पिता अपने बच्चों पर जैसी दया करता है, प्रभु भी अपने भक्तों पर वैसी ही दया करता है। वह हमारी रचना जानता है, उसे स्मरण है कि हम धूल ही हैं। मनुष्य की आयु घास के समान है; वह मैदान के फूल के सदृश खिलता है; वायु उसके ऊपर से बहती है, और वह ठहर नहीं पाता, उसका स्थान भी उसको फिर कभी नहीं पहचानता! किन्तु प्रभु की करुणा उसके भक्तों पर युग- युगान्त तक, और उसकी धार्मिकता उनके पुत्र-पुत्रियों, पौत्र-पात्रियों पर बनी रहती है, जो उसके विधान को पूरा करते हैं, जो उसके आदेशों को स्मरण कर उनका पालन भी करते हैं।
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