Psaumes 85:1-13

भजन संहिता 85:1-13 - हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्न हुआ,
याकूब को बँधुआई से लौटा ले आया है।
तू ने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है;
और उसके सब पापों को ढाँप
दिया है। (सेला)
तू ने अपने रोष को शान्त किया है;
और अपने भड़के हुए कोप को दूर किया है।
हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर,
हम को पुन: स्थापित कर,
और अपना क्रोध हम पर से दूर कर!
क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा?
क्या तू पीढ़ी से पीढ़ी तक कोप करता रहेगा?
क्या तू हम को फिर न जिलाएगा,
कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे?
हे यहोवा, अपनी करुणा हमें दिखा,
और तू हमारा उद्धार कर।

मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्‍वर यहोवा
क्या कहता है,
वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्‍त हैं,
शान्ति की बातें कहेगा;
परन्तु वे फिरके मूर्खता न करने लगें।
निश्‍चय उसके डरवैयों के उद्धार का
समय निकट है,
तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा।

करुणा और सच्‍चाई आपस में मिल गई हैं;
धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है।
पृथ्वी में से सच्‍चाई उगती
और स्वर्ग से धर्म झुकता है।
फिर यहोवा उत्तम पदार्थ देगा,
और हमारी भूमि अपनी उपज देगी।
धर्म उसके आगे आगे चलेगा,
और उसके पद–चिह्नों को हमारे लिये
मार्ग बनाएगा।

हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्न हुआ, याकूब को बँधुआई से लौटा ले आया है। तू ने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है; और उसके सब पापों को ढाँप दिया है। (सेला) तू ने अपने रोष को शान्त किया है; और अपने भड़के हुए कोप को दूर किया है। हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर, हम को पुन: स्थापित कर, और अपना क्रोध हम पर से दूर कर! क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा? क्या तू पीढ़ी से पीढ़ी तक कोप करता रहेगा? क्या तू हम को फिर न जिलाएगा, कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे? हे यहोवा, अपनी करुणा हमें दिखा, और तू हमारा उद्धार कर। मैं कान लगाए रहूँगा कि परमेश्‍वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्‍त हैं, शान्ति की बातें कहेगा; परन्तु वे फिरके मूर्खता न करने लगें। निश्‍चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है, तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा। करुणा और सच्‍चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है। पृथ्वी में से सच्‍चाई उगती और स्वर्ग से धर्म झुकता है। फिर यहोवा उत्तम पदार्थ देगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी। धर्म उसके आगे आगे चलेगा, और उसके पद–चिह्नों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा।

भजन संहिता 85:1-13

Psaumes 85:1-13