भजन संहिता 127

127
प्रभु ही सफलता प्रदान करता है
यात्रा-गीत। सूलेमान का।
1यदि प्रभु घर को न बनाए,
तो उसे बनानेवाले व्यक्‍ति
व्‍यर्थ परिश्रम करते हैं;
यदि प्रभु नगर की रक्षा न करे,
तो पहरेदार व्‍यर्थ जागते हैं।#यो 15:5
2तुम व्‍यर्थ ही तड़के उठते,
और देर से सोते हो,
तुम व्‍यर्थ ही कठोर परिश्रम की
रोटी खाते हो,
क्‍योंकि प्रभु ही अपने प्रियजनों को नींद
प्रदान करता है।
3देखो, बालक-बालिका प्रभु का उपहार#127:3 शब्‍दश: ‘विरासत’ हैं,
गर्भ का फल प्रभु का एक दान है।
4युवावस्‍था में उत्‍पन्न पुत्र
योद्धा के हाथ में तीर के सदृश होते हैं।
5वह पिता धन्‍य है,
जिसने अपने तरकश को उनसे भर लिया है।
जब वह अपने शत्रु से अदालत में बात करेगा।
तब वह पराजित न होगा।

वर्तमान में चयनित:

भजन संहिता 127: HINCLBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

YouVersion आपके अनुभव को वैयक्तिकृत करने के लिए कुकीज़ का उपयोग करता है। हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारी गोपनीयता नीति में वर्णित कुकीज़ के हमारे उपयोग को स्वीकार करते हैं।