भजन संहिता 65:8-13

भजन संहिता 65:8-13 पवित्र बाइबल (HERV)

जिन अद्भुत बातों को परमेश्वर करता है, उनसे धरती का हर व्यक्ति डरता है। परमेश्वर तू ही हर कहीं सूर्य को उगाता और छिपाता है। लोग तेरा गुणगान करते हैं। पृथ्वी की सारी रखवाली तू करता है। तू ही इसे सींचता और तू ही इससे बहुत सारी वस्तुएं उपजाता है। हे परमेश्वर, नदियों को पानी से तू ही भरता है। तू ही फसलों की बढ़वार करता है। तू यह इस विधि से करता है। जुते हुए खेतों पर वर्षा कराता है। तू खेतों को जल से सराबोर कर देता, और धरती को वर्षा से नरम बनाता है, और तू फिर पौधों की बढ़वार करता है। तू नये साल का आरम्भ उत्तम फसलों से करता है। तू भरपूर फसलों से गाड़ियाँ भर देता है। वन औक पर्वत दूब घास से ढक जाते हैं। भेड़ों से चरागाहें भर गयी। फसलों से घाटियाँ भरपूर हो रही हैं। हर कोई गा रहा और आनन्द में ऊँचा पुकार रहा है।

भजन संहिता 65:8-13 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

इसलिए जगत-सीमान्‍तों के निवासी भी, तेरे चिह्‍नों से भयभीत हो गए। तू उदयाचल और अस्‍ताचल के देशों से जयजयकार कराता है। तूने भूमि की सुधि ली और उसे सींचा है; तू उसे बहुत उपजाऊ बनाता है। तेरी नहर जल से भरी है; तू मनुष्‍यों के लिए अनाज तैयार करता है; क्‍योंकि इसी के लिए तूने उसे तैयार किया है। तू उसकी नालियों को जल से परिपूर्ण रखता है, उसकी कूटक को समतल करता है, उसे बौछारों से नरम बनाता है, और उसके अंकुरों को बढ़ाता है। तू अपने मंगलमय वरदानों से वर्ष को मुकुट पहिनाता है, तेरे रथ-मार्गों के किनारे खेत लहलहाते हैं। निर्जन प्रदेश में हरियाली फूटती है। पहाड़ियाँ हर्ष से विभूषित हैं। चराइयां भेड़-बकरियों से मानो सजी हुई हैं। घाटियां अनाज से आच्‍छादित हैं। वे मिलकर जयजयकार करतीं, और गाती हैं।

भजन संहिता 65:8-13 Hindi Holy Bible (HHBD)

इसलिये दूर दूर देशों के रहने वाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं; तू उदयाचल और अस्ताचल दोनों से जयजयकार कराता है॥ तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता हैं, तू उसको बहुत फलदायक करता है; परमेश्वर की नहर जल से भरी रहती है; तू पृथ्वी को तैयार करके मनुष्यों के लिये अन्न को तैयार करता है। तू रेघारियों को भली भांति सींचता है, और उनके बीच की मिट्टी को बैठाता है, तू भूमि को मेंह से नरम करता है, और उसकी उपज पर आशीष देता है। अपनी भलाई से भरे हुए वर्ष पर तू ने मानो मुकुट धर दिया है; तेरे मार्गों में उत्तम उत्तम पदार्थ पाए जाते हैं। वे जंगल की चराइयों में पाए जाते हैं; और पहाड़ियां हर्ष का फेंटा बान्धे हुए है॥ चराइयां भेड़- बकरियों से भरी हुई हैं; और तराइयां अन्न से ढंपी हुई हैं, वे जयजयकार करतीं और गाती भी हैं॥

भजन संहिता 65:8-13 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

इसलिये दूर दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिह्न देखकर डर गए हैं; तू उदयाचल और अस्ताचल दोनों से जयजयकार कराता है। तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है, तू उसको बहुत फलदायक करता है; परमेश्‍वर की नदी जल से भरी रहती है; तू पृथ्वी को तैयार करके मनुष्यों के लिये अन्न को तैयार करता है। तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है, और उनके बीच की मिट्टी को बैठाता है, तू भूमि को मेंह से नरम करता है, और उसकी उपज पर आशीष देता है। अपनी भलाई से भरे हुए वर्ष पर तू ने मानो मुकुट रख दिया है; तेरे मार्गों में उत्तम उत्तम पदार्थ पाए जाते हैं। जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती है; और पहाड़ियाँ हर्ष का फेंटा बाँधे हुए हैं। चराइयाँ भेड़–बकरियों से भरी हुई हैं, और तराइयाँ अन्न से ढँपी हुई हैं, वे जयजयकार करतीं और गाती भी हैं।

भजन संहिता 65:8-13 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

इसलिए दूर-दूर देशों के रहनेवाले तेरे चिन्ह देखकर डर गए हैं; तू उदयाचल और अस्ताचल दोनों से जयजयकार कराता है। तू भूमि की सुधि लेकर उसको सींचता है, तू उसको बहुत फलदायक करता है; परमेश्वर की नदी जल से भरी रहती है; तू पृथ्वी को तैयार करके मनुष्यों के लिये अन्न को तैयार करता है। तू रेघारियों को भली भाँति सींचता है, और उनके बीच की मिट्टी को बैठाता है, तू भूमि को मेंह से नरम करता है, और उसकी उपज पर आशीष देता है। तेरी भलाइयों से, तू वर्ष को मुकुट पहनता है; तेरे मार्गों में उत्तम-उत्तम पदार्थ पाए जाते हैं। वे जंगल की चराइयों में हरियाली फूट पड़ती हैं; और पहाड़ियाँ हर्ष का फेंटा बाँधे हुए है। चराइयाँ भेड़-बकरियों से भरी हुई हैं; और तराइयाँ अन्न से ढँपी हुई हैं, वे जयजयकार करती और गाती भी हैं।

भजन संहिता 65:8-13 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

सीमांत देशों के निवासी आपके महाकार्य से घबराए हुए; उदयाचल और अस्ताचल को आप हर्षगान के लिए प्रेरित करते हैं. आप भूमि का ध्यान रख उसकी सिंचाई का प्रबंध करते हैं; आप उसे अत्यंत उपजाऊ बनाते हैं; परमेश्वर के जल प्रवाह कभी नहीं सूखते. क्योंकि परमेश्वर, आपने यह निर्धारित किया है, कि मनुष्यों के आहार के लिए अन्‍न सदैव उपलब्ध रहे. आप नालियों को आर्द्र बनाए रखते हैं तथा कूटक को वर्षा द्वारा समतल कर देते हैं; वृष्टि से आप इसे कोमल बना देते हैं, आप इसकी उपज को आशीष देते हैं. आप वर्ष को विपुल उपज के द्वारा गौरवान्वित करते हैं, जिससे अन्‍न उत्तम-उत्तम पदार्थ से भंडार परिपूर्ण पाए जाते हैं. बंजर ज़मीन तक घास से सम्पन्‍न हो जाती है; पहाड़ियां आनंद का स्रोत हो जाती हैं. हरे घास पशुओं से आच्छादित हो जाते हैं; घाटियां उपज से परिपूर्ण हैं; वे उल्‍लसित हो उच्च स्वर में गाने लगती हैं.