इब्रानियों 8

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नये विधान के महापुरोहित मसीह
1इन बातों का सारांश यह है: हमारे एक ऐसे महापुरोहित हैं, जो स्‍वर्ग में महामहिम परमेश्‍वर के सिंहासन की दाहिनी ओर विराजमान हो कर#इब्र 4:14 2उस वास्‍तविक पवित्र स्‍थान तथा शिविर के धर्मसेवक#8:2 अथवा, “सर्वजन सेवक।” हैं जो मनुष्‍य द्वारा नहीं, बल्‍कि प्रभु द्वारा संस्‍थापित है। 3प्रत्‍येक महापुरोहित भेंट और बलि चढ़ाने के लिए नियुक्‍त है, इसलिए यह आवश्‍यक है कि उसके पास चढ़ावे के लिए कुछ हो। 4यदि येशु पृथ्‍वी पर रहते, तो वह पुरोहित भी नहीं होते; क्‍योंकि व्‍यवस्‍था के अनुसार भेंट चढ़ाने के लिए पुरोहित विद्यमान हैं- 5यद्यपि वे एक ऐसे आराधना-स्‍थल में आराधना करते हैं जो स्‍वर्ग की वास्‍तविकता की प्रतिकृति और छाया मात्र है। यही कारण है कि जब मूसा शिविर का निर्माण करने वाले थे, तो उन्‍हें परमेश्‍वर की ओर से यह आदेश मिला, “देखो, जो नमूना तुम्‍हें पर्वत पर दिखाया गया, उसी के अनुसार तुम सब कुछ बनाना।”#कुल 2:17; नि 25:40 6अब, जो धर्मसेवा मसीह को मिली है, वह कहीं अधिक ऊंची है; क्‍योंकि वह एक ऐसे विधान के मध्‍यस्‍थ हैं, जो श्रेष्‍ठतर है और श्रेष्‍ठतर प्रतिज्ञाओं पर आधारित है।#इब्र 7:22; 12:24; 2 कुर 3:6
7यदि पहला विधान परिपूर्ण होता, तो उसके स्‍थान पर दूसरे की क्‍या आवश्‍यकता थी? 8परमेश्‍वर उन लोगों की निन्‍दा करते हुए कहता है, “प्रभु यह कहता है : वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस्राएल के घराने के लिए और यहूदा के घराने के लिए एक नया विधान स्‍थापित करूँगा।#इब्र 10:16-17; यिर 31:31-34 (यू. पाठ) 9यह उस विधान की तरह नहीं होगा जिसे मैंने उनके पूर्वजों के लिए उस समय निर्धारित किया था, जब मैंने उन्‍हें मिस्र से निकालने के लिए उनके हाथ थामे थे। प्रभु यह कहता है: उन्‍होंने मेरे विधान का पालन नहीं किया, इसलिए मैंने भी उनकी सुध नहीं ली। 10प्रभु यह कहता है : वह समय बीत जाने के बाद मैं इस्राएल के लिए यह विधान निर्धारित करूँगा-मैं अपने नियम उनके मन में रख दूँगा, मैं उन्‍हें उनके हृदय पर अंकित करूँगा। मैं उनका परमेश्‍वर होऊंगा और वे मेरी प्रजा होंगे। 11इसकी आवश्‍यकता नहीं रहेगी कि सहनागरिक एक-दूसरे को शिक्षा दें अथवा भाई-बहिन एक-दूसरे से कहें, ‘प्रभु का ज्ञान प्राप्‍त कीजिए’, क्‍योंकि छोटे और बड़े, सब-के-सब मुझे जानेंगे। 12मैं उनके अपराध क्षमा कर दूंगा और उनके पापों को स्‍मरण नहीं रखूँगा।” 13परमेश्‍वर इस विधान को “नया” कह कर पुकारता है, इसलिए उसने प्रथम विधान रद्द कर दिया है। जो पुराना और जराग्रस्‍त हो गया है, वह लुप्‍त होने को है।#रोम 10:4

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