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न्यायियों 13:18 (HINOVBSI)
यहोवा के दूत ने उस से कहा, “मेरा नाम तो अद्भुत है, इसलिये तू उसे क्यों पूछता है?”
न्यायियों 13:19 (HINOVBSI)
तब मानोह ने अन्नबलि समेत बकरी का एक बच्चा लेकर चट्टान पर यहोवा के लिये चढ़ाया, तब उस दूत ने मानोह और उसकी पत्नी के देखते एक अद्भुत काम किया।
न्यायियों 13:20 (HINOVBSI)
अर्थात् जब लौ उस वेदी पर से आकाश की ओर उठ रही थी, तब यहोवा का दूत उस वेदी की लौ में होकर मानोह और उसकी पत्नी के देखते देखते चढ़ गया; तब वे भूमि पर मुँह के बल गिरे।
न्यायियों 13:21 (HINOVBSI)
परन्तु यहोवा के दूत ने मानोह और उसकी पत्नी को फिर कभी दर्शन न दिया। तब मानोह ने जान लिया कि वह यहोवा का दूत था।
न्यायियों 13:22 (HINOVBSI)
तब मानोह ने अपनी पत्नी से कहा, “हम निश्चय मर जाएँगे, क्योंकि हम ने परमेश्वर का दर्शन पाया है।”
न्यायियों 13:23 (HINOVBSI)
उसकी पत्नी ने उससे कहा, “यदि यहोवा हमें मार डालना चाहता, तो हमारे हाथ से होमबलि और अन्नबलि ग्रहण न करता, और न वह ऐसी सब बातें हम को दिखाता, और न वह इस समय हमें ऐसी बातें सुनाता।”
न्यायियों 13:24 (HINOVBSI)
और उस स्त्री के एक बेटा उत्पन्न हुआ, और उसने उसका नाम शिमशोन रखा; और वह बालक बढ़ता गया, और यहोवा उसको आशीष देता रहा।
न्यायियों 13:25 (HINOVBSI)
और यहोवा का आत्मा सोरा और एश्ताओल के बीच महनेदान में उसको उभारने लगा।
न्यायियों 14:1 (HINOVBSI)
शिमशोन तिम्ना को गया, और तिम्ना में एक पलिश्ती स्त्री को देखा।
न्यायियों 14:2 (HINOVBSI)
तब उसने जाकर अपने माता–पिता से कहा, “तिम्ना में मैं ने एक पलिश्ती स्त्री को देखा है, अत: अब तुम उस से मेरा विवाह करा दो।”
न्यायियों 14:3 (HINOVBSI)
उसके माता–पिता ने उससे कहा, “क्या तेरे भाइयों की बेटियों में, या हमारे सब लोगों में कोई स्त्री नहीं है कि तू खतनाहीन पलिश्तियों में की स्त्री से विवाह करना चाहता है?” शिमशोन ने अपने पिता से कहा, “उसी से मेरा विवाह करा दे; क्योंकि मुझे वही अच्छी लगती है।”
न्यायियों 14:4 (HINOVBSI)
उसके माता–पिता न जानते थे कि यह बात यहोवा की ओर से है, कि वह पलिश्तियों के विरुद्ध दाँव ढूँढ़ता है। उस समय तो पलिश्ती इस्राएल पर प्रभुता करते थे।
न्यायियों 14:5 (HINOVBSI)
तब शिमशोन अपने माता–पिता को संग ले तिम्ना को चलकर तिम्ना की दाख की बारी के पास पहुँचा, वहाँ उसके सामने एक जवान सिंह गरजने लगा।
न्यायियों 14:6 (HINOVBSI)
तब यहोवा का आत्मा उस पर बल से उतरा, और यद्यपि उसके हाथ में कुछ न था, तौभी उसने उसको ऐसा फाड़ डाला जैसा कोई बकरी का बच्चा फाड़े। अपना यह काम उसने अपने पिता या माता को न बतलाया।
न्यायियों 14:7 (HINOVBSI)
तब उसने जाकर उस स्त्री से बातचीत की; और वह शिमशोन को अच्छी लगी।
न्यायियों 14:8 (HINOVBSI)
कुछ दिनों के बीतने पर वह उसे लाने को लौट चला; और उस सिंह की लोथ को देखने के लिये मार्ग से मुड़ गया, तो क्या देखा कि सिंह की लोथ में मधुमक्खियों का एक झुण्ड और मधु भी है।
न्यायियों 14:9 (HINOVBSI)
तब वह उसमें से कुछ हाथ में लेकर खाते खाते अपने माता–पिता के पास गया, और उनको यह बिना बताए, कि मैं ने इसको सिंह की लोथ में से निकाला है, कुछ दिया, और उन्होंने भी उसे खाया।
न्यायियों 14:10 (HINOVBSI)
तब उसका पिता उस स्त्री के यहाँ गया, और शिमशोन ने जवानों की रीति के अनुसार वहाँ भोज दिया।
न्यायियों 14:12 (HINOVBSI)
शिमशोन ने उनसे कहा, “मैं तुम से एक पहेली कहता हूँ; यदि तुम इस भोज के सातों दिनों के भीतर उसे बूझकर अर्थ बता दो, तो मैं तुम को तीस कुर्ते और तीस जोड़े कपड़े दूँगा;
न्यायियों 14:13 (HINOVBSI)
और यदि तुम उसे न बता सको, तो तुम को मुझे तीस कुर्ते और तीस जोड़े कपड़े देने पड़ेंगे।” उन्होंने उससे कहा, “अपनी पहेली कह कि हम उसे सुनें।”
न्यायियों 14:14 (HINOVBSI)
उसने उनसे कहा, “खानेवाले में से खाना, और बलवन्त में से मीठी वस्तु निकली।” इस पहेली का अर्थ वे तीन दिन के भीतर न बता सके।
न्यायियों 14:15 (HINOVBSI)
सातवें दिन उन्होंने शिमशोन की पत्नी से कहा, “अपने पति को फुसला कि वह हमें पहेली का अर्थ बताए, नहीं तो हम तुझे तेरे पिता के घर समेत आग में जलाएँगे। क्या तुम लोगों ने हमारा धन लेने के लिये हमें नेवता दिया है? क्या यही बात नहीं है?”
न्यायियों 14:16 (HINOVBSI)
तब शिमशोन की पत्नी यह कहकर उसके सामने रोने लगी, “तू तो मुझ से प्रेम नहीं बैर ही रखता है। तू ने एक पहेली मेरी जाति के लोगों से तो कही है, परन्तु मुझ को उसका अर्थ भी नहीं बताया।” उसने कहा, “मैं ने उसे अपने माता–पिता को भी नहीं बताया, फिर क्या मैं तुझ को बता दूँ?”
न्यायियों 14:17 (HINOVBSI)
भोज के सातों दिनों में वह स्त्री उसके सामने रोती रही; और सातवें दिन जब उसने उसको बहुत तंग किया; तब उसने उसको पहेली का अर्थ बता दिया। तब उसने उसे अपनी जाति के लोगों को बता दिया।
न्यायियों 14:18 (HINOVBSI)
तब सातवें दिन सूर्य डूबने न पाया था कि उस नगर के मनुष्यों ने शिमशोन से कहा, “मधु से अधिक क्या मीठा? और सिंह से अधिक क्या बलवन्त है?” उसने उनसे कहा, “यदि तुम मेरी कलोर को हल में न जोतते, तो मेरी पहेली को कभी न बूझते।”