स्तोत्र 90:1-4
स्तोत्र 90:1-4 HSS
प्रभु, समस्त पीढ़ियों में आप हमारे आश्रय-स्थल बने रहे हैं. इसके पूर्व कि पर्वत अस्तित्व में आते अथवा पृथ्वी तथा संसार की रचना की जाती, अनादि से अनंत तक परमेश्वर आप ही हैं. आप मनुष्य को यह कहकर पुनः धूल में लौटा देते हैं, “मानव-पुत्र, लौट जा.” आपके लिए एक हजार वर्ष वैसे ही होते हैं, जैसे गत कल का दिन; अथवा रात्रि का एक प्रहर.


