जैसे पिता की मनोहरता उसकी संतान पर होती है, वैसे ही याहवेह की मनोहरता उनके श्रद्धालुओं पर स्थिर रहती है; क्योंकि उन्हें हमारी सृष्टि ज्ञात है, उन्हें स्मरण रहता है कि हम मात्र धूल ही हैं. मनुष्य से संबंधित बातें यह है, कि उसका जीवन घास समान है, वह मैदान के पुष्प समान खिलता है, उस पर उष्ण हवा का प्रवाह होता है और वह नष्ट हो जाता है, किसी को यह स्मरण तक नहीं रह जाता, कि पुष्प किस स्थान पर खिला था, किंतु याहवेह का करुणा-प्रेम उनके श्रद्धालुओं पर अनादि से अनंत तक, तथा परमेश्वर की धार्मिकता उनकी संतान की संतान पर स्थिर बनी रहती है. जो उनकी वाचा का पालन करते तथा उनके आदेशों का पालन करना याद रखते हैं. याहवेह ने अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थापित किया है, समस्त बनाई वस्तुओं पर उनका शासन है.
स्तोत्र 103 पढ़िए
सुनें - स्तोत्र 103
शेयर
सभी संस्करणों की तुलना करें: स्तोत्र 103:13-19
7 दिन
हमारा परमपता हमारे जीवन को सर ीतु और हमारे दनो को बहुत आनंदत, उ पादक और फल!भूत बनाना चाहता है। वह हमारे जीवन के हर े& म’ सह! (नणय* लेने म’ हमार! मदद करना चाहता है। वह हमार! हर ज+रत (शार!रक, भावना मक, और आ-याि मक) को /दान करने के साथ-साथ हमार! सभी इ2छाओं को पूरा करने क5 इ2छा रखता है।
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो