1 थिस्सलुनीकियों 3
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1आख़िरकार हम यह हालत मज़ीद बरदाश्त न कर सके। हमने फ़ैसला किया कि अकेले ही अथेने में रहकर 2तीमुथियुस को भेज देंगे जो हमारा भाई और मसीह की ख़ुशख़बरी फैलाने में हमारे साथ अल्लाह की ख़िदमत करता है। हमने उसे भेज दिया ताकि वह आपको मज़बूत करे और ईमान में आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई करे 3ताकि कोई इन मुसीबतों से बेचैन न हो जाए। क्योंकि आप ख़ुद जानते हैं कि इनका सामना करना हमारे लिए अल्लाह की मरज़ी है। 4बल्कि जब हम आपके पास थे तो हमने इसकी पेशगोई की कि हमें मुसीबत बरदाश्त करनी पड़ेगी। और ऐसा ही हुआ जैसा कि आप ख़ूब जानते हैं। 5यही वजह थी कि मैंने तीमुथियुस को भेज दिया। मैं यह हालात बरदाश्त न कर सका, इसलिए मैंने उसे आपके ईमान को मालूम करने के लिए भेज दिया। ऐसा न हो कि आज़मानेवाले ने आपको यों आज़माइश में डाल दिया हो कि हमारी आप पर मेहनत ज़ाया जाए।
6लेकिन अब तीमुथियुस लौट आया है, और वह आपके ईमान और मुहब्बत के बारे में अच्छी ख़बर लेकर आया है। उसने हमें बताया कि आप हमें बहुत याद करते हैं और हमसे उतना ही मिलने के आरज़ूमंद हैं जितना कि हम आप से। 7भाइयो, आप और आपके ईमान के बारे में यह सुनकर हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई हुई, हालाँकि हम ख़ुद तरह तरह के दबाव और मुसीबतों में फँसे हुए हैं। 8अब हमारी जान में जान आ गई है, क्योंकि आप मज़बूती से ख़ुदावंद में क़ायम हैं। 9हम आपकी वजह से अल्लाह के कितने शुक्रगुज़ार हैं! यह ख़ुशी नाक़ाबिले-बयान है जो हम आपकी वजह से अल्लाह के हुज़ूर महसूस करते हैं। 10दिन-रात हम बड़ी संजीदगी से दुआ करते रहते हैं कि आपसे दुबारा मिलकर वह कमियाँ पूरी करें जो आपके ईमान में अब तक रह गई हैं।
11अब हमारा ख़ुदा और बाप ख़ुद और हमारा ख़ुदावंद ईसा रास्ता खोले ताकि हम आप तक पहुँच सकें। 12ख़ुदावंद करे कि आपकी एक दूसरे और दीगर तमाम लोगों से मुहब्बत इतनी बढ़ जाए कि वह यों दिल से छलक उठे जिस तरह आपके लिए हमारी मुहब्बत भी छलक रही है। 13क्योंकि इस तरह अल्लाह आपके दिलों को मज़बूत करेगा और आप उस वक़्त हमारे ख़ुदा और बाप के हुज़ूर बेइलज़ाम और मुक़द्दस साबित होंगे जब हमारा ख़ुदावंद ईसा अपने तमाम मुक़द्दसीन के साथ आएगा। आमीन।
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1आख़िरकार हम यह हालत मज़ीद बरदाश्त न कर सके। हमने फ़ैसला किया कि अकेले ही अथेने में रहकर 2तीमुथियुस को भेज देंगे जो हमारा भाई और मसीह की ख़ुशख़बरी फैलाने में हमारे साथ अल्लाह की ख़िदमत करता है। हमने उसे भेज दिया ताकि वह आपको मज़बूत करे और ईमान में आपकी हौसलाअफ़्ज़ाई करे 3ताकि कोई इन मुसीबतों से बेचैन न हो जाए। क्योंकि आप ख़ुद जानते हैं कि इनका सामना करना हमारे लिए अल्लाह की मरज़ी है। 4बल्कि जब हम आपके पास थे तो हमने इसकी पेशगोई की कि हमें मुसीबत बरदाश्त करनी पड़ेगी। और ऐसा ही हुआ जैसा कि आप ख़ूब जानते हैं। 5यही वजह थी कि मैंने तीमुथियुस को भेज दिया। मैं यह हालात बरदाश्त न कर सका, इसलिए मैंने उसे आपके ईमान को मालूम करने के लिए भेज दिया। ऐसा न हो कि आज़मानेवाले ने आपको यों आज़माइश में डाल दिया हो कि हमारी आप पर मेहनत ज़ाया जाए।
6लेकिन अब तीमुथियुस लौट आया है, और वह आपके ईमान और मुहब्बत के बारे में अच्छी ख़बर लेकर आया है। उसने हमें बताया कि आप हमें बहुत याद करते हैं और हमसे उतना ही मिलने के आरज़ूमंद हैं जितना कि हम आप से। 7भाइयो, आप और आपके ईमान के बारे में यह सुनकर हमारी हौसलाअफ़्ज़ाई हुई, हालाँकि हम ख़ुद तरह तरह के दबाव और मुसीबतों में फँसे हुए हैं। 8अब हमारी जान में जान आ गई है, क्योंकि आप मज़बूती से ख़ुदावंद में क़ायम हैं। 9हम आपकी वजह से अल्लाह के कितने शुक्रगुज़ार हैं! यह ख़ुशी नाक़ाबिले-बयान है जो हम आपकी वजह से अल्लाह के हुज़ूर महसूस करते हैं। 10दिन-रात हम बड़ी संजीदगी से दुआ करते रहते हैं कि आपसे दुबारा मिलकर वह कमियाँ पूरी करें जो आपके ईमान में अब तक रह गई हैं।
11अब हमारा ख़ुदा और बाप ख़ुद और हमारा ख़ुदावंद ईसा रास्ता खोले ताकि हम आप तक पहुँच सकें। 12ख़ुदावंद करे कि आपकी एक दूसरे और दीगर तमाम लोगों से मुहब्बत इतनी बढ़ जाए कि वह यों दिल से छलक उठे जिस तरह आपके लिए हमारी मुहब्बत भी छलक रही है। 13क्योंकि इस तरह अल्लाह आपके दिलों को मज़बूत करेगा और आप उस वक़्त हमारे ख़ुदा और बाप के हुज़ूर बेइलज़ाम और मुक़द्दस साबित होंगे जब हमारा ख़ुदावंद ईसा अपने तमाम मुक़द्दसीन के साथ आएगा। आमीन।
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