पास्का (फसह) पर्व के छ: दिन पहले येशु बेतनियाह गाँव में आए। वहाँ लाजर रहता था, जिसे उन्होंने मृतकों में से पुनर्जीवित किया था। लोगों ने वहाँ येशु के सम्मान में एक भोज का आयोजन किया। मार्था परोस रही थी। येशु के साथ भोजन करने वालों में लाजर भी था। मरियम ने तीन सौ ग्राम असली जटामांसी का बहुमूल्य इत्र ले कर येशु के चरणों का विलेपन किया और अपने केशों से उनके चरण पोंछे। इत्र की सुगन्ध से सारा घर महक उठा।
इस पर येशु का एक शिष्य, यूदस इस्करियोती, जो उनके साथ विश्वासघात करने वाला था, यह बोला, “यह इत्र तीन सौ चाँदी के सिक्कों में बेच कर इस से प्राप्त धन गरीबों में क्यों नहीं बाँटा गया?” उसने यह इसलिए नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिन्ता थी, बल्कि इसलिए कि वह चोर था। उसके पास थैली रहती थी और उस में जो डाला जाता था, वह उसे निकाल लेता था। येशु ने कहा, “इसे छोड़ दो। इसे यह कार्य मेरे गाड़े जाने के दिन के लिए करने दो। गरीब तो सदा तुम्हारे साथ रहेंगे, किन्तु मैं सदा तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।”
यहूदा प्रदेश के एक विशाल जनसमूह को पता चला कि येशु वहाँ हैं। वे येशु के कारण ही नहीं, बल्कि उस लाजर को भी देखने आये, जिसे येशु ने मृतकों में से पुनर्जीवित किया था। महापुरोहितों ने लाजर को भी मार डालने का निश्चय किया, क्योंकि उसके कारण अनेक लोग उनसे अलग हो गए और येशु पर विश्वास करने लगे।
दूसरे दिन, पर्व के लिए आए हुए विशाल जनसमूह ने सुना कि येशु यरूशलेम आ रहे हैं। इसलिए वे खजूर की डालियाँ लिये उनका स्वागत करने निकले। वे यह नारा लगा रहे थे, “जय हो! जय हो! धन्य है वह, जो प्रभु के नाम पर आता है! धन्य है, इस्राएल का राजा!” येशु को गदही का बछेरू मिला और वह उस पर सवार हो गये, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है : “सियोन नगर! नहीं डरना! देख, तेरा राजा, गदही के बछेरू पर सवार हो कर, तेरे पास आ रहा है।”
येशु के शिष्य पहले यह नहीं समझे थे, परन्तु येशु के महिमान्वित हो जाने के पश्चात् उन्हें याद आया कि यह उनके विषय में लिखा हुआ था और लोगों ने उनके साथ ऐसा ही किया था।
जब येशु ने लाजर को कबर से बाहर बुला कर मृतकों में से जिलाया था, उस समय जो लोग उनके साथ थे, वे उस घटना की साक्षी दे रहे थे। इसलिए बहुत लोग येशु का स्वागत करने निकले थे । उन्होंने सुना था कि येशु ने यह आश्चर्यपूर्ण चिह्न दिखाया था। यह सब देख कर फरीसियों ने एक दूसरे से कहा, “देख रहे हो न, तुमसे कुछ नहीं हो सका। देखो, सारा संसार उस के पीछे चल पड़ा है।”
जो लोग पर्व के अवसर पर आराधना करने आए थे, उनमें कुछ यूनानी थे। उन्होंने फिलिप के पास आ कर यह निवेदन किया, “महाशय! हम येशु से मिलना चाहते हैं।” फिलिप गलील प्रदेश के बेतसैदा नगर का निवासी था। वह गया और उसने अन्द्रेयास को यह बताया। तब अन्द्रेयास तथा फिलिप गये और उन्होंने येशु को इसकी सूचना दी।
येशु ने उनसे कहा, “वह समय आ गया है, जब मानव-पुत्र महिमान्वित किया जाएगा। मैं तुम से सच-सच कहता हूँ− जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिर कर नहीं मर जाता, तब तक वह अकेला ही रहता है; परन्तु यदि वह मर जाता है, तो बहुत फल देता है। जो अपने प्राण को प्यार करता है, वह उसको नष्ट करता है और जो इस संसार में अपने प्राण से बैर करता है, वह उसे शाश्वत जीवन के लिए सुरक्षित रखता है। यदि कोई मेरी सेवा करना चाहता है, तो वह मेरा अनुसरण करे। जहाँ मैं हूँ, वहीं मेरा सेवक भी होगा। यदि कोई मेरी सेवा करे, तो पिता उसका सम्मान करेगा।