इब्रानियों 9

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पार्थिव तम्बू में सेवा
1उस पहली वाचा में भी सेवा के नियम थे, और ऐसा पवित्रस्थान था जो इस जगत का था। 2क्योंकि एक तम्बू बनाया गया, पहले तम्बू में दीवट, और मेज, और भेंट की रोटियाँ थीं; और वह पवित्रस्थान कहलाता है।#निर्ग 26:1–30; 25:23–30,31–40 3दूसरा, परदे के पीछे वह तम्बू था, जो परमपवित्र स्थान कहलाता है।#निर्ग 26:31–33 4उसमें सोने की धूपदानी, और चारों ओर सोने से मढ़ा हुआ वाचा का सन्दूक और इसमें मन्ना से भरा हुआ सोने का मर्तबान और हारून की छड़ी जिसमें फूल फल आ गए थे और वाचा की पटियाँ थीं।#निर्ग 30:1–6; 25:10–16; 16:33; गिन 17:8–10; निर्ग 25:16; व्य 10:3–5 5उसके ऊपर दोनों तेजोमय करूब थे, जो प्रायश्‍चित के ढकने पर छाया किए हुए थे;#निर्ग 25:18–22 इनका एक–एक करके वर्णन करने का अभी अवसर नहीं है।
6ये वस्तुएँ इस रीति से तैयार हो चुकीं। उस पहले तम्बू में याजक हर समय प्रवेश करके सेवा के कार्य सम्पन्न करते हैं,#गिन 18:2–6 7पर दूसरे में केवल महायाजक वर्ष भर में एक ही बार जाता है, और बिना लहू लिये नहीं जाता;#लैव्य 16:2–34 जिसे वह अपने लिये और लोगों की भूल चूक के लिये चढ़ाता है। 8इस से पवित्र आत्मा यही दिखाता है कि जब तक पहला तम्बू खड़ा है, तब तक पवित्रस्थान का मार्ग प्रगट नहीं हुआ। 9यह तम्बू वर्तमान समय के लिये एक दृष्‍टान्त है; जिसमें ऐसी भेंट और बलिदान चढ़ाए जाते हैं, जिनसे आराधना करनेवालों के विवेक#9:9 अर्थात्, मन या कॉनशन्स सिद्ध नहीं हो सकते। 10क्योंकि वे केवल खाने पीने की वस्तुओं और भाँति–भाँति की स्‍नान–विधि के आधार पर शारीरिक नियम हैं, जो सुधार के समय तक के लिये नियुक्‍त किए गए हैं।
मसीह के लहू की सामर्थ्य
11परन्तु जब मसीह आनेवाली#9:11 और पढ़ते हैं : आई हुई अच्छी अच्छी वस्तुओं का महायाजक होकर आया, तो उसने और भी बड़े और सिद्ध तम्बू से होकर, जो हाथ का बनाया हुआ नहीं अर्थात् इस सृष्‍टि का नहीं, 12और बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा, एक ही बार पवित्रस्थान में प्रवेश किया और अनन्त छुटकारा प्राप्‍त किया। 13क्योंकि जब बकरों और बैलों का लहू और कलोर की राख का अपवित्र लोगों पर छिड़का जाना शरीर की शुद्धता के लिये उन्हें पवित्र करता है,#लैव्य 16:15,16; गिन 19:9,17–19 14तो मसीह का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्‍वर के सामने निर्दोष चढ़ाया, तुम्हारे विवेक#9:14 अर्थात्, मन या कॉनशन्स को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ताकि तुम जीवते परमेश्‍वर की सेवा करो।
15इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उसकी मृत्यु के द्वारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्‍त करें। 16क्योंकि जहाँ वाचा बाँधी गई#9:16 या वसीयत या विल की हुई है वहाँ वाचा बाँधनेवाले#9:16 या वसीयत या विल लिखनेवाले की मृत्यु का समझ लेना भी अवश्य है। 17क्योंकि ऐसी वाचा मरने पर पक्‍की होती है, और जब तक वाचा बाँधनेवाला जीवित रहता है तब तक वाचा काम की नहीं होती। 18इसी लिये पहली वाचा भी बिना लहू के नहीं बाँधी गई। 19क्योंकि जब मूसा सब लोगों को व्यवस्था की हर एक आज्ञा सुना चुका तो उसने बछड़ों और बकरों का लहू लेकर, पानी और लाल ऊन और जूफा के साथ, उस पुस्तक पर और सब लोगों पर छिड़क दिया 20और कहा, “यह उस वाचा का लहू है, जिसकी आज्ञा परमेश्‍वर ने तुम्हारे लिये दी है।”#निर्ग 24:6–8 21और इसी रीति से उसने तम्बू और सेवा के सारे सामान पर लहू छिड़का।#लैव्य 8:15 22सच तो यह है कि व्यवस्था के अनुसार प्राय: सब वस्तुएँ लहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं,#लैव्य 17:11 और बिना लहू बहाए पापों की क्षमा नहीं।
मसीह के बलिदान द्वारा पाप–क्षमा
23इसलिये अवश्य है कि स्वर्ग में की वस्तुओं के प्रतिरूप इन बलिदानों के द्वारा शुद्ध किए जाएँ, पर स्वर्ग में की वस्तुएँ स्वयं इनसे उत्तम बलिदानों के द्वारा शुद्ध की जातीं। 24क्योंकि मसीह ने उस हाथ के बनाए हुए पवित्रस्थान में, जो सच्‍चे पवित्रस्थान का नमूना है, प्रवेश नहीं किया पर स्वर्ग ही में प्रवेश किया, ताकि हमारे लिये अब परमेश्‍वर के सामने दिखाई दे। 25यह नहीं कि वह अपने आप को बार–बार चढ़ाए, जैसा कि महायाजक प्रति वर्ष दूसरे का लहू लिए पवित्रस्थान में प्रवेश किया करता है, 26नहीं तो जगत की उत्पत्ति से लेकर उसको बार–बार दु:ख उठाना पड़ता; पर अब युग के अन्त में वह एक ही बार प्रगट हुआ है, ताकि अपने ही बलिदान के द्वारा पाप को दूर कर दे। 27और जैसे मनुष्यों के लिये एक बार मरना और उसके बाद न्याय का होना नियुक्‍त है, 28वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा।#यशा 53:12

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