मत्ती 22:23-46

मत्ती 22:23-46 पवित्र बाइबल (HERV)

उसी दिन (कुछ सदूकी जो पुनरुत्थान को नहीं मानते थे) उसके पास आये। और उससे पूछा, “गुरु, मूसा के उपदेश के अनुसार यदि बिना बाल बच्चों के कोई, मर जाये तो उसका भाई, निकट सम्बन्धी होने के नाते उसकी विधवा से ब्याह करे और अपने भाई का वंश बढ़ाने के लिये संतान पैदा करे। अब मानो हम सात भाई हैं। पहले का ब्याह हुआ और बाद में उसकी मृत्यु हो गयी। फिर क्योंकि उसके कोई संतान नहीं हुई, इसलिये उसके भाई ने उसकी पत्नी को अपना लिया। जब तक कि सातों भाई मर नहीं गये दूसरे, तीसरे भाईयों के साथ भी वैसा ही हुआ और सब के बाद वह स्त्री भी मर गयी। अब हमारा पूछना यह है कि अगले जीवन में उन सातों में से वह किसकी पत्नी होगी क्योंकि उसे सातों ने ही अपनाया था?” उत्तर देते हुए यीशु ने उनसे कहा, “तुम भूल करते हो क्योंकि तुम शास्त्रों को और परमेश्वर की शक्ति को नहीं जानते। तुम्हें समझाना चाहिये कि पुर्नजीवन में लोग न तो शादी करेंगे और न ही कोई शादी में दिया जायेगा। बल्कि वे स्वर्ग के दूतों के समान होंगे। इसी सिलसिले में तुम्हारे लाभ के लिए परमेश्वर ने मरे हुओं के पुनरुत्थान के बारे में जो कहा है, क्या तुमने कभी नहीं पढ़ा? उसने कहा था, ‘मैं इब्राहीम का परमेश्वर हूँ, इसहाक का परमेश्वर हूँ, और याकूब का परमेश्वर हूँ।’ वह मरे हुओं का नहीं बल्कि जीवितों का परमेश्वर है।” जब लोगों ने यह सुना तो उसके उपदेश पर वे बहुत चकित हो गए। जब फरीसियों ने सुना कि यीशु ने अपने उत्तर से सदूकियों को चुप करा दिया है तो वे सब इकट्ठे हुए उनमें से एक यहूदी धर्मशास्त्री ने यीशु को फँसाने के उद्देश्य से उससे पूछा, “गुरु, व्यवस्था में सबसे बड़ा आदेश कौन सा है?” यीशु ने उससे कहा, “‘सम्पूर्ण मन से, सम्पूर्ण आत्मा से और सम्पूर्ण बुद्धि से तुझे अपने परमेश्वर प्रभु से प्रेम करना चाहिये।’ यह सबसे पहला और सबसे बड़ा आदेश है। फिर ऐसा ही दूसरा आदेश यह है: ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम कर जैसे तू अपने आप से करता है।’ सम्पूर्ण व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं के ग्रन्थ इन्हीं दो आदेशों पर टिके हैं।” जब फ़रीसी अभी इकट्ठे ही थे, कि यीशु ने उनसे एक प्रश्न पूछा, “मसीह के बारे में तुम क्या सोचते हो कि वह किसका बेटा है?” उन्होंने उससे कहा, “दाऊद का।” यीशु ने उनसे पूछा, “फिर आत्मा से प्रेरित दाऊद ने उसे ‘प्रभु’ कहते हुए यह क्यों कहा था: ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा: मेरे दाहिने हाथ बैठ कर शासन कर, जब तक कि मैं तेरे शत्रुओं को तेरे अधीन न कर दूँ।’ फिर जब दाऊद ने उसे ‘प्रभु’ कहा तो वह उसका बेटा कैसे हो सकता है?” उत्तर में कोई भी उससे कुछ नहीं कह सका। और न ही उस दिन के बाद किसी को उससे कुछ और पूछने का साहस ही हुआ।

मत्ती 22:23-46 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

उसी दिन सदूकी सम्‍प्रदाय के लोग येशु के पास आए। उनकी धारणा है कि मृत व्यक्‍ति का पुनरुत्‍थान नहीं होता। उन्‍होंने येशु के सामने यह प्रश्‍न रखा, “गुरुवर! मूसा ने कहा है कि यदि कोई मनुष्‍य निस्‍सन्‍तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी विधवा को ब्‍याह कर अपने भाई के लिए सन्‍तान उत्‍पन्न करे। अब, हमारे यहाँ सात भाई थे। पहले ने विवाह किया किन्‍तु वह निस्‍सन्‍तान मर गया और अपनी पत्‍नी को अपने भाई के लिए छोड़ गया। इसी प्रकार दूसरे और तीसरे भाई ने भी किया, और सातों भाइयों के साथ यही हुआ। सब के अन्‍त में वह स्‍त्री मर गयी। अब पुनरुत्‍थान होने पर वह सातों भाइयों में से किसकी पत्‍नी होगी? वह तो सब भाइयों की पत्‍नी रह चुकी है।” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “ तुम लोग न तो धर्मग्रन्‍थ जानते हो और न परमेश्‍वर का सामर्थ्य, इसलिए भ्रम में पड़े हुए हो। पुनरुत्‍थान होने पर न तो पुरुष विवाह करते और न स्‍त्रियाँ विवाह में दी जाती हैं, बल्‍कि वे स्‍वर्गदूतों के सदृश होते हैं − जहाँ तक मृतकों के पुनरुत्‍थान का प्रश्‍न है, क्‍या तुम लोगों ने कभी यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्‍वर ने तुम से कहा है : ‘मैं अब्राहम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर और याकूब का परमेश्‍वर हूँ’? वह मृतकों का नहीं, जीवितों का परमेश्‍वर है।” यह सुन कर लोग उनकी शिक्षा पर बहुत चकित हुए। जब फरीसियों ने यह सुना कि येशु ने सदूकियों का मुँह बन्‍द कर दिया है, तब वे इकट्ठे हो गये और उन में से एक व्‍यवस्‍था के आचार्य ने येशु की परीक्षा लेने के लिए उन से पूछा, “गुरुवर! व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ में सब से बड़ी आज्ञा कौन-सी है?” येशु ने उस से कहा, “ ‘अपने प्रभु परमेश्‍वर को अपने सम्‍पूर्ण हृदय, सम्‍पूर्ण प्राण और सम्‍पूर्ण बुद्धि से प्रेम करो।’ यह सब से बड़ी और पहली आज्ञा है। दूसरी आज्ञा इसी के सदृश है : ‘अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करो।’ इन्‍हीं दो आज्ञाओं पर समस्‍त व्‍यवस्‍था और नबियों की शिक्षा अवलम्‍बित है।” फरीसी अभी वहाँ एकत्र थे। येशु ने फरीसियों से पूछा, “मसीह के विषय में तुम लोगों का क्‍या विचार है; वह किसके वंशज हैं?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “दाऊद के।” इस पर येशु ने उनसे कहा, “तब दाऊद आत्‍मा की प्रेरणा से उन्‍हें प्रभु क्‍यों कहते हैं? उनका कथन है : ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, तुम सिंहासन की दाहिनी ओर बैठो, जब तक मैं तुम्‍हारे शत्रुओं को तुम्‍हारे पैरों तले न डाल दूँ।’ “यदि दाऊद उन्‍हें प्रभु कहते हैं, तो वह उनके वंशज कैसे हो सकते हैं?” इसके उत्तर में कोई भी फरीसी येशु से एक शब्‍द भी नहीं बोल सका और उस दिन से किसी को उन से और प्रश्‍न करने का साहस नहीं हुआ।

मत्ती 22:23-46 Hindi Holy Bible (HHBD)

उसी दिन सदूकी जो कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं उसके पास आए, और उस से पूछा। कि हे गुरू; मूसा ने कहा था, कि यदि कोई बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस की पत्नी को ब्याह करके अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे। अब हमारे यहां सात भाई थे; पहिला ब्याह करके मर गया; और सन्तान न होने के कारण अपनी पत्नी को अपने भाई के लिये छोड़ गया। इसी प्रकार दूसरे और तीसरे ने भी किया, और सातों तक यही हुआ। सब के बाद वह स्त्री भी मर गई। सो जी उठने पर, वह उन सातों में से किस की पत्नी होगी? क्योंकि वह सब की पत्नी हो चुकी थी। यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि तुम पवित्र शास्त्र और परमेश्वर की सामर्थ नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़ गए हो। क्योंकि जी उठने पर ब्याह शादी न होगी; परन्तु वे स्वर्ग में परमेश्वर के दूतों की नाईं होंगे। परन्तु मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्वर ने तुम से कहा। कि मैं इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूं वह तो मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवतों का परमेश्वर है। यह सुनकर लोग उसके उपदेश से चकित हुए। जब फरीसियों ने सुना, कि उस ने सदूकियों का मुंह बन्द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए। और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा। हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है? उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है॥ जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उन से पूछा। कि मसीह के विषय में तुम क्या समझते हो? वह किस का सन्तान है? उन्होंने उस से कहा, दाऊद का। उस ने उन से पूछा, तो दाऊद आत्मा में होकर उसे प्रभु क्यों कहता है? कि प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा; मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के नीचे न कर दूं। भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र क्योंकर ठहरा? उसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका; परन्तु उस दिन से किसी को फिर उस से कुछ पूछने का हियाव न हुआ॥

मत्ती 22:23-46 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

उसी दिन सदूकी जो कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं, उसके पास आए और उससे पूछा, “हे गुरु, मूसा ने कहा था कि यदि कोई पुरुष बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह करके अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे। अब हमारे यहाँ सात भाई थे; पहला विवाह करके मर गया, और सन्तान न होने के कारण अपनी पत्नी को अपने भाई के लिये छोड़ गया। इसी प्रकार दूसरे और तीसरे ने भी किया, और सातों तक यही हुआ। सबके बाद वह स्त्री भी मर गई। अत: जी उठने पर वह उन सातों में से किसकी पत्नी होगी? क्योंकि वह सब की पत्नी हो चुकी थी।” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम पवित्रशास्त्र और परमेश्‍वर की सामर्थ्य नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़े हो। क्योंकि जी उठने पर वे न विवाह करेंगे और न विवाह में दिए जाएँगे परन्तु स्वर्ग में परमेश्‍वर के दूतों के समान होंगे। परन्तु मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्‍वर ने तुम से कहा : ‘मैं अब्राहम का परमेश्‍वर, और इसहाक का परमेश्‍वर, और याकूब का परमेश्‍वर हूँ’? वह मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवतों का परमेश्‍वर है।” यह सुनकर लोग उसके उपदेश से चकित हुए। जब फरीसियों ने सुना कि यीशु ने सदूकियों का मुँह बन्द कर दिया, तो वे इकट्ठा हुए। उनमें से एक व्यवस्थापक ने उसे परखने के लिये उससे पूछा, “हे गुरु, व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?” उसने उससे कहा, “तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्‍ताओं का आधार हैं।” जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उन से पूछा, “मसीह के विषय में तुम क्या सोचते हो? वह किसका पुत्र है?” उन्होंने उससे कहा, “दाऊद का।” उसने उनसे पूछा, “तो दाऊद आत्मा में होकर उसे प्रभु क्यों कहता है? ‘प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा, मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे न कर दूँ।’ भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र कैसे ठहरा?” इसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका। उस दिन से किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ।

मत्ती 22:23-46 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

उसी दिन सदूकी जो कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं उसके पास आए, और उससे पूछा, “हे गुरु, मूसा ने कहा था, कि यदि कोई बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी को विवाह करके अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे। अब हमारे यहाँ सात भाई थे; पहला विवाह करके मर गया; और सन्तान न होने के कारण अपनी पत्नी को अपने भाई के लिये छोड़ गया। इसी प्रकार दूसरे और तीसरे ने भी किया, और सातों तक यही हुआ। सब के बाद वह स्त्री भी मर गई। अतः जी उठने पर वह उन सातों में से किसकी पत्नी होगी? क्योंकि वह सब की पत्नी हो चुकी थी।” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम पवित्रशास्त्र और परमेश्वर की सामर्थ्य नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़ गए हो। क्योंकि जी उठने पर विवाह-शादी न होगी; परन्तु वे स्वर्ग में दूतों के समान होंगे। परन्तु मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्वर ने तुम से कहा: ‘मैं अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूँ?’ वह तो मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवितों का परमेश्वर है।” यह सुनकर लोग उसके उपदेश से चकित हुए। जब फरीसियों ने सुना कि यीशु ने सदूकियों का मुँह बन्द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए। और उनमें से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उससे पूछा, “हे गुरु, व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?” उसने उससे कहा, “तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था एवं भविष्यद्वक्ताओं का आधार हैं।” जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उनसे पूछा, “मसीह के विषय में तुम क्या समझते हो? वह किसकी सन्तान है?” उन्होंने उससे कहा, “दाऊद की।” उसने उनसे पूछा, “तो दाऊद आत्मा में होकर उसे प्रभु क्यों कहता है? ‘प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा, मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों के नीचे की चौकी न कर दूँ।’ भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र कैसे ठहरा?” उसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका। परन्तु उस दिन से किसी को फिर उससे कुछ पूछने का साहस न हुआ।

मत्ती 22:23-46 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

उसी समय सदूकी संप्रदाय के कुछ लोग, जिनकी यह मान्यता है कि पुनरुत्थान जैसा कुछ नहीं होता, येशु के पास आए और उनसे प्रश्न करने लगे, “गुरुवर, मोशेह की शिक्षा है: यदि कोई पुरुष निःसंतान हो और उसकी मृत्यु हो जाए तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह करके अपने भाई के लिए संतान पैदा करे. इसी विषय में एक घटना इस प्रकार है: एक परिवार में सात भाई थे. पहले का विवाह हुआ किंतु उसकी मृत्यु हो गई. इसलिये कि वह निःसंतान था वह अपनी पत्नी को अपने भाई के लिए छोड़ गया. ऐसा ही दूसरे, तीसरे भाई से लेकर सातवें भाई तक होता रहा. अंत में उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. अब यह बताइए कि पुनरुत्थान पर वह किसकी पत्नी कहलाएगी? क्योंकि उसका विवाह तो उन सबके साथ हुआ था.” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम लोग बड़ी भूल कर रहे हो: तुमने न तो पवित्र शास्त्र के लेखों को समझा है और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को. पुनरुत्थान में न तो लोग वैवाहिक अवस्था में होंगे और न ही वहां उनके विवाह होंगे. वहां तो वे सभी स्वर्ग के दूतों के समान होंगे. मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या आपने पढ़ा नहीं कि परमेश्वर ने आपसे यह कहा था: ‘मैं ही अब्राहाम का परमेश्वर, यित्सहाक का परमेश्वर तथा याकोब का परमेश्वर हूं’? वह मरे हुओं के नहीं परंतु जीवितों के परमेश्वर हैं.” भीड़ उनकी शिक्षा को सुनकर चकित थी. जब फ़रीसियों को यह मालूम हुआ कि येशु ने सदूकियों का मुंह बंद कर दिया है, वे स्वयं एकजुट हो गए. उनमें से एक व्यवस्थापक ने येशु को परखने की मंशा से उनके सामने यह प्रश्न रखा: “गुरुवर, व्यवस्था के अनुसार सबसे बड़ी आज्ञा कौन सी है?” येशु ने उसे उत्तर दिया, “तुम प्रभु, अपने परमेश्वर से, अपने सारे हृदय, अपने सारे प्राण तथा अपनी सारी समझ से प्रेम करो. यही प्रमुख तथा सबसे बड़ी आज्ञा है. ऐसी ही दूसरी सबसे बड़ी आज्ञा है: ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे तुम स्वयं से करते हो.’ इन्हीं दो आदेशों पर सारी व्यवस्था और भविष्यवाणियां आधारित हैं.” वहां इकट्ठा फ़रीसियों के सामने येशु ने यह प्रश्न रखा, “मसीह के विषय में क्या मत है आपका—किसकी संतान है वह?” “दावीद की,” उन्होंने उत्तर दिया. तब येशु ने उनसे आगे पूछा, “तब फिर पवित्र आत्मा से भरकर दावीद उसे ‘प्रभु’ कहकर संबोधित क्यों करते हैं? दावीद ने कहा है “ ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, “मेरी दायीं ओर बैठे रहो, जब तक मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे अधीन न कर दूं.” ’ यदि दावीद मसीह को प्रभु कहकर संबोधित करते हैं तो वह उनकी संतान कैसे हुए?” इसके उत्तर में न तो फ़रीसी कुछ कह सके और न ही इसके बाद किसी को भी उनसे कोई प्रश्न करने का साहस हुआ.