3 योहन 1:1-8

3 योहन 1:1-8 HINCLBSI

मैं धर्मवृद्ध, यह पत्र प्रिय गायुस के नाम लिख रहा हूँ, जिनसे मैं सच्‍चा प्रेम करता हूँ। प्रियवर! मेरी हार्दिक कामना है कि सब तरह से आपका कल्‍याण हो और आपकी आत्‍म की तरह, आपका शरीर भी पूर्ण स्‍वस्‍थ रहे; क्‍योंकि जब कुछ भाई-बहिन यहाँ आये और उन्‍होंने आपकी सच्‍चाई के विषय में साक्षी दी और बताया कि किस प्रकार आप सत्‍य के मार्ग पर चलते हैं, तो मैं बड़ा आनन्‍दित हुआ। मुझे और किसी बात से इतना आनन्‍द नहीं होता, जितना यह सुन कर कि मेरे बच्‍चे सत्‍य के मार्ग पर चलते हैं। प्रियवर! आप भाई-बहिनों के लिए − और ऐसे भाई-बहिनों के लिए जिन से आप अपरिचित हैं − जो कुछ कर रहे हैं, वह एक सच्‍चे विश्‍वासी के योग्‍य है। उन्‍होंने यहाँ की कलीसिया के सामने आपके प्रेम की साक्षी दी है। यदि आप उनकी अगली यात्रा का ऐसा प्रबन्‍ध करेंगे, जो परमेश्‍वर के योग्‍य हो, तो अच्‍छा काम करेंगे; क्‍योंकि वे मसीह का कार्य करने निकले हैं और अन्‍यधर्मी लोगों से कुछ नहीं लेते। इसलिए ऐसे लोगों का सेवा-सत्‍कार करना हमारा कर्त्तव्‍य है, जिससे हम सत्‍य की सेवा में उनके सहकर्मी बनें।