नीतिवचन 12

12
1जो मनुष्‍य शिक्षा से प्रेम करता है,
वह ज्ञान-प्रिय भी होता है;
पर जो डांट-फटकार से घृणा करता है,
वह पशु के समान नासमझ है। #प्रव 21:6
2प्रभु भले मनुष्‍य पर कृपा करता है,
पर वह बुरी योजनाएं रचनेवाले को दण्‍ड
देता है।
3मनुष्‍य दुष्‍कर्म के द्वारा स्‍थापित नहीं होता;
पर धार्मिक मनुष्‍य की जड़ें नहीं उखड़तीं।
4चरित्रवान पत्‍नी अपने पति की शोभा है,
पर व्‍यभिचारिणी पत्‍नी मानो
अपने पति की हड्डियों का क्षय है!
5धार्मिक मनुष्‍य के विचार न्‍यायसंगत होते हैं
पर दुर्जन सदा छल-कपट की बातें सोचता है।
6दुर्जन के शब्‍द हिंसा से भरे होते हैं,
किन्‍तु धार्मिक मनुष्‍य के वचन
लोगों को बचाते हैं।
7दुर्जन का पतन होता है,
पृथ्‍वी से उसका नामोनिशान मिट जाता है;
परन्‍तु धार्मिक मनुष्‍य का वंश सदा बना
रहता है।
8मनुष्‍य की प्रशंसा
उसकी सद्बुद्धि के लिए होती है,
किन्‍तु कुटिल हृदयवाले मनुष्‍य से
सब लोग घृणा करते हैं।
9साधारण मनुष्‍य,
जो मेहनत की सूखी रोटी खाता है,
वह बड़प्‍पन-प्रिय मनुष्‍य से श्रेष्‍ठ है
जिसके पास खाने के लिए रोटी भी नहीं!
10धार्मिक मनुष्‍य अपने पशु के प्राण की भी
चिन्‍ता करता है;
पर दुर्जन की दया भी निर्दयता के समान
होती है!
11जो किसान अपनी भूमि को
स्‍वयं जोतता-गोड़ता है,
उसको रोटी का अभाव नहीं होता!
पर जो मनुष्‍य व्‍यर्थ की योजनाओं में समय
गुजारता है,
वह नासमझ है!#नीति 28:19
12दुर्जनों का सुदृढ़ गढ़ भी ढह जाता है;
पर धार्मिक मनुष्‍य की जड़ें गहरी होती हैं।
13दुर्जन अपने मुंह से निकले
शब्‍दों के जाल में स्‍वयं फंस जाता है,
पर धार्मिक मनुष्‍य संकट आने पर भी बच
जाता है।
14मनुष्‍य को अपने वचनों के फल के अनुरूप
उत्तम वस्‍तुएं प्राप्‍त होती हैं,
और वह सन्‍तुष्‍ट होता है;
मनुष्‍य जैसा कार्य करता है
वैसा ही उसको फल मिलता है।
15मूर्ख मनुष्‍य को अपना आचरण
अपनी दृष्‍टि में उचित लगता है,
पर बुद्धिमान मनुष्‍य दूसरों की सलाह को
ध्‍यान से सुनता है।
16मूर्ख मनुष्‍य अपनी चिढ़
तत्‍काल प्रकट कर देता है,
किन्‍तु व्‍यवहार-कुशल मनुष्‍य
अपना अपमान पी जाता है।
17सच बोलनेवाला गवाह
सच्‍ची साक्षी देता है;
पर झूठा गवाह झूठ के अतिरिक्‍त
कुछ नहीं बोलता।
18बिना सोच-विचार के
बोलनेवाले मनुष्‍य के शब्‍द
तलवार की तरह बेधते हैं;
पर बुद्धिमान की बातें
मलहम का काम करती हैं।
19सत्‍यनिष्‍ठ ओंठों के वचन अमर रहते हैं;
किन्‍तु झूठी जीभ की बातें क्षणभंगुर होती हैं।
20बुरी योजना रचनेवाले के दिल में
छल-कपट भरा रहता है;
परन्‍तु कल्‍याणकारी योजना बनानेवाला
आनन्‍द-मग्‍न रहता है।
21धार्मिक मनुष्‍य अनिष्‍ट से बचा रहता है;
पर दुर्जन विपत्ति से घिरा रहता है।
22प्रभु झूठ बोलनेवाले मनुष्‍यों से घृणा करता है;
पर जो मनुष्‍य सच्‍चाई से काम करते हैं,
उनसे प्रभु प्रसन्न होता है।
23चतुर मनुष्‍य अपना ज्ञान छिपाकर रखता है;
पर मूर्ख अपनी मूर्खता का प्रदर्शन करता है।
24कठोर परिश्रम करनेवाला व्यक्‍ति शासक
बनता है;
पर आलसी मनुष्‍य दूसरों की बेगार करता है।
25मनुष्‍य के मन की चिन्‍ता
उसको दबा देती है;
पर एक सुभाषित वचन
उसको आनन्‍दित कर देता है।
26धार्मिक मनुष्‍य दुराचरण से दूर रहता है,
पर दुर्जन का मार्ग
उसको विनाश की ओर ले जाता है।
27आलसी मनुष्‍य अपने लक्ष्य तक
कभी नहीं पहुंच पाता,
किन्‍तु कठोर परिश्रम करनेवाला व्यक्‍ति
अपार धन-सम्‍पत्ति अर्जित कर लेता है।
28धर्म का मार्ग जीवन का मार्ग है;
पर टेढ़े रास्‍ते पर चलना
मृत्‍यु को बुलावा देना है।

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