जानो, बढ़ो, दिखाओ: यूहन्ना 15 पर मनन -Jaano, Badho, Dikhao: Yoohanna 15 Par MananMuestra

दिन 8 बने रहने का नतीजा - बढ़ना
“यदि तुम मुझमे बने रहो और मैं तुममे, तो तुम बहुत फल लाओगे;”
फलवंतता का संबंध यीशु के साथ मेरे रिश्ते से है। यह नहीं की मैं कितनी अच्छी तरह से बदोबस्त करता और कार्यक्रम संभालता हूँ। इसका संबंध मेरे रविवार की बढ़िया सभा से नहीं है। इसका वास्ता आधुनिक मसीहियत की तामझाम से बिलकुल नहीं है।
यह इतना सरल है की हम सच में इससे पूरी तरह चूक जाते हैं। यह मेरे “होने” के बारे में है नाकि मेरे “करने” के बारे में। शुरू में ध्यान होना पर होता और फिर बनना आता है
बने रहें या रहें और तब आप फलवंत होंगे।
यह वचन मुझे बताता है की मैं फल लाता हूँ बने रहने से। मैं फल लता हूँ जैसे जैसे यीशु से मेरा रिश्ता बढ़ता है। जितना ज्यादा मैं मुख्य डाली से हासिल करता हूँ, उतना ज्यादा मैं फल लाऊंगा।
फलवंतता आती है करीबी रिश्ते और दिल से दिल मिलने से। बदलाव आता है करीबी रिश्ते और दिल से दिल मिलने से।
बने रहना या जुड़े रहने हम उसकी उपस्थिति से जीवित रहेंगे नाकि सिर्फ सिद्धांतों से। जितना ज्यादा समय मैं यीशु के साथ बिताता हूँ; उतना ज्यादा मैं उसके विचारों को और जीवन के विभिन्न मुद्दों पर उसके तरीकों और दिल को समझूंगा। जिस तरह बच्चे अनजाने में ही अपने माँ-बाप की चाल, बातें और काम करने के तरीकों की नक़ल करते हैं; हम बहुत जल्द अपने कामों और बातों में यीशु को दिखाने लगेंगे।
यूहन्ना 5:39-40 “तुम शास्त्रों का अध्ययन करते हो क्योंकि तुम्हारा विचार है कि तुम्हें उनके द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त होगा। किन्तु ये सभी शास्त्र मेरी ही साक्षी देते हैं। फिर भी तुम जीवन प्राप्त करने के लिये मेरे पास नहीं आना चाहते।”
जब हम उसकी उपस्थिति में आते हैं, तो हमें उसका गहरा प्रकाशन मिलता है। प्रकाशन हमें बदलता है, नाकि जानकारी। उसके वचन की जानकारी सिर्फ एक द्वार है। फिर हम उसके साथ गहरे समझ और संगती चाहते हैं।
आज यीशु के साथ गहराई में जाने का निमंत्रण है
सिर्फ आज्ञाकारिता अपने आप में ठंडी, सुखी और आस्थाहीन होती है। वह उत्तम फल उत्पन्न नहीं करेगी। फरीसियों ने ऐसा किया और इसने सिर्फ उन्हें खुद के पाप के प्रति अँधा और दूसरों पर ऊँगली उठाने वाले बना दिया।
वे पिता का दिल नहीं देख पाए उसके कामों में, जिस दया और प्यार के साथ उसने लोगों को चंगा किया, जिस अनुग्रह के साथ उसने पापियों से बर्ताव किया जो उन्हें पश्चाताप की ओर ले आया।
धर्म हमारे पिता को जानने के आड़े आता या हमें रोकता है। यीशु पिता को प्रकट करने आया। जब हम उसमें करीबी से बने रहेंगे तो हम पिता को भी जानेगे क्योंकि वह और पिता एक है (यूहन्ना 14:11)। इसके बारे में वह हमें सबकुछ अध्याय 14:23 में बताता है। अगर हम उससे प्यार करते और उसकी आज्ञा मानते हैं, तो पिता हमसे प्यार करेगा।
मनन करें और खुद से पूछें | आप यीशु के साथ रिश्ते की गहराई में जाने के लिए क्या कर सकते हैं?
खुद से पूछें की आपका “भक्ति-समय” आनंदमय रहा है या बंधन वाला। यीशु के साथ सची, ईमानदारी की बातचीत करना शुरू करें। मेरा विश्वास करें वह चौंकेगा नहीं। वह पहले से ही जानता है!
क्या आप यीशु को और अधिक जानना चाहते हैं? उसके साथ समय बिताएं और उसको आपसे बात करते हुए सुनें। जो वह कहता है उसे लिख लें। उसके पास आपके बारे में बताने के लिए बढ़िया बातें हैं।
वचन उल्लेख
यूहन्ना 15:5, यूहन्ना 14:23
यूहन्ना 14:11, यूहन्ना 5:39-40
Acerca de este Plan

कुछ समय से परमेश्वर मुझे दोबारा यूहन्ना 15 के पास ले आ रहा है। इन हालातों में यह मेरे पावों के लिए दीपक और रास्ते के लिए ज्योति बन गया है। मैं आपको आमंत्रित करती हूं इन वचनों के कुछ मुख्य विषयों पर मनन करने; जानने, बढ़ने, और प्रेम करने के लिए। English Title: Know, Grow, Show - Reflections on John 15 by Navaz DCruz
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