भजन संहिता 11

11
सच्‍चे व्यक्‍ति का आश्रय-स्‍थल
मुख्‍यवादक के लिए। दाऊद का भजन।
1मैं प्रभु शरण में आया हूँ।
फिर तुम मेरे प्राण से कैसे कह सकते
हो,
“पंछी, अपने पर्वत को उड़ जा!
2देख, दुर्जनों ने धनुष चढ़ाया है;
उन्‍होंने प्रत्‍यंचा पर बाण रखे हैं
कि अंधकार में सत्‍यनिष्‍ठ लोगों पर छोड़ें।
3यदि आधार ही नष्‍ट हो गया,
तो धार्मिक मनुष्‍य क्‍या कर सकता है?”
4प्रभु अपने पवित्र मंदिर में है,
प्रभु का सिंहासन स्‍वर्ग में है।
उसकी आंखें मानव-संतान को निहारती हैं,
उसकी पलकें उनको जांचती हैं।#हब 2:20; मत 5:34
5प्रभु धार्मिक और दुर्जन को परखता है,
उसकी आत्‍मा हिंसा-प्रिय लोगों से घृणा
करती है।
6वह दुर्जनों पर अंगार और गंधक की वर्षा
करेगा;
झुलसाने वाली प्रचण्‍ड लू उन्‍हें झेलनी
पड़ेगी#11:6 शब्‍दश: ‘उनके कटोरों में बांट दी जाएगी’। #यहेज 38:22
7प्रभु धर्ममय है, उसे धार्मिक कार्य प्रिय हैं;
धर्मपरायण व्यक्‍ति उसके मुख का दर्शन
करेंगे।

वर्तमान में चयनित:

भजन संहिता 11: HINCLBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in

YouVersion आपके अनुभव को वैयक्तिकृत करने के लिए कुकीज़ का उपयोग करता है। हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारी गोपनीयता नीति में वर्णित कुकीज़ के हमारे उपयोग को स्वीकार करते हैं।