1 कुरिन्थियों 4

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धर्मसेवा का मूल्‍यांकन
1लोग हमें मसीह के सेवक और परमेश्‍वर के रहस्‍यों के प्रबन्‍धकर्त्ता समझें।#तीत 1:7 2अब प्रबन्‍धकर्त्ता से यह आशा की जाती है कि वह विश्‍वासपात्र हो।#लू 12:42 3मेरे लिए इस बात का कोई महत्व नहीं कि आप लोग अथवा मनुष्‍यों का कोई न्‍यायालय मुझे योग्‍य समझे। मैं स्‍वयं भी अपना न्‍याय नहीं करता। 4मैं अपने में कोई दोष नहीं पाता, किन्‍तु इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं निर्दोष हूँ। प्रभु ही मेरे न्‍यायकर्ता हैं। #भज 143:2; प्रज्ञ 17:11 5इसलिए समय से पूर्व, प्रभु के आने तक, आप किसी बात का न्‍याय मत कीजिए। वही अन्‍धकार में छिपी हुई बातों को प्रकाश में लायेंगे और मनुष्‍यों के हृदय के गुप्‍त अभिप्राय प्रकट करेंगे। उस समय हर एक को परमेश्‍वर की ओर से यथायोग्‍य श्रेय दिया जायेगा।#1 कुर 3:8
6भाइयो और बहिनो! मैंने आप लोगों के लिए अपने और अपुल्‍लोस के विषय में यह स्‍पष्‍टीकरण दिया है, जिससे आप हमारे उदाहरण से यह शिक्षा ग्रहण करें कि “कोई भी व्यक्‍ति धर्मग्रन्‍थ की मर्यादा का उल्‍लंघन न करे” और आप एक का पक्ष लेते हुए और दूसरे का तिरस्‍कार करते हुए अहंकारी न बनें।#रोम 12:3
7कौन है वह, जो तुम को दूसरों की अपेक्षा अधिक महत्व देता है? तुम्‍हारे पास क्‍या है, जो तुम्‍हें न दिया गया हो? और यदि तुम को सब कुछ दान में मिला है, तो इस पर क्‍यों गर्व करते हो, मानो यह तुम्‍हें न दिया गया हो?#रोम 12:6
8लगता है कि अभी से आप लोग तृप्‍त हो गये हैं। आप धनी हो गये हैं। आप को हमारे बिना राज्‍य मिल चुका है। कितना अच्‍छा होता यदि आप को सचमुच राज्‍य मिला होता। तब हम भी शायद आपके राज्‍य के सहभागी बन जाते!#प्रक 3:17,21 9मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्‍वर ने हम प्रेरितों को मृत्‍यु-दंड पाए व्यक्‍तियों की तरह जुलूस के अंत में प्रदर्शित किया है, क्‍योंकि हम विश्‍व के लिए-स्‍वर्गदूतों और मनुष्‍यों, दोनों के लिए-तमाशा बन गये हैं।#रोम 8:36; इब्र 10:33 10हम मसीह के कारण मूर्ख हैं, किन्‍तु आप मसीह के समझदार अनुयायी हैं। हम दुर्बल हैं और आप बलवान हैं। आप लोगों को सम्‍मान मिल रहा है और हमें तिरस्‍कार।#1 कुर 3:18 11हम इस समय भी भूखे और प्‍यासे हैं, फटे-पुराने कपड़े पहनते हैं, मार खाते हैं, भटकते फिरते हैं#2 कुर 11:23-27 12और अपने हाथों से परिश्रम करते-करते थक जाते हैं। लोग हमारा अपमान करते हैं और हम आशीर्वाद देते हैं। वे हम पर अत्‍याचार करते हैं और हम सहते जाते हैं।#प्रे 18:3; 20:34; 1 कुर 9:15; 1 थिस 2:9; 2 थिस 3:8; 1 पत 3:9; रोम 12:14; भज 109:29 13वे हमारी निन्‍दा करते हैं और हम नम्रतापूर्वक अनुनय-विनय करते हैं। लोग अब भी हमारे साथ ऐसा व्‍यवहार करते हैं, मानो हम पृथ्‍वी के कचरे और समाज के कूड़ा-करकट हों।#व्‍य 17:7; 22:24
पौलुस का पितातुल्‍य प्रेम
14मैं आप लोगों को, लज्‍जित करने के लिए यह नहीं लिख रहा हूँ, बल्‍कि आप को अपने प्‍यारे बच्‍चे मान कर समझा रहा हूँ; 15क्‍योंकि हो सकता है कि मसीह में आपके हजार शिक्षक#4:15 शब्‍दश:, “बाल-संरक्षक”। हों, किन्‍तु आपके अनेक पिता नहीं हैं। मैंने शुभ समाचार द्वारा येशु मसीह में आप लोगों को उत्‍पन्न किया है।#गल 4:19 16इसलिए मैं आप लोगों से यह अनुरोध करता हूँ कि आप मेरा अनुसरण करें।#1 कुर 11:1 17मैंने प्रभु में अपने प्रिय एवं विश्‍वासी पुत्र तिमोथी को इस कारण आप के यहाँ भेजा है। वह आप को येशु मसीह की संगति में मेरी जीवन-चर्या का स्‍मरण दिलाएगा, जिसके अनुरूप मैं सब जगह हर कलीसिया में शिक्षा देता हूँ।#प्रे 19:22; फिल 2:20 18किन्‍तु कुछ व्यक्‍ति यह समझ कर घमण्‍ड से फूले नहीं समा रहे हैं कि मैं आप के यहाँ नहीं आऊंगा। 19यदि प्रभु की इच्‍छा हो, तो मैं शीघ्र ही आप लोगों के यहाँ आऊंगा और उनकी बातों से नहीं, बल्‍कि उनकी कार्यक्षमता से उन घमण्‍डियों को परखना चाहूँगा;#प्रे 18:21; याक 4:15 20क्‍योंकि परमेश्‍वर का राज्‍य बातों में नहीं, बल्‍कि शक्‍तिशाली कार्यों में है।#1 कुर 2:4; लू 17:20 21आखिर आप लोग क्‍या चाहते हैं? क्‍या मैं छड़ी लिये आप के पास आऊं या प्रेम और कोमलता का भाव ले कर?

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