योहन 5:31-41
योहन 5:31-41 पवित्र बाइबल (HERV)
“यदि मैं अपनी तरफ से साक्षी दूँ तो मेरी साक्षी सत्य नहीं है। मेरी ओर से साक्षी देने वाला एक और है। और मैं जानता हूँ कि मेरी ओर से जो साक्षी वह देता है, सत्य है। “तुमने लोगों को यूहन्ना के पास भेजा और उसने सत्य की साक्षी दी। मैं मनुष्य की साक्षी पर निर्भर नहीं करता बल्कि यह मैं इसलिए कहता हूँ जिससे तुम्हारा उद्धार हो सके। यूहन्ना उस दीपक की तरह था जो जलता है और प्रकाश देता है। और तुम कुछ समय के लिए उसके प्रकाश का आनन्द लेना चाहते थे। “पर मेरी साक्षी यूहन्ना की साक्षी से बड़ी है क्योंकि परम पिता ने जो काम पूरे करने के लिए मुझे सौंपे हैं, मैं उन्हीं कामों को कर रहा हूँ और वे काम ही मेरे साक्षी हैं कि परम पिता ने मुझे भेजा है। परम पिता ने जिसने मुझे भेजा है, मेरी साक्षी दी है। तुम लोगों ने उसका वचन कभी नहीं सुना और न तुमने उसका रूप देखा है। और न ही तुम अपने भीतर उसका संदेश धारण करते हो। क्योंकि तुम उसमें विश्वास नहीं रखते हो जिसे परम पिता ने भेजा है। तुम शास्त्रों का अध्ययन करते हो क्योंकि तुम्हारा विचार है कि तुम्हें उनके द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त होगा। किन्तु ये सभी शास्त्र मेरी ही साक्षी देते हैं। फिर भी तुम जीवन प्राप्त करने के लिये मेरे पास नहीं आना चाहते। “मैं मनुष्य द्वारा की गयी प्रशंसा पर निर्भर नहीं करता।
योहन 5:31-41 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
“यदि मैं अपने विषय में साक्षी देता हूँ, तो मेरी साक्षी मान्य नहीं है। कोई दूसरा मेरे विषय में साक्षी देता है और मैं जानता हूँ कि वह मेरे विषय में जो साक्षी देता है, वह मान्य है। तुम लोगों ने योहन से पुछवाया और उन्होंने सत्य के सम्बन्ध में साक्षी दी है। यह नहीं कि मुझे किसी मनुष्य की साक्षी की आवश्यकता है; किन्तु मैं यह इसलिए कहता हूँ कि तुम लोग मुक्ति पा सको। योहन जलते और चमकते हुए दीपक थे। उनकी ज्योति में थोड़ी देर तक आनन्द मनाना तुम लोगों को अच्छा लगा। परन्तु मुझे जो साक्षी प्राप्त है, वह योहन की साक्षी से भी महान् है। पिता ने जो कार्य मुझे पूरा करने को सौंपे हैं, जो कार्य मैं करता हूँ, वे ही मेरे विषय में यह साक्षी देते हैं कि मुझे पिता ने भेजा है। पिता ने भी, जिसने मुझे भेजा, मेरे विषय में साक्षी दी है। तुम ने न तो कभी उसकी वाणी सुनी और न उसका रूप ही देखा है। उसका वचन तुम लोगों के हृदय में घर नहीं कर सका, क्योंकि तुम उस में विश्वास नहीं करते, जिसे उसने भेजा है। “तुम लोग यह समझ कर धर्मग्रन्थ का अनुशीलन करते हो कि उस में तुम्हें शाश्वत जीवन का मार्ग मिलेगा। वही धर्मग्रन्थ मेरे विषय में साक्षी देता है। फिर भी तुम लोग जीवन प्राप्त करने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। “मैं मनुष्यों की ओर से सम्मान नहीं चाहता।
योहन 5:31-41 Hindi Holy Bible (HHBD)
यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूं; तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। एक और है जो मेरी गवाही देता है, और मैं जानता हूँ कि मेरी जो गवाही देता है वह सच्ची है। तुम ने यूहन्ना से पुछवाया और उस ने सच्चाई की गवाही दी है। परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता; तौभी मैं ये बातें इसलिये कहता हूं, कि तुम्हें उद्धार मिले। वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था; और तुम्हें कुछ देर तक उस की ज्योति में, मगन होना अच्छा लगा। परन्तु मेरे पास जो गवाही है वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है: क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात यही काम जो मैं करता हूं, वे मेरे गवाह हैं, कि पिता ने मुझे भेजा है। और पिता जिस ने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है: तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है। और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते क्योंकि जिसे उस ने भेजा उस की प्रतीति नहीं करते। तुम पवित्र शास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उस में अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है। फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता।
योहन 5:31-41 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूँ, तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। एक और है जो मेरी गवाही देता है, और मैं जानता हूँ कि मेरी जो गवाही वह देता है, वह सच्ची है। तुम ने यूहन्ना से पुछवाया और उसने सच्चाई की गवाही दी है। परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता; तौभी मैं ये बातें इसलिये कहता हूँ कि तुम्हें उद्धार मिले। वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था, और तुम्हें कुछ देर तक उसकी ज्योति में मगन होना अच्छा लगा। परन्तु मेरे पास जो गवाही है वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है; क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात् यही काम जो मैं करता हूँ, वे मेरे गवाह हैं कि पिता ने मुझे भेजा है। और पिता जिसने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है। तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है; और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते, क्योंकि जिसे उसने भेजा तुम उसका विश्वास नहीं करते। तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता।
योहन 5:31-41 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
यदि मैं आप ही अपनी गवाही दूँ; तो मेरी गवाही सच्ची नहीं। एक और है जो मेरी गवाही देता है, और मैं जानता हूँ कि मेरी जो गवाही वह देता है, वह सच्ची है। तुम ने यूहन्ना से पुछवाया और उसने सच्चाई की गवाही दी है। परन्तु मैं अपने विषय में मनुष्य की गवाही नहीं चाहता; फिर भी मैं ये बातें इसलिए कहता हूँ, कि तुम्हें उद्धार मिले। वह तो जलता और चमकता हुआ दीपक था; और तुम्हें कुछ देर तक उसकी ज्योति में, मगन होना अच्छा लगा। परन्तु मेरे पास जो गवाही है, वह यूहन्ना की गवाही से बड़ी है: क्योंकि जो काम पिता ने मुझे पूरा करने को सौंपा है अर्थात् यही काम जो मैं करता हूँ, वे मेरे गवाह हैं, कि पिता ने मुझे भेजा है। और पिता जिसने मुझे भेजा है, उसी ने मेरी गवाही दी है: तुम ने न कभी उसका शब्द सुना, और न उसका रूप देखा है; और उसके वचन को मन में स्थिर नहीं रखते, क्योंकि जिसे उसने भेजा तुम उस पर विश्वास नहीं करते। तुम पवित्रशास्त्र में ढूँढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है; फिर भी तुम जीवन पाने के लिये मेरे पास आना नहीं चाहते। मैं मनुष्यों से आदर नहीं चाहता।
योहन 5:31-41 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
“यदि मैं स्वयं अपने ही विषय में गवाही दूं तो मेरी गवाही मान्य नहीं होगी. एक और हैं, जो मेरे गवाह हैं और मैं जानता हूं कि मेरे विषय में उनकी गवाही अटल है. “तुमने योहन के पास अपने लोग भेजे और योहन ने भी सच की ही गवाही दी. परंतु मुझे तो अपने विषय में किसी मनुष्य की गवाही की ज़रूरत है ही नहीं—यह सब मैं तुम्हारे उद्धार के लिए कह रहा हूं. योहन वह जलता हुआ और चमकता हुआ दीपक थे, जिनके उजाले में तुम्हें कुछ समय तक आनंद मनाना सुखद लगा. “मेरी गवाही योहन की गवाही से अधिक बड़ी है क्योंकि पिता द्वारा मुझे सौंपे गए काम को पूरा करना ही इस सच्चाई का सबूत है कि पिता ने मुझे भेजा है. इसके अतिरिक्त पिता अर्थात् स्वयं मेरे भेजनेवाले ने भी मेरे विषय में गवाही दी है. तुमने न तो कभी उनकी आवाज सुनी है, न उनका रूप देखा है और न ही उनका वचन तुम्हारे हृदय में स्थिर रह सका है क्योंकि जिसे उन्होंने भेजा है, तुम उसमें विश्वास नहीं करते. तुम शास्त्रों का मनन इस विश्वास में करते हो कि उनमें अनंत काल का जीवन बसा है. ये सभी शास्त्र मेरे ही विषय में गवाही देते हैं. यह सब होने पर भी जीवन पाने के लिए तुम मेरे पास आना नहीं चाहते. “मनुष्य की प्रशंसा मुझे स्वीकार नहीं