Römer 10:10-17

क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है। क्योंकि पवित्रशास्त्र यह कहता है, “जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह लज्जित न होगा।” यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालों के लिये उदार है। क्योंकि, “जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम कैसे लें? और जिसके विषय सुना नहीं उस पर कैसे विश्वास करें? और प्रचारक बिना कैसे सुनें? और यदि भेजे न जाएँ, तो कैसे प्रचार करें? जैसा लिखा है, “उनके पाँव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!” परन्तु सब ने उस सुसमाचार पर कान न लगाया : यशायाह कहता है, “हे प्रभु, किसने हमारे समाचार पर विश्वास किया है?” अत: विश्वास सुनने से और सुनना मसीह के वचन से होता है।
रोमियों 10:10-17