भजन संहिता 90:1-4
भजन संहिता 90:1-4 पवित्र बाइबल (HERV)
हे स्वामी, तू अनादि काल से हमारा घर (सुरक्षास्थल) रहा है। हे परमेश्वर, तू पर्वतों से पहले, धरती से पहले था, कि इस जगत के पहले ही परमेश्वर था। तू सर्वदा ही परमेश्वर रहेगा। तू ही इस जगत में लोगों को लाता है। फिर से तू ही उनको धूल में बदल देता है। तेरे लिये हजार वर्ष बीते हुए कल जैसे है, व पिछली रात जैसे है।
भजन संहिता 90:1-4 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
हे स्वामी, तू पीढ़ी से पीढ़ी हमारे लिए आश्रय-स्थल बना हुआ है। पर्वतों के उत्पन्न होने के पहिले, तेरे द्वारा संसार की सृष्टि होने के पूर्व, युग-युगान्त से तू ही परमेश्वर है। तू मनुष्य को मिट्टी में लौटा देता है; तू यह कहता है, “ओ मानव-पुत्र, लौट जा!” तेरी दृष्टि में हजार वर्ष भी बीते कल के समान हैं, वे रात के एक पहर के सदृश हैं।
भजन संहिता 90:1-4 Hindi Holy Bible (HHBD)
हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है। इस से पहिले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है॥ तू मनुष्य को लौटा कर चूर करता है, और कहता है, कि हे आदमियों, लौट आओ! क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, वा रात का एक पहर॥
भजन संहिता 90:1-4 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है। इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, या तू ने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन् अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही परमेश्वर है। तू मनुष्य को लौटाकर मिट्टी में ले जाता है, और कहता है, “हे आदमियो, लौट जाओ!” क्योंकि हज़ार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं जैसा कल का दिन जो बीत गया, या जैसे रात का एक पहर।
भजन संहिता 90:1-4 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है। इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, या तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन् अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही परमेश्वर है। तू मनुष्य को लौटाकर मिट्टी में ले जाता है, और कहता है, “हे आदमियों, लौट आओ!” क्योंकि हजार वर्ष तेरी दृष्टि में ऐसे हैं, जैसा कल का दिन जो बीत गया, या रात का एक पहर। (2 पत. 3:8)
भजन संहिता 90:1-4 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
प्रभु, समस्त पीढ़ियों में आप हमारे आश्रय-स्थल बने रहे हैं. इसके पूर्व कि पर्वत अस्तित्व में आते अथवा पृथ्वी तथा संसार की रचना की जाती, अनादि से अनंत तक परमेश्वर आप ही हैं. आप मनुष्य को यह कहकर पुनः धूल में लौटा देते हैं, “मानव-पुत्र, लौट जा.” आपके लिए एक हजार वर्ष वैसे ही होते हैं, जैसे गत कल का दिन; अथवा रात्रि का एक प्रहर.