१ कुरिन्थियों 13
13
प्रेम
1यदि मय आदमियों अऊर स्वर्गदूतों की बोली बोलू अऊर प्रेम नहीं रखू, त मय ठनठन बजन वाली घंटी, अऊर झंझनाती हुयी खंजरी आय। 2#मत्ती १७:२०; २१:२१; मरकुस ११:२३अऊर यदि मय परमेश्वर को तरफ सी आवन वालो सन्देश दे सकू, अऊर पूरो भेद अऊर सब तरह को ज्ञान ख समझू, अऊर मोख यहां तक पूरो विश्वास होय कि मय पहाड़ी ख हटाय देऊ, पर प्रेम नहीं रखू, त मय कुछ भी नहाय। 3यदि मय अपनी पूरी जायजाद गरीबों ख खिलाय देऊ, यां अपनो शरीर जलावन लायी दे देऊ, अऊर प्रेम नहीं रखू, त मोख कुछ भी लाभ नहाय।
4प्रेम धीरजवन्त हय, अऊर दयालु हय; प्रेम जलन नहीं करय; प्रेम अपनी बड़ायी नहीं करय, अऊर अपनो आप म फूलय नहाय, 5ऊ अनरीति नहीं चलय, ऊ अपनी भलायी नहीं चाहवय, चिड़य नहीं, दूसरों की बुरी बातों को लेखा नहीं रखय। 6बुरायी सी खुशी नहीं होवय, पर सत्य सी खुशी होवय हय। 7ऊ सब बाते सह लेवय हय, सब बातों की विश्वास करय हय, सब बातों की आशा रखय हय, सब बातों म धीरज रखय हय।
8प्रेम कभी टलय नहाय; परमेश्वर को तरफ सी आवन वालो सन्देश हय त खतम होय जायेंन; अज्ञात भाषा हय त जाती रहेंन, ज्ञान हय, त मिट जायेंन। 9कहालीकि हमरो ज्ञान अधूरो हय, अऊर हमरो परमेश्वर को तरफ सी आवन वालो सन्देश अधूरो हय; 10पर जब परिपूर्णता करेंन, त अधूरोपन मिट जायेंन।
11जब मय बच्चा होतो, त मय बच्चों को जसो बोलत होतो, बच्चा को जसो मन होतो, बच्चों की जसी समझ होती; पर जब समझदार होय गयो त बचपना की बाते छोड़ दियो। 12अभी हम्ख आरसा म धुंधलो सो दिखायी देवय हय, पर ऊ समय आमने-सामने देखेंन; यो समय मोरो ज्ञान अधूरो हय, पर ऊ समय असी पूरी रीति सी पहिचानू, जसो की परमेश्वर मोख पहिचान्यो हय।
13पर अब विश्वास, आशा, प्रेम यो तीन हंय, पर इन म सब सी बड़ो प्रेम हय।
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१ कुरिन्थियों 13: Lii25
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१ कुरिन्थियों 13
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प्रेम
1यदि मय आदमियों अऊर स्वर्गदूतों की बोली बोलू अऊर प्रेम नहीं रखू, त मय ठनठन बजन वाली घंटी, अऊर झंझनाती हुयी खंजरी आय। 2#मत्ती १७:२०; २१:२१; मरकुस ११:२३अऊर यदि मय परमेश्वर को तरफ सी आवन वालो सन्देश दे सकू, अऊर पूरो भेद अऊर सब तरह को ज्ञान ख समझू, अऊर मोख यहां तक पूरो विश्वास होय कि मय पहाड़ी ख हटाय देऊ, पर प्रेम नहीं रखू, त मय कुछ भी नहाय। 3यदि मय अपनी पूरी जायजाद गरीबों ख खिलाय देऊ, यां अपनो शरीर जलावन लायी दे देऊ, अऊर प्रेम नहीं रखू, त मोख कुछ भी लाभ नहाय।
4प्रेम धीरजवन्त हय, अऊर दयालु हय; प्रेम जलन नहीं करय; प्रेम अपनी बड़ायी नहीं करय, अऊर अपनो आप म फूलय नहाय, 5ऊ अनरीति नहीं चलय, ऊ अपनी भलायी नहीं चाहवय, चिड़य नहीं, दूसरों की बुरी बातों को लेखा नहीं रखय। 6बुरायी सी खुशी नहीं होवय, पर सत्य सी खुशी होवय हय। 7ऊ सब बाते सह लेवय हय, सब बातों की विश्वास करय हय, सब बातों की आशा रखय हय, सब बातों म धीरज रखय हय।
8प्रेम कभी टलय नहाय; परमेश्वर को तरफ सी आवन वालो सन्देश हय त खतम होय जायेंन; अज्ञात भाषा हय त जाती रहेंन, ज्ञान हय, त मिट जायेंन। 9कहालीकि हमरो ज्ञान अधूरो हय, अऊर हमरो परमेश्वर को तरफ सी आवन वालो सन्देश अधूरो हय; 10पर जब परिपूर्णता करेंन, त अधूरोपन मिट जायेंन।
11जब मय बच्चा होतो, त मय बच्चों को जसो बोलत होतो, बच्चा को जसो मन होतो, बच्चों की जसी समझ होती; पर जब समझदार होय गयो त बचपना की बाते छोड़ दियो। 12अभी हम्ख आरसा म धुंधलो सो दिखायी देवय हय, पर ऊ समय आमने-सामने देखेंन; यो समय मोरो ज्ञान अधूरो हय, पर ऊ समय असी पूरी रीति सी पहिचानू, जसो की परमेश्वर मोख पहिचान्यो हय।
13पर अब विश्वास, आशा, प्रेम यो तीन हंय, पर इन म सब सी बड़ो प्रेम हय।
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