भजन संहिता 33
33
सृष्टिकर्ता के लिए स्तुतिगान
1हे धर्मियो, आनंद से यहोवा का जय जयकार करो,
खरे लोगों को स्तुति करना शोभा देता है।
2वीणा बजा बजाकर यहोवा का धन्यवाद करो,
दस तारवाली सारंगी बजाकर उसका स्तुतिगान करो।
3उसके लिए एक नया गीत गाओ,
जय जयकार करते हुए निपुणता से बजाओ।
4यहोवा का वचन खरा है,
और उसका सब कार्य सच्चाई से होता है।
5यहोवा धार्मिकता और न्याय से प्रीति रखता है;
उसकी करुणा से पृथ्वी भरपूर है।
6आकाशमंडल की रचना यहोवा के वचन से,
और उसके सारे गणों की रचना उसी के मुँह की श्वास से हुई है।
7वह समुद्र के जल को ढेर के समान इकट्ठा करता है,
और गहरे सागरों को भंडार में रखता है।
8सारी पृथ्वी यहोवा से डरे,
जगत के सब निवासी उसका भय मानें।
9क्योंकि उसने जो कहा, वह हो गया;
उसने आज्ञा दी, और ठीक वैसा ही हो गया।
10यहोवा जाति-जाति की युक्ति को विफल कर देता है;
वह देश-देश के लोगों की योजनाओं को व्यर्थ कर देता है।
11यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहती है,
उसके हृदय की योजनाएँ पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती हैं।
12क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्वर यहोवा है—
वह प्रजा जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिए चुना है।
13यहोवा स्वर्ग से देखता है,
वह सब मनुष्यों पर दृष्टि करता है।
14वह अपने निवासस्थान से पृथ्वी के सब
निवासियों को निहारता है,
15और उन सब के हृदयों को गढ़ता,
तथा उनके समस्त कार्यों को समझता है।
16राजा अपनी विशाल सेना के कारण नहीं बचता;
न शूरवीर अपने बड़े सामर्थ्य के कारण छूटता है।
17बचाव के लिए घोड़ों पर आशा रखना व्यर्थ है,
जो अपनी बड़ी शक्ति से भी किसी को नहीं बचा सकते।
18यहोवा की दृष्टि तो उन पर बनी रहती है
जो उसका भय मानते
और उसकी करुणा पर यह आशा रखते हैं,
19कि वही उनके प्राण को मृत्यु से बचाए
और अकाल के समय उन्हें जीवित रखे।
20हमारा प्राण यहोवा की आस रखता है;
वह हमारा सहायक और हमारी ढाल है।
21हमारा मन उसमें आनंदित है,
क्योंकि हमने उसके पवित्र नाम पर भरोसा रखा है।
22हे यहोवा, जैसी हमारी आशा तुझ पर है,
वैसी ही तेरी करुणा हम पर हो।
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