से उखाड़ फेंका जाए, और सब कुछ कैसे कहा और किया जाए जैसे कि हम इसे स्वयं मसीह के लिए कर रहे थे।
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