नीतिवचन 25:23-27
नीतिवचन 25:23-27 पवित्र बाइबल (HERV)
उत्तर का पवन जैसे वर्षा लाता है वैसे ही धूर्त—वाणी क्रोध उपजाती है। झगड़ालू पत्नी के साथ घर में रहने से छत के किसी कोने पर रहना उत्तम है। किसी दूर देश से आई कोई अच्छी खबर ऐसी लगती है जैसे थके मादे प्यासे को शीतल जल। गाद भरे झरने अथवा किसी दूषित कुँए सा होता वह धर्मी पुरूष जो किसी दुष्ट के आगे झुक जाता है। जैसे बहुत अधिक शहद खाना अच्छा नहीं वैसे अपना मान बढ़ाने का यत्न करना अच्छा नहीं है।
नीतिवचन 25:23-27 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
जैसे मौसमी हवा अपने साथ वर्षा लाती है; वैसे ही चुगलखोर जीभ क्रुद्ध दृष्टि उत्पन्न करती है। झगड़ालू पत्नी के साथ घर में रहने की अपेक्षा, छत के कोने में पड़े रहना अच्छा है। जैसे प्यासे प्राण के लिए शीतल जल स्फूर्तिदायक होता है; वैसे ही दूर देश से आया शुभ समाचार। जब धार्मिक मनुष्य का दुर्जन के सम्मुख नैतिक पतन हो जाता है तब वह मानो कीचड़ भरा झरना, अथवा विष भरा जलकुण्ड बन जाता है। जैसे भरपेट शहद खाना अच्छा नहीं; वैसे ही अधिक खुशामद करना ठीक नहीं।
नीतिवचन 25:23-27 Hindi Holy Bible (HHBD)
जैसे उत्तरीय वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है। लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है। जैसा थके मान्दे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है। जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है। बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, परन्तु कठिन बातों की पूछताछ महिमा का कारण होता है।
नीतिवचन 25:23-27 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
जैसे उत्तरी वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है। लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है। जैसा थके मांदे के प्राणों के लिये ठण्डा पानी होता है, वैसा ही दूर देश से आया हुआ शुभ समाचार भी होता है। जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह गंदले सोते और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है। बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, परन्तु कठिन बातों की पूछपाछ महिमा का कारण होता है।
नीतिवचन 25:23-27 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
जैसे उत्तरी वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है। लम्बे चौड़े घर में झगड़ालू पत्नी के संग रहने से छत के कोने पर रहना उत्तम है। दूर देश से शुभ सन्देश, प्यासे के लिए ठंडे पानी के समान है। जो धर्मी दुष्ट के कहने में आता है, वह खराब जल-स्रोत और बिगड़े हुए कुण्ड के समान है। जैसे बहुत मधु खाना अच्छा नहीं, वैसे ही आत्मप्रशंसा करना भी अच्छा नहीं।
नीतिवचन 25:23-27 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
जैसे उत्तरी वायु प्रवाह वृष्टि का उत्पादक होता है, वैसे ही पीठ पीछे पर निंदा करती जीभ शीघ्र क्रोधी मुद्रा उत्पन्न करती है. विवादी पत्नी के साथ घर में निवास करने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है छत के एक कोने में रह लेना. दूर देश से आया शुभ संदेश वैसा ही होता है, जैसा प्यासी आत्मा को दिया गया शीतल जल. वह धर्मी व्यक्ति, जो दुष्टों के आगे झुक जाता है, गंदले सोते तथा दूषित कुओं-समान होता है. मधु का अत्यधिक सेवन किसी प्रकार लाभकर नहीं होता, ठीक इसी प्रकार अपने लिए सम्मान से और अधिक सम्मान का यत्न करना लाभकर नहीं होता.