प्रेरितों पुस्तक परिचय
पुस्तक परिचय
“संत लूकस के अनुसार शुभ समाचार” ग्रन्थ का अगला भाग है “प्रेरितों के कार्य-कलाप” । संत लूकस ने प्रस्तुत ग्रंथ में मुख्य रूप से यह बताया है कि प्रभु येशु का शुभ संदेश आरंभिक अनुयायियों द्वारा पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में किस प्रकार “यरूशलेम में, समस्त यहूदा प्रदेश में, सामरी प्रदेश में और पृथ्वी के सीमांत तक फैल गया” (1:8)। यह पुस्तक मसीही आंदोलन का क्रमबद्ध विवरण है, जो यहूदी लोगों में आरंभ हुआ था और बाद में भूमध्यसागर-तट के तीनों महाद्वीपों में नवीन धर्म-विश्वास, नये पंथ के रूप में फैल गया।
लेखक संत लूकस अपने पाठकों को यह विश्वास दिलाते हैं कि ये मसीही लोग राजनैतिक-क्रांतिकारी अथवा राज्य-विद्रोही नहीं थे, जिससे वे तत्कालीन रोमन साम्राज्य के लिए संकट बन जाते। वस्तुत: यह मसीही विश्वास यहूदी धर्मग्रंथों में निहित प्रतिज्ञाओं की परिपूर्णता है और अब गैर-यहूदियों को भी परमेश्वर का मुक्ति-संदेश प्राप्त है (28 : 28)।
प्रस्तुत ग्रन्थ की विषय-सामग्री को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक भाग में यह बताया गया है कि प्रभु येशु का शुभ संदेश स्थान-विशेष में किस प्रकार सुनाया गया और वहाँ किस प्रकार कलीसिया की स्थापना हुई, और यह आंदोलन कैसे एक नगर से दूसरे नगर में फैलता गया।
पहला भाग : प्रभु येशु के स्वर्गारोहण के पश्चात् यरूशलेम नगर में मसीही धर्म-आन्दोलन का आरंभ (अध्याय 1 से 5)।
दूसरा भाग : इस्राएल देश तथा पड़ोसी देशों के अन्य नगरों की ओर मसीही धर्म-आंदोलन का प्रसार (अध्याय 6 से 12)।
तीसरा भाग : भूमध्यसागर के आसपास के नगरों में, रोमन साम्राज्य की राजधानी रोम तक मसीही धर्म-आन्दोलन का विस्तार (अध्याय 13 से 28 तक)।
प्रथम दो भागों में प्रेरित-सन्त पतरस के कार्यों एवं उपदेशों को अधिक महत्व दिया गया है। तीसरे भाग में धर्म-प्रचार की यात्राओं के विवरण में सन्त पौलुस को मुख्य पात्र बनाया गया है। लेकिन “प्रेरितों के कार्य-कलाप” ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता है − पवित्र आत्मा के कार्य-कलापों का उल्लेख। पवित्र आत्मा पेंतेकोस्त (सप्त-सप्ताह) के पर्व पर यरूशलेम नगर में प्रभु येशु के अनुयायियों पर सामर्थ्य के साथ अवतरित हुआ, और पुस्तक के आदि से अन्त तक कलीसिया तथा उसके अगुओं का मार्गदर्शन करता रहा और घोर अत्याचार के समय भी उन्हें सबल बनाता रहा।
प्रस्तुत ग्रन्थ में अनेक प्रवचन हैं जो वास्तव में आरंभिक मसीही शुभ संदेश का सार-रूप हैं। इस ग्रंथ में जिन घटनाओं का उल्लेख किया गया है, उनमें मसीह के शुभ संदेश का सामाथ्र्य प्रकट होता है। साथ ही यह भी कि विश्वासियों के जीवन और कलीसिया की सहभागिता पर शुभ संदेश का कितना अधिक प्रभाव पड़ा था। अत: पाठकों को आदर्श मसीही जीवन की व्यावहारिक शिक्षा मिलती है: “सब विश्वासी एक-हृदय थे। उनके पास जो कुछ था, उसमें सब का साझा था” (2:44; 4:32)।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
साक्षी देने की तैयारी 1:1-26
(क) प्रभु येशु का अंतिम आदेश 1:1-14
(ख) यूदस [यहूदा] इस्करियोती का उत्तराधिकारी 1:15-26
यरूशलेम में साक्षी देना 2:1−5:42
धर्मसेवक स्तीफनुस की हत्या से धर्मप्रचार का आरंभ 6:1−8:3
यहूदा और सामरी प्रदेशों में साक्षी देना 8:4−12:25
प्रेरित पौलुस की धर्मसेवा 13:1−28:31
(क) प्रथम धर्मप्रचार-यात्रा 13:1−14:28
(ख) यरूशलेम में धर्म-सम्मेलन 15:1-35
(ग) द्वितीय धर्मप्रचार-यात्रा 15:36−18:22
(घ) तृतीय धर्मप्रचार-यात्रा 18:23−21:16
(ङ) यरूशलेम, कैसरिया तथा रोम नगर में बन्दी पौलुस 21:17−28:31
Àwon tá yàn lọ́wọ́lọ́wọ́ báyìí:
प्रेरितों पुस्तक परिचय: HINCLBSI
Ìsàmì-sí
Pín
Daako

Ṣé o fẹ́ fi àwọn ohun pàtàkì pamọ́ sórí gbogbo àwọn ẹ̀rọ rẹ? Wọlé pẹ̀lú àkántì tuntun tàbí wọlé pẹ̀lú àkántì tí tẹ́lẹ̀
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
प्रेरितों पुस्तक परिचय
पुस्तक परिचय
“संत लूकस के अनुसार शुभ समाचार” ग्रन्थ का अगला भाग है “प्रेरितों के कार्य-कलाप” । संत लूकस ने प्रस्तुत ग्रंथ में मुख्य रूप से यह बताया है कि प्रभु येशु का शुभ संदेश आरंभिक अनुयायियों द्वारा पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में किस प्रकार “यरूशलेम में, समस्त यहूदा प्रदेश में, सामरी प्रदेश में और पृथ्वी के सीमांत तक फैल गया” (1:8)। यह पुस्तक मसीही आंदोलन का क्रमबद्ध विवरण है, जो यहूदी लोगों में आरंभ हुआ था और बाद में भूमध्यसागर-तट के तीनों महाद्वीपों में नवीन धर्म-विश्वास, नये पंथ के रूप में फैल गया।
लेखक संत लूकस अपने पाठकों को यह विश्वास दिलाते हैं कि ये मसीही लोग राजनैतिक-क्रांतिकारी अथवा राज्य-विद्रोही नहीं थे, जिससे वे तत्कालीन रोमन साम्राज्य के लिए संकट बन जाते। वस्तुत: यह मसीही विश्वास यहूदी धर्मग्रंथों में निहित प्रतिज्ञाओं की परिपूर्णता है और अब गैर-यहूदियों को भी परमेश्वर का मुक्ति-संदेश प्राप्त है (28 : 28)।
प्रस्तुत ग्रन्थ की विषय-सामग्री को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक भाग में यह बताया गया है कि प्रभु येशु का शुभ संदेश स्थान-विशेष में किस प्रकार सुनाया गया और वहाँ किस प्रकार कलीसिया की स्थापना हुई, और यह आंदोलन कैसे एक नगर से दूसरे नगर में फैलता गया।
पहला भाग : प्रभु येशु के स्वर्गारोहण के पश्चात् यरूशलेम नगर में मसीही धर्म-आन्दोलन का आरंभ (अध्याय 1 से 5)।
दूसरा भाग : इस्राएल देश तथा पड़ोसी देशों के अन्य नगरों की ओर मसीही धर्म-आंदोलन का प्रसार (अध्याय 6 से 12)।
तीसरा भाग : भूमध्यसागर के आसपास के नगरों में, रोमन साम्राज्य की राजधानी रोम तक मसीही धर्म-आन्दोलन का विस्तार (अध्याय 13 से 28 तक)।
प्रथम दो भागों में प्रेरित-सन्त पतरस के कार्यों एवं उपदेशों को अधिक महत्व दिया गया है। तीसरे भाग में धर्म-प्रचार की यात्राओं के विवरण में सन्त पौलुस को मुख्य पात्र बनाया गया है। लेकिन “प्रेरितों के कार्य-कलाप” ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता है − पवित्र आत्मा के कार्य-कलापों का उल्लेख। पवित्र आत्मा पेंतेकोस्त (सप्त-सप्ताह) के पर्व पर यरूशलेम नगर में प्रभु येशु के अनुयायियों पर सामर्थ्य के साथ अवतरित हुआ, और पुस्तक के आदि से अन्त तक कलीसिया तथा उसके अगुओं का मार्गदर्शन करता रहा और घोर अत्याचार के समय भी उन्हें सबल बनाता रहा।
प्रस्तुत ग्रन्थ में अनेक प्रवचन हैं जो वास्तव में आरंभिक मसीही शुभ संदेश का सार-रूप हैं। इस ग्रंथ में जिन घटनाओं का उल्लेख किया गया है, उनमें मसीह के शुभ संदेश का सामाथ्र्य प्रकट होता है। साथ ही यह भी कि विश्वासियों के जीवन और कलीसिया की सहभागिता पर शुभ संदेश का कितना अधिक प्रभाव पड़ा था। अत: पाठकों को आदर्श मसीही जीवन की व्यावहारिक शिक्षा मिलती है: “सब विश्वासी एक-हृदय थे। उनके पास जो कुछ था, उसमें सब का साझा था” (2:44; 4:32)।
विषय-वस्तु की रूपरेखा
साक्षी देने की तैयारी 1:1-26
(क) प्रभु येशु का अंतिम आदेश 1:1-14
(ख) यूदस [यहूदा] इस्करियोती का उत्तराधिकारी 1:15-26
यरूशलेम में साक्षी देना 2:1−5:42
धर्मसेवक स्तीफनुस की हत्या से धर्मप्रचार का आरंभ 6:1−8:3
यहूदा और सामरी प्रदेशों में साक्षी देना 8:4−12:25
प्रेरित पौलुस की धर्मसेवा 13:1−28:31
(क) प्रथम धर्मप्रचार-यात्रा 13:1−14:28
(ख) यरूशलेम में धर्म-सम्मेलन 15:1-35
(ग) द्वितीय धर्मप्रचार-यात्रा 15:36−18:22
(घ) तृतीय धर्मप्रचार-यात्रा 18:23−21:16
(ङ) यरूशलेम, कैसरिया तथा रोम नगर में बन्दी पौलुस 21:17−28:31
Àwon tá yàn lọ́wọ́lọ́wọ́ báyìí:
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Ìsàmì-sí
Pín
Daako

Ṣé o fẹ́ fi àwọn ohun pàtàkì pamọ́ sórí gbogbo àwọn ẹ̀rọ rẹ? Wọlé pẹ̀lú àkántì tuntun tàbí wọlé pẹ̀lú àkántì tí tẹ́lẹ̀
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
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