यहोशुअ 2

2
यरीहो नगर में यहोशुअ के गुप्‍तचर
1यहोशुअ बेन-नून ने शिट्टीम के पड़ाव से दो गुप्‍तचर गुप्‍तरूप से भेजे। उसने उनसे कहा, ‘जाओ, और उस देश का, विशेषकर यरीहो नगर का अवलोकन करो।’ अत: गुप्‍तचर चले गए। वे यरीहो नगर की एक वेश्‍या के घर में पहुँचे। उसका नाम राहाब था। वे वहीं ठहर गए।#इब्र 11:31; याक 2:25; मत 1:5
2यरीहो नगर के राजा ने यह समाचार सुना: ‘आज रात इस्राएली जाति के कुछ पुरुष हमारे देश का भेद लेने के लिए यहाँ आए हैं।’ 3अत: उसने यह सन्‍देश राहाब के पास भेजा, ‘जो पुरुष तेरे घर में हैं, वे सारे देश का भेद लेने के लिए आए हैं। उन्‍हें बाहर निकाल!’ 4किन्‍तु राहाब ने दोनों गुप्‍तचरों को छिपा दिया। उसने राजा के कर्मचारियों से कहा, ‘यह सच है कि दो पुरुष मेरे पास आए थे। पर मैं नहीं जानती हूँ कि वे कहां से आए थे। 5जब अन्‍धेरा होने पर नगर का प्रवेश-द्वार बन्‍द होने लगा तब वे चले गए। मैं नहीं जानती हूं कि वे कहां गए। परन्‍तु यदि आप अविलम्‍ब उनका पीछा करें तो उन्‍हें मार्ग में पकड़ सकते हैं।’ 6(राहाब ने गुप्‍तचरों को घर की छत पर चढ़कर अलसी के डण्‍ठलों के भीतर छिपा दिया था। उसने अलसी के डण्‍ठल छत पर सुखाने के लिए फैलाकर रखे थे।) 7जब राजा के कर्मचारी नगर के बाहर निकल गए तब नगर का प्रवेश-द्वार बन्‍द कर दिया गया। उन्‍होंने यर्दन नदी के मार्ग पर, घाट तक गुप्‍तचरों की खोज-बीन की।
8गुप्‍तचरों के सोने के पूर्व राहाब उनके पास छत पर आई। 9उसने उनसे कहा, ‘मैं जानती हूं कि प्रभु ने तुम्‍हें हमारा यह देश दे दिया है। हम-सब पर तुम्‍हारा डर छा गया है। इस देश के निवासी तुम्‍हारे विचारमात्र से आतंकित हो गए हैं; 10क्‍योंकि हमने सुना है कि जब तुम लोग मिस्र देश से बाहर निकले थे तब प्रभु ने तुम्‍हारे सम्‍मुख लाल सागर के जल को सुखा डाला था। यर्दन नदी के उस पार के एमोरी जाति के राजाओं−सीहोन और ओग−को भी तुम ने पूर्णत: नष्‍ट कर दिया है; उनके साथ किए गए व्‍यवहार के विषय में भी हमने सुना है।#नि 14:21; गण 21:24,34 11जब हमने यह खबर सुनी तब हमारा हृदय भय से आतंकित हो गया। तुम्‍हारे कारण हमारे किसी भी पुरुष में दम नहीं रहा। तुम्‍हारा प्रभु परमेश्‍वर ही ऊपर आकाश में, और नीचे पृथ्‍वी पर एक मात्र ईश्‍वर है।#व्‍य 4:39 12अब तुम मुझसे प्रभु की शपथ खाओ कि जैसा मैंने तुम्‍हारे साथ दया-पूर्ण व्‍यवहार किया है, वैसा ही तुम मेरे पिता के परिवार के साथ दयापूर्ण व्‍यवहार करोगे। मुझे एक विश्‍वस्‍त चिह्‍न दो। 13तुम मुझे वचन दो कि तुम मेरे पिता, माता, मेरे भाइयों और बहिनों को तथा उनके सब कुटुम्‍बियों को जीवित रहने दोगे और मृत्‍यु से हमारे प्राणों को बचाओगे।’
14गुप्‍तचरों ने उससे कहा, ‘हमारे प्राण तेरे लिए हाजिर हैं! यदि तू हमारे इस काम का भेद प्रकट नहीं करेगी तो जब प्रभु हमें यह देश देगा तब हम तेरे साथ दयापूर्ण और सच्‍चाई से व्‍यवहार करेंगे।’
15राहाब नगर के परकोटे के भीतर रहती थी। उसका घर परकोटे पर बना था। इसलिए उसने गुप्‍तचरों को एक रस्‍सी के सहारे खिड़की से नगर के बाहर उतार दिया।#1 शम 19:12; प्रे 9:25; 2 कुर 11:32 16उसने उनसे कहा, ‘तुम पहाड़ी की ओर चले जाओ। अन्‍यथा तुम्‍हें खोजनेवाले, राजा के दूत तुमको पकड़ लेंगे। जब तक वे लौट कर न आएं, तब तक, तीन दिन तक, तुम वहां छिपे रहना। उसके बाद तुम अपने मार्ग पर निर्विघ्‍न जा सकते हो’। 17गुप्‍तचरों ने उससे कहा, ‘जो शपथ तूने हमें खिलाई है, उसको हम इस शर्त पर पूरा करेंगे, और शपथ-भंग का दोष हम पर नहीं लगेगा: 18देख, जब हम तेरे देश पर चढ़ाई करेंगे तब तू इस लाल रस्‍सी को खिड़की से लटका देना, जहाँ से तूने हमें उतारा है। अपने पास इसी घर में अपने माता-पिता, भाई-बहिनों और अपने पिता के समस्‍त परिवार को एकत्र कर लेना। 19यदि कोई भी व्यक्‍ति तेरे घर के द्वार से बाहर सड़क पर जाएगा तो उसकी हत्‍या का दोष स्‍वयं उसके माथे पर पड़ेगा, और हम निर्दोष माने जाएंगे। परन्‍तु यदि तेरे साथ घर के भीतर रहने वाले किसी व्यक्‍ति की हत्‍या होगी तो उसका दोष हम पर होगा। 20यदि तू हमारे इस काम का भेद प्रकट करेगी तो जो शपथ तूने हमें खिलाई है, उसको भंग करने का दोष हम पर नहीं लगेगा, हम निर्दोष माने जाएंगे।’ 21राहाब ने कहा, ‘जैसा तुमने कहा, वैसा ही हो!’ उसके पश्‍चात् उसने उन्‍हें विदा किया, और वे चले गए। उसने लाल रस्‍सी को खिड़की से लटका दिया।
22गुप्‍तचर पहाड़ी पर पहुँचे। जब तक उन्‍हें खोजनेवाले, राजा के दूत लौट नहीं गए, तब तक वे वहां तीन दिन ठहरे रहे। खोजनेवाले दूतों ने निकलने के हरएक मार्ग पर उन्‍हें ढूंढ़ा, पर वे नहीं मिले। 23तब दोनों गुप्‍तचर पहाड़ी से नीचे उतरे। उन्‍होंने नदी पार की, और यहोशुअ बेन-नून के पास पहुँचे। जो कुछ उनके साथ घटित हुआ था, उस सब का विवरण उन्‍होंने यहोशुअ को सुनाया। 24उन्‍होंने यहोशुअ से कहा, ‘प्रभु ने समस्‍त देश को हमारे हाथ में सौंप दिया है। उस देश के निवासी हमारे विचारमात्र से आतंकित हो गए हैं।’

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