गलातियों 5

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मसीह द्वारा प्रदत्त स्‍वतन्‍त्रता
1मसीह ने स्‍वतन्‍त्र बने रहने के लिए ही हमें स्‍वतन्‍त्र किया है, इसलिए आप लोग दृढ़ रहें और फिर दासता के जूए में नहीं जुतें।#गल 4:5,31; प्रे 15:10 2मैं, पौलुस, आप लोगों से यह कहता हूँ : यदि आप खतना करायेंगे, तो आप को मसीह से कोई लाभ नहीं होगा।#2 कुर 10:1 3मैं खतना कराने वाले हर एक व्यक्‍ति से फिर कहता हूँ कि उसे समस्‍त व्‍यवस्‍था का पालन करना है। 4यदि आप अपनी धार्मिकता के लिए व्‍यवस्‍था पर निर्भर रहना चाहते हैं, तो आपने मसीह से अपना सम्‍बन्‍ध तोड़ लिया और परमेश्‍वर की कृपा को खो दिया है। 5हम तो उस धार्मिकता की तीव्र अभिलाषा करते हैं, जो विश्‍वास पर आधारित है और आत्‍मा द्वारा प्राप्‍त होती है।#5:5 अथवा “हम पवित्र आत्‍मा के द्वारा अपने विश्‍वास के कारण उस धार्मिकता की प्रतीक्षा करते हैं जिसकी हमें आशा है।” 6यदि हम येशु मसीह से संयुक्‍त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्‍व विश्‍वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।#गल 6:15; 1 कुर 7:19
7आप लोग अच्‍छी प्रगति कर रहे थे। आप को किसने आगे बढ़ने से रोका कि आप सत्‍य को न मानें? 8उस व्यक्‍ति ने जो भी तर्क दिया हो, वह तर्क परमेश्‍वर की ओर से नहीं आया जो आप लोगों को बुलाता है;#गल 1:6 9याद रखें, थोड़ा-सा खमीर सारे गूंधे हुए आटे को खमीरा बना देता है।#1 कुर 5:6 10मुझे प्रभु में आप लोगों पर यह भरोसा है कि आप विचलित नहीं होंगे। जो व्यक्‍ति आप लोगों में अशान्‍ति उत्‍पन्न कर रहा है, वह चाहे जो भी हो, परमेश्‍वर का दण्‍ड भोगेगा।#गल 1:7; 2 कुर 11:15 11प्‍यारो#5:11 शब्‍दश:, “भाइयो”! यदि मैं अब तक खतने का प्रचार करता होता, तो मुझ पर अब तक अत्‍याचार क्‍यों किया जा रहा है? यदि मैं ऐसा करता, तो क्रूस के कारण जो बाधा होती है, वह समाप्‍त हो जाती।#1 कुर 1:23 12अच्‍छा यही होता कि जो लोग आप में अशान्‍ति उत्‍पन्न कर रहे हैं, वे अपने को नपुंसक बना लेते!#भज 12:3
स्‍वतन्‍त्रता का प्रेम द्वारा नियन्‍त्रण
13भाइयो और बहिनो! आप जानते हैं कि आप लोग स्‍वतन्‍त्र होने के लिए बुलाये गये हैं। अत: आप इस स्‍वतन्‍त्रता को शारीरिक वासनाओं का साधन न बनाएं, वरन् प्रेम से एक दूसरे की सेवा करें,#1 पत 2:16 14क्‍योंकि समस्‍त व्‍यवस्‍था इस एक आज्ञा में पूर्ण हो जाती है : “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करो।”#लेव 19:18 15यदि आप लोग एक दूसरे को काटने और फाड़ डालने की चेष्‍टा करेंगे, तो सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप एक दूसरे का सर्वनाश कर दें।
पवित्र आत्‍मा द्वारा संचालन
16मैं यह कहना चाहता हूँ, आप लोग पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा के अनुसार#5:16 शब्‍दश:, “आत्‍मा द्वारा” चलेंगे तो शरीर की वासनाओं को तृप्‍त नहीं करेंगे। 17शारीरिक स्‍वभाव#5:17 शब्‍दश:, “शरीर” तो पवित्र आत्‍मा के विरुद्ध इच्‍छा करता है, और पवित्र आत्‍मा शारीरिक स्‍वभाव के विरुद्ध। ये दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए आप जो चाहते हैं, वही नहीं कर पाते हैं।#रोम 7:15,23; याक 4:5; 1 पत 2:11 18यदि आप का संचालन पवित्र आत्‍मा से होता है, तो आप व्‍यवस्‍था के अधीन नहीं हैं।#रोम 8:14
19शारीरिक स्‍वभाव के कर्म प्रत्‍यक्ष हैं, अर्थात् व्‍यभिचार, अशुद्धता, लम्‍पटता,#1 कुर 6:9-10 20मूर्ति-पूजा, जादू-टोना, बैर, फूट, ईष्‍र्या, क्रोध, स्‍वार्थपरता, मनमुटाव, दलबन्‍दी, 21द्वेष#5:21 पाठान्‍तर, “द्वेष, हत्‍या” , मतवालापन, रंगरलियाँ और इसी प्रकार की अन्‍य बातें। मैं आप लोगों से कहता हूँ, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, जो लोग इस प्रकार का आचरण करते हैं, वे परमेश्‍वर के राज्‍य के अधिकारी नहीं होंगे।#इफ 5:5; प्रक 22:15
22परन्‍तु पवित्र आत्‍मा का फल है : प्रेम, आनन्‍द, शान्‍ति, सहनशीलता, दयालुता, हितकामना, ईमानदारी,#इफ 5:9 23नम्रता और संयम। इनके विरुद्ध कोई विधि नहीं है।#1 तिम 1:9 24जो लोग येशु मसीह के हैं, उन्‍होंने वासनाओं तथा कामनाओं सहित अपने शारीरिक स्‍वभाव को क्रूस पर चढ़ा दिया है।#रोम 6:6; कुल 3:5; 1 पत 2:11 25यदि हमें पवित्र आत्‍मा द्वारा जीवन प्राप्‍त हो गया है, तो हम पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा के अनुसार जीवन बितायें।#रोम 8:4
मनुष्‍य जो बोता है, वही काटता है
26हम मिथ्‍याभिमानी न बनें, एक दूसरे को न भड़कायें और एक दूसरे से ईष्‍र्या न करें।#फिल 2:3

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