नीतिवचन 11:23-26
नीतिवचन 11:23-26 पवित्र बाइबल (HERV)
नेक की इच्छा का भलाई में अंत होता है, किन्तु दुष्ट की आशा रोष में फैलती है। जो उदार मुक्त भाव से दान देता है, उसका लाभ तो सतत बढ़ता ही जाता है, किन्तु जो अनुचित रूप से सहेज रखते, उनका तो अंत बस दरिद्रता होता। उदार जन तो सदा, फूलेगा फलेगा और जो दूसरों की प्यास बुझायेगा उसकी तो प्यास अपने आप ही बुझेगी। अन्न का जमाखोर लोगों की गाली खाता, किन्तु जो उसे बेचने को राजी होता है उसके सिर वरदान का मुकुट से सजता है।
नीतिवचन 11:23-26 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
धार्मिक मनुष्य की अभिलाषा केवल भलाई होती है; पर दुर्जन की आशा का परिणाम प्रभु का क्रोध होता है! मुक्त हृदय से लुटानेवाला मनुष्य धनवान होता जाता है; पर जो मनुष्य जितना देना चाहिए उतना नहीं देता; वह अभावग्रस्त हो जाता है। उदारता से देनेवाला मनुष्य सम्पन्न होता है; दूसरे के खेत को सींचनेवाले किसान की भूमि भी सींची जाती है। अनाज के जमाखोर को लोग कोसते हैं, पर जो व्यापारी अपना अनाज जनता को बेच देता है, उसको लोग आशीर्वाद देते हैं।
नीतिवचन 11:23-26 Hindi Holy Bible (HHBD)
धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्टों की आशा का फल क्रोध ही होता है। ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है। उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी। जो अपना अनाज रख छोड़ता है, उस को लोग शाप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उस को आशीर्वाद दिया जाता है।
नीतिवचन 11:23-26 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्टों की आशा का फल क्रोध ही होता है। ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, तौभी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इस से उनकी घटती ही होती है। उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो दूसरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी। जो अपना अनाज रख छोड़ता है, उसको लोग शाप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उसको आशीर्वाद दिया जाता है।
नीतिवचन 11:23-26 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
धर्मियों की लालसा तो केवल भलाई की होती है; परन्तु दुष्टों की आशा का फल क्रोध ही होता है। ऐसे हैं, जो छितरा देते हैं, फिर भी उनकी बढ़ती ही होती है; और ऐसे भी हैं जो यथार्थ से कम देते हैं, और इससे उनकी घटती ही होती है। (2 कुरि. 9:6) उदार प्राणी हष्ट-पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी। जो अपना अनाज जमाखोरी करता है, उसको लोग श्राप देते हैं, परन्तु जो उसे बेच देता है, उसको आशीर्वाद दिया जाता है।
नीतिवचन 11:23-26 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)
धर्मी की आकांक्षा का परिणाम उत्तम ही होता है, किंतु दुष्ट की आशा कोप ले आती है. कोई तो उदारतापूर्वक दान करते है, फिर भी अधिकाधिक धनाढ्य होता जाता है; किंतु अन्य है जो उसे दबाकर रखता है, और फिर भी वह तंगी में ही रहता है. जो कोई उदारता से देता है, वह सम्पन्न होता जाएगा; और वह, जो अन्यों को सांत्वना देता है, वह सांत्वना पायेगा! उसे, जो अनाज को दबाए रखता है, लोग शाप देते हैं, किंतु उसे, जो अनाज जनता को बेचता जाता है, लोग आशीर्वाद देते हैं.
