रोमियों 15:26-27
रोमियों 15:26-27 पवित्र बाइबल (HERV)
क्योंकि मकिदुनिया और अखैया के कलीसिया के लोगों ने यरूशलेम में परमेश्वर के पवित्र जनों में जो दरिद्र हैं, उनके लिए कुछ देने का निश्चय किया है। हाँ, उनके प्रति उनका कर्तव्य भी बनता है क्योंकि यदि ग़ैर यहूदियों ने यहूदियों के आध्यात्मिक कार्यों में हिस्सा बटाया है तो ग़ैर यहूदियों को भी उनके लिये भौतिक सुख जुटाने चाहिये।
रोमियों 15:26-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
क्योंकि मकिदुनिया तथा यूनान की कलीसियाओं ने यह शुभ संकल्प किया है कि वे सहभागिता के रूप में यरूशलेम के गरीब संतों के लिए कुछ सहायता भेजें। उनका यह संकल्प उचित ही है—वास्तव में वे यरूशलेम के सन्तों के ऋणी भी हैं, क्योंकि यदि गैर-यहूदी लोग यहूदियों की आध्यात्मिक सम्पत्ति के भागी बने, तो गैर-यहूदियों को अपनी लौकिक सम्पत्ति से उनकी सार्वजनिक सेवा करना चाहिए।
रोमियों 15:26-27 Hindi Holy Bible (HHBD)
क्योंकि मकिदुनिया और अखया के लोगों को यह अच्छा लगा, कि यरूशलेम के पवित्र लोगों के कंगालों के लिये कुछ चन्दा करें। अच्छा तो लगा, परन्तु वे उन के कर्जदार भी हैं, क्योंकि यदि अन्यजाति उन की आत्मिक बातों में भागी हुए, तो उन्हें भी उचित है, कि शारीरिक बातों में उन की सेवा करें।
रोमियों 15:26-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
क्योंकि मकिदुनिया और अखया के लोगों को यह अच्छा लगा कि यरूशलेम के पवित्र लोगों में निर्धनों के लिये कुछ चन्दा करें। उन्हें अच्छा तो लगा, परन्तु वे उनके कर्जदार भी हैं, क्योंकि यदि अन्यजातीय उनकी आत्मिक बातों में भागी हुए, तो उन्हें भी उचित है कि शारीरिक बातों में उनकी सेवा करें।
रोमियों 15:26-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
क्योंकि मकिदुनिया और अखाया के लोगों को यह अच्छा लगा, कि यरूशलेम के पवित्र लोगों के कंगालों के लिये कुछ चन्दा करें। उन्हें अच्छा तो लगा, परन्तु वे उनके कर्जदार भी हैं, क्योंकि यदि अन्यजाति उनकी आत्मिक बातों में भागी हुए, तो उन्हें भी उचित है, कि शारीरिक बातों में उनकी सेवा करें।
रोमियों 15:26-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
मकेदोनिया तथा आखाया प्रदेश की कलीसियाएं येरूशलेम के निर्धन पवित्र लोगों की सहायता के लिए खुशी से सामने आई. सच मानो, उन्होंने यह खुशी से किया है. वे येरूशलेम वासियों के कर्ज़दार हैं क्योंकि जब गैर-यहूदियों ने उनसे आत्मिक धन प्राप्त किया है तो यह उचित ही है कि अब वे भौतिक वस्तुओं द्वारा भी उनकी सहायता करें.