रोमियों 4:4-8
रोमियों 4:4-8 पवित्र बाइबल (HERV)
काम करने वाले को मज़दूरी देना कोई दान नहीं है, वह तो उसका अधिकार है। किन्तु यदि कोई व्यक्ति काम करने की बजाय उस परमेश्वर में विश्वास करता है, जो पापी को भी छोड़ देता है, तो उसका विश्वास ही उसके धार्मिकता का कारण बन जाता है। ऐसे ही दाऊद भी उसे धन्य मानता है जिसे कामों के आधार के बिना ही परमेश्वर धर्मी मानता है। वह जब कहता है: “धन्य हैं वे जिनके व्यवस्था रहित कामों को क्षमा मिली और जिनके पापों को ढक दिया गया! धन्य है वह पुरुष जिसके पापों को परमेश्वर ने गिना नहीं हैं!”
रोमियों 4:4-8 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
जो कर्म करता है, उसे मजदूरी अनुग्रह के रूप में नहीं, बल्कि अधिकार के रूप में मिलती है। जो कर्म नहीं करता, किन्तु उस में विश्वास करता है, जो अधर्मी को धार्मिक बनाता है तो उसका यह विश्वास धार्मिकता माना जाता है। इसी तरह दाऊद उस मनुष्य को धन्य कहते हैं, जिसे परमेश्वर कर्मों के अभाव में भी धार्मिक मानता है : “धन्य हैं वे, जिनके अपराध क्षमा हुए हैं, जिनके पाप ढक दिये गये हैं! धन्य है वह मनुष्य, जिसके पाप का लेखा प्रभु नहीं रखता!”
रोमियों 4:4-8 Hindi Holy Bible (HHBD)
काम करने वाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक समझा जाता है। परन्तु जो काम नहीं करता वरन भक्तिहीन के धर्मी ठहराने वाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिना जाता है। जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाउद भी धन्य कहता है। कि धन्य वे हैं, जिन के अधर्म क्षमा हुए, और जिन के पाप ढांपे गए। धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।
रोमियों 4:4-8 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक्क समझा जाता है। परन्तु जो काम नहीं करता वरन् भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना जाता है। जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है : “धन्य हैं वे जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढाँपे गए। धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।”
रोमियों 4:4-8 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
काम करनेवाले की मजदूरी देना दान नहीं, परन्तु हक़ समझा जाता है। परन्तु जो काम नहीं करता वरन् भक्तिहीन के धर्मी ठहरानेवाले पर विश्वास करता है, उसका विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना जाता है। जिसे परमेश्वर बिना कर्मों के धर्मी ठहराता है, उसे दाऊद भी धन्य कहता है: “धन्य वे हैं, जिनके अधर्म क्षमा हुए, और जिनके पाप ढांपे गए। धन्य है वह मनुष्य जिसे परमेश्वर पापी न ठहराए।” (भज. 32:2)
रोमियों 4:4-8 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
मज़दूर की मज़दूरी उसका उपहार नहीं, अधिकार है. वह व्यक्ति, जो व्यवस्था का पालन तो नहीं करता किंतु परमेश्वर में, जो अधर्मी को निर्दोष घोषित करते हैं, विश्वास करता है, इसी विश्वास के द्वारा धर्मी व्यक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त करता है. जैसे दावीद ने उस व्यक्ति की धन्यता का वर्णन किया है, जिसे परमेश्वर ने व्यवस्था का पालन न करने पर भी धर्मी घोषित किया: धन्य हैं वे, जिनके अपराध क्षमा कर दिए गए, जिनके पापों को ढांप दिया गया है. धन्य है वह व्यक्ति, जिसके पापों का हिसाब प्रभु कभी न लेंगे.