Luke 9:23-36

उसने सबसे कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आपे से इन्कार करे और प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा। यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपना प्राण खो दे या उसकी हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? जो कोई मुझ से और मेरी बातों से लजाएगा, मनुष्य का पुत्र भी, जब अपनी और अपने पिता की और पवित्र स्वर्ग दूतों की महिमा सहित आएगा, तो उससे लजाएगा। मैं तुमसे सच कहता हूँ, कि जो यहाँ खड़े हैं, उनमें से कुछ ऐसे हैं कि जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें, तब तक मृत्यु का स्वाद न चखेंगे।” इन बातों के कोई आठ दिन बाद वह पतरस, यूहन्ना और याकूब को साथ लेकर प्रार्थना करने के लिये पहाड़ पर गया। जब वह प्रार्थना कर ही रहा था, तो उसके चेहरे का रूप बदल गया, और उसका वस्त्र श्वेत होकर चमकने लगा। और देखो, मूसा और एलिय्याह, ये दो पुरुष उसके साथ बातें कर रहे थे। ये महिमा सहित दिखाई दिए और उसके मरने की चर्चा कर रहे थे, जो यरूशलेम में होनेवाला था। पतरस और उसके साथी नींद से भरे थे, और जब अच्छी तरह सचेत हुए, तो उसकी महिमा और उन दो पुरुषों को, जो उसके साथ खड़े थे, देखा। जब वे उसके पास से जाने लगे, तो पतरस ने यीशु से कहा, “हे स्वामी, हमारा यहाँ रहना भला है : अत: हम तीन मण्डप बनाएँ, एक तेरे लिये, एक मूसा के लिये, और एक एलिय्याह के लिये।” वह जानता न था कि क्या कह रहा है। वह यह कह ही रहा था कि एक बादल ने आकर उन्हें छा लिया, और जब वे उस बादल से घिरने लगे तो डर गए। तब उस बादल में से यह शब्द निकला, “यह मेरा पुत्र और मेरा चुना हुआ है, इसकी सुनो।” यह शब्द होते ही यीशु अकेला पाया गया; और वे चुप रहे, और जो कुछ देखा था उसकी कोई बात उन दिनों में किसी से न कही।
लूका 9:23-36