तीतुस 3

3
मसीही आचरण
1लोगों को याद दिलाओ कि शासकों तथा अधिकारियों के अधीन रहना और उनकी आज्ञाओं का पालन करना उनका कर्त्तव्‍य है। वे हर प्रकार के सत्‍कर्म के लिए तत्‍पर रहें,#1 पत 2:13 2किसी की निन्‍दा न करें, झगड़ालू नहीं, बल्‍कि सहनशील हों और सब लोगों के साथ नम्र व्‍यवहार करें।#फिल 4:5
3क्‍योंकि हम भी तो पहले नासमझ, अवज्ञाकारी, भटके हुए, हर प्रकार की वासनाओं और भोगों के वशीभूत थे। हम विद्वेष और ईष्‍र्या में जीवन बिताते थे। हम घृणित थे और एक दूसरे से बैर करते थे।#1 कुर 6:11; इफ 2:1,2; 5:8 4किन्‍तु हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की भलाई तथा मनुष्‍यों के प्रति उसका प्रेम प्रकट हो गया।#तीत 2:11; रोम 2:4; नीति 8:31 5उसने नवजीवन के जल#3:5 अक्षरश: “पुनर्जन्‍म के स्‍नान” और पवित्र आत्‍मा की संजीवन शक्‍ति द्वारा हमारा उद्धार किया। उसने हमारे किसी पुण्‍य धर्म-कर्म के कारण ऐसा नहीं किया, बल्‍कि इसलिए कि वह दयालु है।#इफ 2:8-9; 5:26; यो 3:5; 2 तिम 1:9 6उसने हमारे मुक्‍तिदाता येशु मसीह द्वारा हमें प्रचुर मात्रा में पवित्र आत्‍मा का वरदान दिया,#योए 2:28; प्रे 2:33 7जिससे हम उसकी कृपा द्वारा धार्मिक ठहराये जायें और शाश्‍वत जीवन के उत्तराधिकारी बनने की आशा कर सकें।#रोम 3:24
8यह बात विश्‍वसनीय है और मैं चाहता हूँ कि तुम इस पर बल देते रहो। जो लोग परमेश्‍वर में विश्‍वास कर चुके हैं, वे भले कामों में लगे रहने के लिए उत्‍सुक हों। यह उत्तम है और मनुष्‍यों के लिए लाभदायक भी।
9निरर्थक विवादों, वंशावलियों, दलबन्‍दी और व्‍यवस्‍था सम्‍बन्‍धी झगड़ों से दूर रहो। यह सब अलाभकर और व्‍यर्थ है।#1 तिम 4:7 10जो व्यक्‍ति अपने भ्रांत विश्‍वास के कारण फूट डालता है, उसे एक-दो बार चेतावनी दो और इसके बाद यह जान कर उस से दूर रहो#2 यो 1:10; मत 18:15-16 11कि ऐसा व्यक्‍ति पथभ्रष्‍ट और पापी है। वह स्‍वयं अपने को दोषी ठहराता है।#1 तिम 6:4-5
शेष निर्देश
12जब मैं अरतिमास अथवा तुखिकुस को तुम्‍हारे पास भेजूँगा, तब शीघ्र ही निकोपुलिस नगर में मेरे पास आने का प्रयत्‍न करना। मैंने वहाँ शीत ऋतु बिताने का निश्‍चय किया है।#2 तिम 4:12
13विधि-विशेषज्ञ जेनास और अपुल्‍लोस की यात्रा का अच्‍छा प्रबन्‍ध करो, जिससे उन्‍हें किसी बात की कमी न हो।#प्रे 18:24; 1 कुर 3:5-6 14हमारे अपने लोग भी कोई अच्‍छा व्‍यवसाय करना सीखें। इस प्रकार वे अपनी मूल आवश्‍यकताएं पूरी कर सकेंगे#3:14 अथवा, “हमारे लोग भी भले कामों में लगना सीखें, जिससे वे दूसरों की मूल आवश्‍यकताएँ पूरी कर सकें।” और उनका जीवन निष्‍फल न होगा।#तीत 2:14; मत 7:19; इफ 4:28-29
15मेरे सब साथी तुम को नमस्‍कार कहते हैं। जो विश्‍वास के नाते हमें प्‍यार करते हैं, उन को नमस्‍कार!
आप सब पर परमेश्‍वर की कृपा बनी रहे!

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