रोमियों 4:13-25

रोमियों 4:13-25 पवित्र बाइबल (HERV)

इब्राहीम या उसके वंशजों को यह वचन कि वे संसार के उत्तराधिकारी होंगे, व्यवस्था से नहीं मिला था बल्कि उस धार्मिकता से मिला था जो विश्वास के द्वारा उत्पन्न होती है। यदि जो व्यवस्था को मानते है, वे जगत के उत्तराधिकारी हैं तो विश्वास का कोई अर्थ नहीं रहता और वचन भी बेकार हो जाता है। लोगों द्वारा व्यवस्था का पालन नहीं किये जाने से परमेश्वर का क्रोध उपजता है किन्तु जहाँ व्यवस्था ही नहीं है वहाँ व्यवस्था का तोड़ना ही क्या? इसलिए सिद्ध है कि परमेश्वर का वचन विश्वास का फल है और यह सेंतमेत में ही मिलता है। इस प्रकार उसका वचन इब्राहीम के सभी वंशजों के लिए सुनिश्चित है, न केवल उनके लिये जो व्यवस्था को मानते हैं बल्कि उन सब के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास रखते है। वह हम सब का पिता है। शास्त्र बताता है, “मैंने तुझे (इब्राहीम) अनेक राष्ट्रों का पिता बनाया।” उस परमेश्वर की दृष्टि में वह इब्राहीम हमारा पिता है जिस पर उसका विश्वास है। परमेश्वर जो मरे हुए को जीवन देता है और जो नहीं है, जो अस्तित्व देता है। सभी मानवीय आशाओं के विरुद्ध अपने मन में आशा सँजोये हुए इब्राहीम ने उसमें विश्वास किया, इसलिए वह कहे गये के अनुसार अनेक राष्ट्रों का पिता बना। “तेरे अनगिनत वंशज होंगे।” अपने विश्वास को बिना डगमगाये और यह जानते हुए भी कि उसकी देह सौ साल की बूड़ी मरियल हो चुकी है और सारा बाँझ है, परमेश्वर के वचन में विश्वास बनाये रखा। इतना ही नहीं, विश्वास को और मज़बूत करते हुए परमेश्वर को महिमा दी। उसे पूरा भरोसा था कि परमेश्वर ने उसे जो वचन दिया है, उसे पूरा करने में वह पूरी तरह समर्थ है। इसलिए, “यह विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” शास्त्र का यह वचन कि विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया, न केवल उसके लिये है, बल्कि हमारे लिये भी है। परमेश्वर हमें, जो उसमें विश्वास रखते हैं, धार्मिकता स्वीकार करेगा। उसने हमारे प्रभु यीशु को फिर से जीवित किया। यीशु जिसे हमारे पापों के लिए मारे जाने को सौंपा गया और हमें धर्मी बनाने के लिए मरे हुओं में से पूनःजीवित किया गया।

रोमियों 4:13-25 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

परमेश्‍वर ने अब्राहम और उनके वंश से प्रतिज्ञा की कि वे पृथ्‍वी के उत्तराधिकारी होंगे। यह इसलिए नहीं हुआ कि अब्राहम ने व्‍यवस्‍था का पालन किया, बल्‍कि इसलिए कि उन्‍होंने विश्‍वास किया और परमेश्‍वर ने उन्‍हें धार्मिक माना है। यदि व्‍यवस्‍था के अधीन रहने वाले ही उत्तराधिकारी बनते हैं, तो विश्‍वास व्‍यर्थ है और प्रतिज्ञा रद्द हो जाती है; क्‍योंकि व्‍यवस्‍था का परिणाम परमेश्‍वर का प्रकोप है, जब कि व्‍यवस्‍था के अभाव में किसी आज्ञा का उल्‍लंघन नहीं होता। सब कुछ विश्‍वास पर, और इसलिए अनुग्रह पर ही निर्भर रहता है। वह प्रतिज्ञा न केवल उन लोगों पर, जो व्‍यवस्‍था का पालन करते हैं, बल्‍कि समस्‍त वंश पर लागू होती है—उन सब पर, जो अब्राहम की तरह विश्‍वास करते हैं। अब्राहम हम सब के पिता हैं जैसा कि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है : “मैंने तुम को बहुत-सी जातियों का पिता नियुक्‍त किया है।” परमेश्‍वर की दृष्‍टि में अब्राहम हमारे पिता हैं। उन्‍होंने उस परमेश्‍वर में विश्‍वास किया, जो मृतकों को पुनर्जीवित करता है और उन वस्‍तुओं को भी अस्‍तित्‍व में लाता है जिनका अस्‍तित्‍व नहीं है। अब्राहम ने निराशाजनक परिस्‍थिति में भी आशा रख कर विश्‍वास किया और वह बहुत जातियों के पिता बन गये, जैसा कि उन से कहा गया था, “तुम्‍हारे असंख्‍य वंशज होंगे।” यद्यपि वह जानते थे कि उनका शरीर अशक्‍त हो गया है—उनकी अवस्‍था लगभग एक सौ वर्ष की थी—और उनकी पत्‍नी सारा बाँझ है, तो भी उनका विश्‍वास विचलित नहीं हुआ; उन्‍हें परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा पर सन्‍देह नहीं हुआ, बल्‍कि उन्‍होंने अपने विश्‍वास की दृढ़ता द्वारा परमेश्‍वर का सम्‍मान किया। उन्‍हें पक्‍का निश्‍चय था कि परमेश्‍वर ने जिस बात की प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरा करने में समर्थ है। इस विश्‍वास के कारण “परमेश्‍वर ने उन्‍हें धार्मिक माना है।” धर्मग्रन्‍थ का यह कथन न केवल अब्राहम से, बल्‍कि हम से भी सम्‍बन्‍ध रखता है। यदि हम परमेश्‍वर में विश्‍वास करेंगे, जिसने हमारे प्रभु येशु को मृतकों में से जिलाया, तो हम भी विश्‍वास के कारण धार्मिक माने जायेंगे। वही येशु हमारे अपराधों के कारण पकड़वाये गये और हमें धार्मिक ठहराने के लिए जी उठे।

रोमियों 4:13-25 Hindi Holy Bible (HHBD)

क्योंकि यह प्रतिज्ञा कि वह जगत का वारिस होगा, न इब्राहीम को, न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी, परन्तु विश्वास की धामिर्कता के द्वारा मिली। क्योंकि यदि व्यवस्था वाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। व्यवस्था तो क्रोध उपजाती है और जहां व्यवस्था नहीं वहां उसका टालना भी नहीं। इसी कारण वह विश्वास के द्वारा मिलती है, कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि प्रतिज्ञा सब वंश के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसक लिये जो व्यवस्था वाला है, वरन उन के लिये भी जो इब्राहीम के समान विश्वास वाले हैं: वही तो हम सब का पिता है। जैसा लिखा है, कि मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है उस परमेश्वर के साम्हने जिस पर उस ने विश्वास किया और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं। उस ने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि तेरा वंश ऐसा होगा वह बहुत सी जातियों का पिता हो। और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ। और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की। और निश्चय जाना, कि जिस बात की उस ने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है। इस कारण, यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया। और यह वचन, कि विश्वास उसके लिये धामिर्कता गिया गया, न केवल उसी के लिये लिखा गया। वरन हमारे लिये भी जिन के लिये विश्वास धामिर्कता गिना जाएगा, अर्थात हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिस ने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया। वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया॥

रोमियों 4:13-25 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

क्योंकि यह प्रतिज्ञा कि वह जगत का वारिस होगा, न अब्राहम को न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी, परन्तु विश्‍वास की धार्मिकता के द्वारा मिली। क्योंकि यदि व्यवस्थावाले वारिस हैं, तो विश्‍वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। व्यवस्था तो क्रोध उपजाती है, और जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ उसका उल्‍लंघन भी नहीं। इसी कारण प्रतिज्ञा विश्‍वास पर आधारित है कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि वह उसके सब वंशजों के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसके लिये जो व्यवस्थावाला है वरन् उनके लिये भी जो अब्राहम के समान विश्‍वासवाले हैं; वही तो हम सब का पिता है, – जैसा लिखा है, “मैं ने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है” – उस परमेश्‍वर के सामने जिस पर उसने विश्‍वास किया, और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं उनका नाम ऐसा लेता है कि मानो वे हैं। उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्‍वास किया, इसलिये कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो। वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्‍वास में निर्बल न हुआ, और न अविश्‍वासी होकर परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्‍वास में दृढ़ होकर परमेश्‍वर की महिमा की; और निश्‍चय जाना कि जिस बात की उसने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरा करने में भी समर्थ है। इस कारण यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया। और यह वचन, “विश्‍वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया,” न केवल उसी के लिये लिखा गया, वरन् हमारे लिये भी जिनके लिए विश्‍वास धार्मिकता गिना जाएगा, अर्थात् हमारे लिये जो उस पर विश्‍वास करते हैं जिसने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया। वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया।

रोमियों 4:13-25 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

क्योंकि यह प्रतिज्ञा कि वह जगत का वारिस होगा, न अब्राहम को, न उसके वंश को व्यवस्था के द्वारा दी गई थी, परन्तु विश्वास की धार्मिकता के द्वारा मिली। क्योंकि यदि व्यवस्थावाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। व्यवस्था तो क्रोध उपजाती है और जहाँ व्यवस्था नहीं वहाँ उसका उल्लंघन भी नहीं। इसी कारण प्रतिज्ञा विश्वास पर आधारित है कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि वह सब वंश के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसके लिये जो व्यवस्थावाला है, वरन् उनके लिये भी जो अब्राहम के समान विश्वासवाले हैं वही तो हम सब का पिता है जैसा लिखा है, “मैंने तुझे बहुत सी जातियों का पिता ठहराया है” उस परमेश्वर के सामने जिस पर उसने विश्वास किया और जो मरे हुओं को जिलाता है, और जो बातें हैं ही नहीं, उनका नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं। (उत्प. 17:15) उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया, इसलिए कि उस वचन के अनुसार कि “तेरा वंश ऐसा होगा,” वह बहुत सी जातियों का पिता हो। वह जो सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ, (इब्रा. 11:11) और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ़ होकर परमेश्वर की महिमा की, और निश्चय जाना कि जिस बात की उसने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरा करने में भी सामर्थी है। इस कारण, यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया। और यह वचन, “विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया,” न केवल उसी के लिये लिखा गया, वरन् हमारे लिये भी जिनके लिये विश्वास धार्मिकता गिना जाएगा, अर्थात् हमारे लिये जो उस पर विश्वास करते हैं, जिसने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया। वह हमारे अपराधों के लिये पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिये जिलाया भी गया। (यशा. 53:5, यशा. 53:12)

रोमियों 4:13-25 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

उस प्रतिज्ञा का आधार, जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों से की गई थी कि अब्राहाम पृथ्वी के वारिस होंगे, व्यवस्था नहीं परंतु विश्वास की धार्मिकता थी. यदि व्यवस्था का पालन करने से उन्हें मीरास प्राप्‍त होती है तो विश्वास खोखला और प्रतिज्ञा बेअसर साबित हो गई है. व्यवस्था क्रोध का पिता है किंतु जहां व्यवस्था है ही नहीं, वहां व्यवस्था का उल्लंघन भी संभव नहीं! परिणामस्वरूप विश्वास ही उस प्रतिज्ञा का आधार है, कि परमेश्वर के अनुग्रह में अब्राहाम के सभी वंशजों को यह प्रतिज्ञा निश्चित रूप से प्राप्‍त हो सके—न केवल उन्हें, जो व्यवस्था के अधीन हैं परंतु उन्हें भी, जिनका विश्वास वैसा ही है, जैसा अब्राहाम का, जो हम सभी के गोत्रपिता हैं. जैसा कि पवित्र शास्त्र का लेख है: “मैंने तुम्हें अनेक राष्ट्रों का पिता ठहराया है.” हमारे गोत्रपिता अब्राहाम ने उन्हीं परमेश्वर में विश्वास किया, जो मरे हुओं को जीवन देते हैं तथा अस्तित्व में आने की आज्ञा उन्हें देते हैं, जो हैं ही नहीं. बिलकुल निराशा की स्थिति में भी अब्राहाम ने उनसे की गई इस प्रतिज्ञा के ठीक अनुरूप उस आशा में विश्वास किया: वह अनेकों राष्ट्रों के पिता होंगे, ऐसे ही होंगे तुम्हारे वंशज. अब्राहाम जानते थे कि उनका शरीर मरी हुए दशा में था क्योंकि उनकी आयु लगभग सौ वर्ष थी तथा साराह का गर्भ तो मृत था ही. फिर भी वह विश्वास में कमजोर नहीं हुए. उन्होंने परमेश्वर की प्रतिज्ञा के संबंध में अपने विश्वास में विचलित न होकर, स्वयं को उसमें मजबूत करते हुए परमेश्वर की महिमा की तथा पूरी तरह निश्चिंत रहे कि वह, जिन्होंने यह प्रतिज्ञा की है, उसे पूरा करने में भी सामर्थ्यी हैं. इसलिये अब्राहाम के लिए यही विश्वास की धार्मिकता मानी गई. उनके लिए धार्मिकता मानी गई, ये शब्द मात्र उन्हीं के विषय में नहीं हैं, परंतु इनका संबंध हमसे भी है, जिन्हें परमेश्वर की ओर से धार्मिकता की मान्यता प्राप्‍त होगी—हम, जिन्होंने विश्वास उनमें किया है—जिन्होंने हमारे प्रभु येशु मसीह को मरे हुओं से दोबारा जीवित किया, जो हमारे अपराधों के कारण मृत्यु दंड के लिए सौंपे गए तथा हमें धर्मी घोषित कराने के लिए दोबारा जीवित किए गए.