2 कुरन्थीयो 6
6
1परमेसर का संगी होबा क नातै म्हें थानै समजावां हां क परमेसर की दया थार प होई ह बिनै बेकार मना जाबाद्यो। 2क्युं क बो बोल्यो ह,
“म सई टेम प तेरी सुणली,
अर म छुटकारा हाळै दिन तनै सारो दिओ।”
सुणो! सई टेम अर “छुटकारा को दिन” ओई ह।
3म्हें कोई ताँई आखळी कोनी बणा जिऊँ कोईबी म्हारी सेवा प दोस कोनी लगा सकै। 4पण म्हें सगळी बाता म कळेस, दुख, मुसीबत भोगर थ्यावस क सागै परमेसर का दासा की जंय्यां होबा की कोसिस करता रेह्वां हां। 5#काम 16:23म्हानै मार्यो, रूंद्यो अर जेळ म दिओ गयो म्हारूँ हदऊँ बेत्ती काम करवायो गयो अर म्हें नइ तो सो सक्या अर नइ खा सक्या। 6म्हारी खराई, ज्ञान, थ्यावस, दया, सचो परेम, सच का समचार, पबितर आत्मा, 7अर परमेसर की सक्ति की बजेऊँ म्हें परमेसर का दास हां। हमलो करबा अर बचाव ताँई म्हारी धारमिक्ता म्हारो राछ ह।
8म्हानै मान दिओ जावै ह अर म्हारी बेजती बी करी जावै ह, म्हानै बुरा बी बतावीं अर भला बी बतावीं, म्हारै सागै अंय्यां बरताव कर्यो जावै ह क म्हें ठग हां। इकै बावजुद बी म्हें परमेसर क सामै बिस्वास जोगा हां। 9म्हानै सूल जाणता बुजता बी मिनख म्हारी अनदेखी करीं हीं। म्हें मोत की छांया म हां पण हाल जीवां हां। म्हानै मार्या तो सई पण ज्यानऊँ कोनी मार्या। 10म्हारा हिया म पिड़ा ह पण म्हें सदाई राजी रेह्वां हां, म्हें कंगला की जंय्यां दिखां हां पण ओरानै पिसाळा बणा देवां हां, म्हें रिता हात दिखां हां पण म्हारै कनै सक्यु ह।
11ओ कुरन्थी नगरी का म्हारा भाईड़ो म्हें थारूँ साप-साप बोल्या हां। अर म्हारा हिया की बाता थारै सामै खोल दिनी ह। 12अर जखो परेम म्हें थारूँ राखां हां बो कम कोनी होयो। पण थेई म्हारूँ परेम करबो छोड दिओ। 13म आ बात थानै मेरा टाबर समजर खेऊँ हूँ, थे थारा हियानै म्हारै ताँई खोलो।
जीवता परमेसर को मनदर
14परमेसर प बिस्वास नइ करबाळा का संगी मना बणो। क्युं क, बुराई को भलाई क सागै अर अँधेरा को च्यानणा क सागै काँई मेळ? 15सेतान बलियाल क सागै मसी को काँई लेणदेण? अर बिस्वासी को परमेसर प नइ बिस्वास राखबाळा क सागै काँई मेळ? 16#1 कुरन्थी 3:16; 6:19परमेसर का मनदर को मूरत्याऊँ काँई नातो? क्युं क आपा खुदई जीवता परमेसर का मनदर हां, जंय्यां बो खुदई खयो हो,
“म बामै रेह्ऊँ हूँ, बामै चालू फिरूँ हूँ।
म बाको परमेसर हूँ, बे मेरा मिनख हीं।
17इ ताँई थे परमेसर म बिस्वास नइ करबाळा मिनखा मऊँ निकळ्याओ, बाऊँ दूर रेह्ओ।
परबु बोलै ह,
बा चिजा क हात मना अड़ाज्यो जखी असुद ह। जणाई म थानै अपणास्युं।
18म थारो बाप होस्युं,
अर थे मेरा छोरा-छोरी होस्यो।
आ बात सऊँ सक्तिसाली परबु खेवै ह।”
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2 कुरन्थीयो 6: एस डब्लु वी
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1परमेसर का संगी होबा क नातै म्हें थानै समजावां हां क परमेसर की दया थार प होई ह बिनै बेकार मना जाबाद्यो। 2क्युं क बो बोल्यो ह,
“म सई टेम प तेरी सुणली,
अर म छुटकारा हाळै दिन तनै सारो दिओ।”
सुणो! सई टेम अर “छुटकारा को दिन” ओई ह।
3म्हें कोई ताँई आखळी कोनी बणा जिऊँ कोईबी म्हारी सेवा प दोस कोनी लगा सकै। 4पण म्हें सगळी बाता म कळेस, दुख, मुसीबत भोगर थ्यावस क सागै परमेसर का दासा की जंय्यां होबा की कोसिस करता रेह्वां हां। 5#काम 16:23म्हानै मार्यो, रूंद्यो अर जेळ म दिओ गयो म्हारूँ हदऊँ बेत्ती काम करवायो गयो अर म्हें नइ तो सो सक्या अर नइ खा सक्या। 6म्हारी खराई, ज्ञान, थ्यावस, दया, सचो परेम, सच का समचार, पबितर आत्मा, 7अर परमेसर की सक्ति की बजेऊँ म्हें परमेसर का दास हां। हमलो करबा अर बचाव ताँई म्हारी धारमिक्ता म्हारो राछ ह।
8म्हानै मान दिओ जावै ह अर म्हारी बेजती बी करी जावै ह, म्हानै बुरा बी बतावीं अर भला बी बतावीं, म्हारै सागै अंय्यां बरताव कर्यो जावै ह क म्हें ठग हां। इकै बावजुद बी म्हें परमेसर क सामै बिस्वास जोगा हां। 9म्हानै सूल जाणता बुजता बी मिनख म्हारी अनदेखी करीं हीं। म्हें मोत की छांया म हां पण हाल जीवां हां। म्हानै मार्या तो सई पण ज्यानऊँ कोनी मार्या। 10म्हारा हिया म पिड़ा ह पण म्हें सदाई राजी रेह्वां हां, म्हें कंगला की जंय्यां दिखां हां पण ओरानै पिसाळा बणा देवां हां, म्हें रिता हात दिखां हां पण म्हारै कनै सक्यु ह।
11ओ कुरन्थी नगरी का म्हारा भाईड़ो म्हें थारूँ साप-साप बोल्या हां। अर म्हारा हिया की बाता थारै सामै खोल दिनी ह। 12अर जखो परेम म्हें थारूँ राखां हां बो कम कोनी होयो। पण थेई म्हारूँ परेम करबो छोड दिओ। 13म आ बात थानै मेरा टाबर समजर खेऊँ हूँ, थे थारा हियानै म्हारै ताँई खोलो।
जीवता परमेसर को मनदर
14परमेसर प बिस्वास नइ करबाळा का संगी मना बणो। क्युं क, बुराई को भलाई क सागै अर अँधेरा को च्यानणा क सागै काँई मेळ? 15सेतान बलियाल क सागै मसी को काँई लेणदेण? अर बिस्वासी को परमेसर प नइ बिस्वास राखबाळा क सागै काँई मेळ? 16#1 कुरन्थी 3:16; 6:19परमेसर का मनदर को मूरत्याऊँ काँई नातो? क्युं क आपा खुदई जीवता परमेसर का मनदर हां, जंय्यां बो खुदई खयो हो,
“म बामै रेह्ऊँ हूँ, बामै चालू फिरूँ हूँ।
म बाको परमेसर हूँ, बे मेरा मिनख हीं।
17इ ताँई थे परमेसर म बिस्वास नइ करबाळा मिनखा मऊँ निकळ्याओ, बाऊँ दूर रेह्ओ।
परबु बोलै ह,
बा चिजा क हात मना अड़ाज्यो जखी असुद ह। जणाई म थानै अपणास्युं।
18म थारो बाप होस्युं,
अर थे मेरा छोरा-छोरी होस्यो।
आ बात सऊँ सक्तिसाली परबु खेवै ह।”
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