भजन संहिता 139:9-14

भजन संहिता 139:9-14 HINCLBSI

यदि मैं उषा के पंखों पर उड़कर, समुद्र के िक्षतिज पर जा बसूं, तो वहां भी तेरा हाथ मेरा नेतृत्‍व करेगा, तेरा दाहिना हाथ मुझे पकड़े रहेगा। यदि मैं यह कहूं, ‘अन्‍धकार मुझे ढांप ले, और मेरे चारों ओर का प्रकाश रात हो जाए’, तो अन्‍धकार भी तेरे लिए अन्‍धकार नहीं है, और रात भी दिन के सदृश चमकती है; तेरे लिए अन्‍धेरा प्रकाश जैसा है। तूने ही मेरे भीतरी अंगों को बनाया है, मेरी मां के गर्भ से तूने मेरी रचना की है। मैं तेरी सराहना करता हूं, क्‍योंकि तू भय-योग्‍य और अद्भुत है तेरे कार्य कितने आश्‍चर्यपूर्ण हैं! तू मुझे भली भांति जानता है।

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