ये मुआसिर उर्दू में किताब-ए-मुक़द्दस का एक नया तर्जुमा है जिस में तमाम दस्तयाब वसाइल का इस्तिमाल किया गया है ताके किताब-ए-मुक़द्दस के पैग़ाम को दुनिया भर के तमाम उर्दू बोलने वालों के लिये वाज़ेह और काबिले-फ़हम बनाया जा सके। इस तर्जुमे की हर आयत को बैन-उल-अक़्वामी सतह पर तस्दीक़ शुदः तजुर्बेकार तर्जुमे के मुशीरों की जांच पड़ताल से गुज़रना पड़ा है। इस अमल में सलाहकारों ने माख़ज़ (इब्रानी और यूनानी ज़बानों के साथ तर्जुमा शुदः मतन की दरूस्तगी की तस्दीक़ की है और इस बात को यक़ीनी बनाया है के तर्जुमा बिब्लिका के तर्जुमे के फ़लसफ़े से मुताबिक़त रखता है असल से ज़्यादा से ज़्यादा क़ुरबत और मुआसिर क़ारईन तक ज़्यादा से ज़्यादा रसाई असल ज़बानों और हदफ़ ज़बान दोनों के लिये मुसावी साबित होगा।
एज़ाज़ात का इस्तिमाल इस तर्जुमे की एक मुन्फ़रिद ख़ुसूसियत है। हम ने इस बात को यक़ीनी बनाया के हर सतह से तअल्लुक़ रखने वाले अफ़राद को सही क़िस्म के क़ाबिले-एहतराम अल्फ़ाज़ के साथ मुख़ातिब किया जाये और हवाला दिया जाये , ख़ासतौर पर ख़ुदा को मुख़ातिब करने के लिये इस्तिमाल होने वाले अल्फ़ाज़।
सनफ़ी शमूलीयत एक और ख़ुसूसियत है जहां भी ये सियाक़ो-सिबाक़ से वाज़ेह है के हवाला मर्द और औरत दोनों की तरफ़ है, हम ने इस शमूलीयत को बरक़रार रखा है।
इस तर्जुमे में नस्ल परस्ती के किसी भी इशारे से बचने की कोशिश की गई। साबिक़ ग़ैर-क़ौमों के बजाय हम ने ग़ैर-यहूदी या ग़ैर इस्राईलियों का इस्तिमाल किया है।
इस तर्जुमा में इस के जारी मतन में आयात या मशकूक सदाक़त के कुछ हिस्से शामिल किये गये हैं और फ़ुटनोट दिया है के कुछ क़दीम नुस्ख़ों में ये हिस्सा नहीं है। इस तर्जुमे में जदीद पैमाईशों को चलते हुए मतन या हाशिया में रख कर मुआसिर सामईन के लिये काबिले-फ़हम वज़न और पैमाइश को बरक़रार रखने की कोशिश की गई है।



