Logo de YouVersion
Icono de búsqueda

मारकुस 13

13
मन्‍दिर के विनाश की भविष्‍यवाणी
1येशु मन्‍दिर से निकल रहे थे कि उनके शिष्‍यों में से एक ने उन से कहा, “गुरुवर! देखिए; ये बड़े-बड़े पत्‍थर! कैसे भव्‍य भवन!”#मत 24:1-51; लू 21:5-36 2येशु ने उसे उत्तर दिया, “तुम इन विशाल भवनों को देख रहे हो न? यहाँ एक पत्‍थर पर दूसरा पत्‍थर पड़ा नहीं रहेगा−सब ध्‍वस्‍त हो जाएगा।”
3जब येशु जैतून पहाड़ पर मन्‍दिर के सामने बैठ गये, तब पतरस, याकूब, योहन और अन्‍द्रेयास ने एकान्‍त में उनसे पूछा, 4“हमें बताइए, यह कब होगा और किस चिह्‍न से पता चलेगा कि यह सब पूरा होने को है?”
विपत्तियों का प्रारम्‍भ
5येशु अपने शिष्‍यों से यह कहने लगे, “सावधान रहो, तुम्‍हें कोई नहीं बहकाए। 6बहुत-से लोग मेरे नाम में आएँगे और कहेंगे, ‘मैं वहीं हूँ’, और वे बहुतों को बहका देंगे।
7“जब तुम युद्धों की चर्चा सुनोगे और युद्धों के बारे में अफवाहें सुनोगे, तो इससे मत घबराना; क्‍योंकि ऐसा होना अनिवार्य है। परन्‍तु अन्‍त अभी नहीं होगा। 8जाति के विरुद्ध जाति और राज्‍य के विरुद्ध राज्‍य उठ खड़ा होगा। जहाँ-तहाँ भूकम्‍प आएँगे और अकाल पड़ेंगे। यह मानो प्रसव-पीड़ा का आरम्‍भ मात्र होगा।#यश 19:2; 2 इत 15:6
9“अपने विषय में सावधान रहो। लोग तुम्‍हें धर्मसभाओं के हाथ में सौंप देंगे और तुम्‍हें सभागृहों में पीटेंगे। वे तुम्‍हें मेरे कारण शासकों और राजाओं के सामने खड़ा करेंगे, जिससे तुम मेरे विषय में उन्‍हें साक्षी दे सको।#मत 10:17-22; लू 21:12-17 10यह आवश्‍यक है कि पहले सब जातियों को शुभ-समाचार सुनाया जाए।#मक 16:15
11“जब वे तुम्‍हें पकड़वाकर ले जा रहे होंगे, तब यह चिन्‍ता न करना कि तुम क्‍या कहोगे। पर उस समय जो शब्‍द तुम्‍हें दिये जाएँगे, उन्‍हें कह देना; क्‍योंकि बोलने वाले तुम नहीं हो, बल्‍कि पवित्र आत्‍मा है। 12भाई अपने भाई को मृत्‍यु के लिए सौंप देगा और पिता अपनी सन्‍तान को। सन्‍तान अपने माता-पिता के विरुद्ध उठ खड़ी होगी और उन्‍हें मरवा डालेगी।#मी 7:6 13मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, किन्‍तु जो अन्‍त तक स्‍थिर रहेगा, वही बचाया जाएगा।
महासंकट
14“जब तुम विनाशकारी घृणित व्यक्‍ति को वहाँ खड़ा हुआ देखोगे, जहाँ उसका होना उचित नहीं है−पढ़ने वाला इसे समझ ले−तो, जो लोग यहूदा प्रदेश में हों, वे पहाड़ों पर भाग जाएँ।#दान 9:27; 11:31; 12:11; 1 मक 1:54; 6:7 15जो छत पर हो, वह नीचे न उतरे और अपना कुछ सामान लेने घर के अन्‍दर न जाए। 16जो खेत में हो, वह अपनी चादर लाने के लिए पीछे न लौटे। 17उन स्‍त्रियों के लिए शोक, जो उन दिनों गर्भवती होंगी; और उनके लिए शोक जो दूध पिलाती होंगी! 18प्रार्थना करो कि यह सब शीतकाल में घटित न हो; 19क्‍योंकि उन दिनों ऐसा दु:ख-कष्‍ट होगा, जैसा परमेश्‍वर-रचित सृष्‍टि के प्रारम्‍भ से अब तक न कभी हुआ है और न कभी होगा।#दान 12:1; योए 2:2 20यदि प्रभु ने उन दिनों को घटाया न होता, तो कोई भी प्राणी नहीं बचता; किन्‍तु अपने मनोनीत लोगों के कारण, जिन्‍हें उसने चुना है, उसने उन दिनों को घटा दिया है।
21“यदि उस समय कोई तुम लोगों से कहे ‘देखो, मसीह यहाँ हैं’, अथवा ‘देखो, वह वहाँ हैं’, तो विश्‍वास नहीं करना; 22क्‍योंकि झूठे मसीह तथा झूठे नबी प्रकट होंगे और ऐसे चिह्‍न तथा चमत्‍कार दिखाएँगे कि यदि सम्‍भव हो तो चुने हुए लोगों को बहका दें।#व्‍य 13:1 23तुम सावधान रहना। मैंने तुम्‍हें पहले ही सब कुछ बता दिया है।
मानव-पुत्र का पुनरागमन
24“उन दिनों इस संकट के बाद सूर्य अन्‍धकारमय हो जाएगा, चन्‍द्रमा प्रकाश नहीं देगा,#यश 13:10 25तारे आकाश से गिरने लगेंगे और आकाश की शक्‍तियाँ विचलित हो जाएँगी।#यश 34:4 26तब लोग मानव-पुत्र को अपार सामर्थ्य और महिमा के साथ बादलों पर आते हुए देखेंगे।#दान 7:13 27वह अपने दूतों को भेजेगा और पृथ्‍वी के इस छोर से आकाश के उस छोर तक चारों दिशाओं से अपने चुने हुए लोगों को एकत्र करेगा।#जक 2:6; व्‍य 30:4; मत 13:41
यह कब होगा?
28“अंजीर के पेड़ से यह शिक्षा लो। जैसे ही उसकी टहनियाँ कोमल हो जाती हैं और उन में अंकुर फूटने लगते हैं, तो तुम जान जाते हो कि ग्रीष्‍मकाल निकट है। 29इसी तरह, जब तुम इन बातों को होते देखोगे, तो जान लेना कि वह निकट है, वरन् द्वार पर ही है। 30मैं तुम से सच कहता हूँ : इस पीढ़ी का अन्‍त नहीं होगा जब तक ये सब बातें घटित नहीं हो जाएँगी। 31आकाश और पृथ्‍वी टल जाएँ, तो टल जाएँ, परन्‍तु मेरे शब्‍द कदापि नहीं टल सकते।
32“उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता−न स्‍वर्ग के दूत और न पुत्र। केवल पिता ही जानता है।
जागते रहो!
33“सावधान रहो। जागते रहो, क्‍योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा। 34यह कुछ ऐसा है, जैसे कोई मनुष्‍य अपना घर छोड़कर विदेश चला गया हो। उसने अपने घर का भार अपने सेवकों को सौंप दिया हो, हर एक को उसका काम बता दिया हो और द्वारपाल को जागते रहने का आदेश दिया हो।#मत 25:14; लू 19:12 35तुम नहीं जानते कि घर का स्‍वामी कब आएगा−शाम को, आधी रात को, मुर्गे के बाँग देते समय अथवा प्रात:काल। इसलिए जागते रहो।#लू 12:38 36कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक आ जाए और तुम्‍हें सोता हुआ पाए। 37जो बात मैं तुम से कहता हूँ, वही सब से कहता हूँ : जागते रहो!”

Actualmente seleccionado:

मारकुस 13: HINCLBSI

Destacar

Compartir

Copiar

None

¿Quieres tener guardados todos tus destacados en todos tus dispositivos? Regístrate o inicia sesión