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Romans 1:15-18

रोमियों 1:15-18 - अत: मैं तुम्हें भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूँ।

क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्‍वास करनेवाले के लिये, पहले तो यहूदी फिर यूनानी के लिये, उद्धार के निमित्त परमेश्‍वर की सामर्थ्य है। क्योंकि उसमें परमेश्‍वर की धार्मिकता विश्‍वास से और विश्‍वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्‍वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।”

परमेश्‍वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्‍ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।

अत: मैं तुम्हें भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूँ। क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विश्‍वास करनेवाले के लिये, पहले तो यहूदी फिर यूनानी के लिये, उद्धार के निमित्त परमेश्‍वर की सामर्थ्य है। क्योंकि उसमें परमेश्‍वर की धार्मिकता विश्‍वास से और विश्‍वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, “विश्‍वास से धर्मी जन जीवित रहेगा।” परमेश्‍वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्‍ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।

रोमियों 1:15-18

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